शुक्रवार, 2 जुलाई 2010

एड्स के चंगुल में हरियाणा के युवा

हरियाणा में कम उम्र के युवाओं में एड्स तेजी से फैलता जा रहा है। युवाओं को इस जानलेवा बीमारी के चक्रव्यूह से निकालने के लिए हरियाणा एड्स कंट्रोल सोसायटी ने सभी छह विवि और 71 नए कालेजों में रेड रिबन क्लब स्थापित करने का निर्णय लिया है। विवि को एड्स नियंत्रण की गतिविधियां संचालित करने के लिए 50 हजार तथा महाविद्यालय को नौ हजार रुपये वार्षिक प्रदान किए जाएंगे। जिंदगी जिंदाबाद के नारे के साथ राज्य में दो मोबाइल वैन के जरिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और दक्षिण हरियाणा के आधा दर्जन जिलों में युवाओं को एड्स से बचाव की जानकारी दी जाएगी। यह मोबाइल वैन पंचायत चुनाव की आचार संहिता खत्म होते ही घूमना आरंभ कर देंगी। हरियाणा में इस समय 14 हजार एड्स रोगी हैं, जबकि 42 हजार लोगों के इसकी गिरफ्त में होने की आशंका है। 2008-10 के बीच तीन सालों में कम उम्र के युवाओं में एड्स के केस काफी मात्रा में बढ़े हैं। 14 वर्ष की आयु के 408 एचआईवी पॉजिटिव केस सामने आए हैं, जबकि 15 से 20 साल की आयु के 900 किशोरों को एड्स है। राज्य में 14 से 18 साल की आयु के एचआईवी पॉजिटिव किशोरों की संख्या तीन हजार के आसपास है। अफसरों का मानना है कि जागरूकता अभियान में तेजी लाकर किशोरों को एड्स के खतरों से वाकिफ कराया जाएगा। अभी तक मात्र 100 कालेजों में रेड रिबन क्लब कार्यरत थे। अब सभी विश्वविद्यालयों व कालेजों को भी जागरूकता अभियान से जोड़ा जा रहा है। यह कार्य इसी शिक्षण सत्र में पूरा कर लिया जाएगा। राज्य के 3329 स्कूलों में रेड रिबन क्लब संचालित हैं। प्रत्येक स्कूल को एक हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जा रही है, लेकिन अध्यापकों को एससीईआरटी गुड़गांव से विशेष प्रशिक्षण दिलाकर किशोरों को जागरूक बनाने की कवायद भी चल रही है। इस कार्य पर 33 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। हरियाणा एड्स कंट्रोल सोसायटी के अतिरिक्त परियोजना निदेशक डा. राकेश चौधरी के अनुसार, राज्य में एड्स फैलने का 80 फीसदी कारण असुरक्षित यौन संबंध हैं जबकि चार फीसदी केस रक्त प्रत्यारोपण, तीन प्रतिशत संक्रमण और 13 प्रतिशत नशे की वजह से एड्स होता है। हरियाणा में एड्स रोगियों की संख्या पूरे देश का 0.2 प्रतिशत है। एड्स कंट्रोल सोसायटी के संयुक्त निदेशक (आईएमसी) रामकुमार शर्मा ने बताया कि भिवानी में सबसे अधिक एड्स के केस हैं, लेकिन वहां अधिकतर मामले बाहरी खून चढ़ाने की वजह से हैं। उन्होंने बताया कि जागरूकता के लिए सोसायटी के साथ 10 नए एनजीओ को जोड़ा गया है। अब इनकी संख्या 42 हो गई है। राज्य के 6167 साक्षर महिला समूहों के सहयोग से प्रत्येक पखवाड़े जागरूकता गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। इसकी एवज में प्रत्येक समूह को सालाना 10 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी। उनके अनुसार स्कूलों में शिक्षकों के साथ अब सोसायटी का काउंसलर भी विजिट करेगा, ताकि वह किशोरों के सवालों का बखूबी जवाब दे सके(अनुराग अग्रवाल,दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,2.7.2010)।

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