अब शायद खर्राटे तकलीफदायक न हों। लखनऊ के चिकित्सा विश्वविद्यालय के दन्त संकाय में एक ऐसा उपकरण (मैण्डीबुलर एडवांस डिवाइस) विकसित किया गया है जिसके इस्तेमाल से यह समस्या दूर हो सकती है। लगभग तीन साल पहले तैयार किये गए इस उपकरण पर हुए शोध के नतीजे काफी सकारात्मक हैं। दन्त संकाय में प्रॉस्थोडॉन्टिक्स विभाग के डा.अमनदीप कौर ने इस उपकरण पर शोध किया। इस दौरान खर्राटे लेने वाले 20 लोगों पर इस उपकरण को इस्तेमाल किया गया। लम्बे समय तक इसके प्रयोग के बाद लोगों ने बताया कि इस उपकरण को लगाने के बाद उन्हें खर्राटे नहीं आते हैं। शोध में यह भी सामने आया कि यह उपकरण लगाने से सांस लेने में अवरोध नहीं रहता और खर्राटे बन्द हो जाते हैं। विभागाध्यक्ष डा.पूरनचन्द ने बताया कि आम तौर पर मोटापा और उच्च रक्तचाप खर्राटे आने का मुख्य कारण है। गले का मांस बढ़ने से नींद के दौरान सांसें भी रुकने लगती हैं। मैण्डीबुलर एडवांस डिवाइस सांसों में अवरोध को खोलने में सक्षम है। इसे सोते समय जबड़े के पास लगाया जाता है। हर व्यक्ति के लिए इस उपकरण का आकार अलग होता है इसलिए जांच के बाद ही इसे तैयार किया जाता है। इस कार्य में नाक, कान, गला विभाग और पल्मोनरी विभाग की मदद भी ली जा रही है। शोध के दौरान लोगों को नि:शुल्क उपकरण दिये गए थे(दैनिक जागरण,लखनऊ,29.7.2010)।
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