कॉमनवेल्थ गेम्स के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग ने फरमान जारी किया है कि गेम्स के दौरान खिलाड़ियों व पर्यटकों के इलाज के लिए उन स्वास्थ्यकर्मियों और चिकित्सकों को वरीयता दी जाएगी जो धूम्रपान नही करते है। जो धूोपान करना छोड़ देंगे वे भी यह मौका पा सकते है। इसके लिए अब तक ऐसे 102 डॉक्टरों व 245 पैरामेडिकल स्टाफ की टीम तैयार कर ली गई है। पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट को धूम्रपान करने वाले डॉक्टरों व अन्य पैरामेडिकल स्टाफ की काउंसलिंग की जिम्मेदारी दी गई है। धूोपान नहीं करने वालों को ही गेम्स में चोटिल खिलाड़ियों के करीब जाने दिया जाएगा। कैट्स एम्बुलेस कर्मियों को भी इसे अपनाना होगा। कॉमनवेल्थ गेम्स हेल्थ कमेटी के नोडल अधिकारी डा. परवीन कुमार ने कहा कि अब तक जिन देशों में कॉमनवेल्थ गेम्स संपन्न हो चुके है वहां पर धूम्रपान निषेध कानून का सख्ती से पालन किया गया था। एक प्रतिष्ठित संस्था द्वारा करवाए गए सर्वेक्षण का हवाला देते हुए डा. कुमार ने कहा कि मुंबई में 90.26 फीसद जबकि दिल्ली में 89.76 फीसद युवाओं ने ऐसे माहौल में अपनी खेल प्रतिभा का प्रदर्शन करना पसंद करने की बात कही है जहां धूम्रपान न किया जाता हो। आम जनता के धूोपान करने पर सरकार भले ही अंकुश न लगा पाए लेकिन खिलाड़ियों को इमरजेंसी सेवाएं देने वाले डॉक्टर व अन्य स्टाफ के मामले में ऐसा किया जा सकता है। इस ऐतिहासिक अवसर की अहमियत को समझ कर ज्यादातर स्वास्थ्यकर्मी स्वास्थ्य मंत्रालय के सुझावों के त्वरित पालन के लिए उत्सुक है। इसका संदेश दुनिया भर में जाएगा कि यहां चिकित्सीय सेवाएं देने वाले धूम्रपान नही करते है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तम्बाकू सेवन के दुष्प्रभावों के प्रति जनता को जागरूक करने के लिए 31 मई को हर साल नो टोबैको डे मनाने की घोषणा पहले से ही कर रखी है। संकल्प के अध्यक्ष मेजर (डा.) गुलशन गर्ग ने कहा कि दुनिया भर में दस वयस्क लोगों में से एक मौत का कारण तंबाकू होता है। संभवत: यही कारण है कि स्पोर्ट्स में रुचि रखने वाले इन स्वास्थ्य विरोधी वस्तुओं से परहेज करते है। स्वास्थ्य मंत्री प्रो. किरन वालिया ने कहा कि हमें उम्मीद है मंत्रालय के इस कदम की सराहना दुनिया भर में होगी(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,26.7.2010)।
सिर्फ डॉक्टर और पैरामेडिकल ही क्यों , यह शर्त तो हर कर्मचारी और अधिकारियों पर लागु होनी चाहिए ।
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