गुरुवार, 29 जुलाई 2010

आहारजनित रोगों में हल्दी नुक़सानदेह

भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के वैज्ञानिकों ने एक नए अध्ययन में दावा किया है कि भोजनजनित बीमारियों के दौरान हल्दी के सेवन से बचना चाहिए। बेंगलुरु स्थित आईआईएससी के प्रयोग में सामने आया कि टाइफाइड और अन्य भोजन जनित बीमारियां पैदा करने वाला साल्मोनेला नाम का जीवाणु हल्दी के मुख्य आणविक तत्व कुर्कुमिन के संपर्क में आने पर तीन गुना तेज गति से बढ़ता है। आईआईएससी में सूक्ष्म जीव विज्ञान और कोशिका जीव विज्ञान विभाग के संक्रामक रोग अनुसंधान केंद्र में पीएचडी स्कॉलर संध्या मराठे और एसोसिएट प्रोफेसर दीपशिखा चक्रवर्ती ने कहा, ‘हमारा अध्ययन अपनी तरह का पहला है जो यह कहता है कि कुर्कुमिन साल्मोनेला को अधिक मजबूत बनाकर रोग को बढ़ाता है। इसलिए विशेषकर साल्मोनेला के संक्रमण के दौरान हल्दी के इस्तेमाल से बचना चाहिए।’ अध्ययन के परिणाम अमेरिकी विज्ञान पुस्तकालय की पत्रिका प्लोसवन के नवीनतम संस्करण में प्रकाशित हुए हैं। चक्रवर्ती खाएं हल्दी ने कहा कि हल्दी भारतीय और एशियाई रसोईघरों का अभिन्न हिस्सा है लेकिन अध्ययन के परिणाम हल्दी के अंधाधुंध इस्तेमाल पर हमसे पुनर्विचार करने को कहते हैं, खासकर साल्मोनेला के संक्रमण के दौरान।
उन्होंने कहा कि हालांकि हल्दी का आणविक तत्व कुर्कुमिन कैंसर, उच्च रक्तचाप और अल्जाइमर सहित बहुत सी बीमारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए जाना जाता है और यह सर्वरोगहारी के तौर पर गोलियों के रूप में भी बिकता है। वैज्ञानिकों की अवधारणा है कि कुर्कुमिन का अत्यधिक सेवन एशियाई देशों में बड़े पैमाने पर साल्मोनेला संक्रमण का कारक है जहां टाइफाइड से हर साल लगभग पांच हजार लोग मारे जाते हैं। (हिंदुस्तान,रांची,29.7.2010)।

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