शनिवार, 31 जुलाई 2010

भारत में पहली बारःबिना सर्जरी किए हृदय के वाल्व को बदला गया

दिल के रोगियों के लिए एक ब़ड़ी और खुशी देने वाली खबर है । एक नई पद्धति से अब वे बिना ओपन हार्ट सर्जरी के अपने हृदय में एऑर्टिक वाल्व बदलवा सकते हैं । गु़ड़गांव में मेदांता हार्ट इंस्ट्टियूट के डॉक्टरों ने भारत में पहली बार इस नई पद्धति के तहत यह कारनामा कर दिखाया है। जिन लोगों में सर्जरी करना मुश्किल हो जाता है, उनके लिए यह पद्धति वरदान साबित हो सकती है । इस पद्धति के तहत हृदय में खराब हो चुके एऑर्टिक वाल्व को बदला जा सकता है । एऑर्टिक वाल्व हृदय के बाएं वेंट्रकिल में स्थित होता है । खराब वाल्व हृदय में खून को जाने नहीं देता । अब तक भारत में इसका एकमात्र समाधान सर्जरी ही थी लेकिन इसमें भी कई तरह के जोखिम थे । अब इस नई पद्धति से हजारों लोगों की जान बच सकती है । मेदांता हार्ट इंस्ट्टियूट में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के चेयरमैन डॉ. प्रवीण चंद्रा ने बताया कि अब तक एऑर्टिक वाल्व बदलने का सर्जरी के अलावा कोई तकनीक नहीं थी । हम लोग उन रोगियों का इलाज करने में असमर्थ थे जिनमें सर्जरी संभव नहीं थी । जिस पद्धति के तहत डॉक्टरों ने वाल्व बदला उसे परक्यूटनस एऑर्टिक वाल्व इंप्लांटेशन कहा जाता है । इस प्रक्रिया में कृत्रिम वाल्व को शरीर के निचले अंगों से खून की नलिका द्वारा हृदय तक लाया जाता है और एक्स-रे विजन से इसे फिट किया जाता है । इस यह प्रक्रिया ठीक एंजियोप्लास्टी की तरह है जिसमें कमर के आसपास खून की नली में एक छोटा सा छेद किया जाता है । रोगी को एनेसथेसिया की जरूरत कम ही प़ड़ती है । पर इस प्रक्रिया में खर्च सर्जरी के तुलना में ज्यादा होता है ।
डॉ. प्रवीण चंद्रा ने बताया कि एक घंटे में ही इस प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाता है और ३ से ४ घंटे में रोगी को डिस्चार्ज कर दिया जाता है । जबकि इससे पहले सर्जरी में ४ से ५ घंटे का समय लगता था और रोगी को पूरी तरह स्वस्थ होने में तीन महीने लगते थे(नई दुनिया,दिल्ली,31.7.2010)।

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