बिहार में सहरसा इलाके में झोलाछाप डॉक्टरों ने इलाज अभी, फीस बाद में की स्कीम चला कर ग्रामीण इलाकों में अपनी जबरदस्त पकड़ बना रखी है। बीमार पड़ने पर 83 प्रतिशत लोग झोला छाप डाक्टरों के पास जाते हैं। मात्र तीन प्रतिशत ही सरकारी अस्पताल का सहारा लेते हैं। सहरसा के सोनबरसा प्रखंड में सेंटर फार हेल्थ एंड रिसोर्स मैनेजमेंट(चार्म) द्वारा किए गए सर्वे में ऐसे ही कई रोचक तथ्य उजागर हुए हैं। चार्म के मुताबिक, सोनबरसा के 54 राजस्व गांवों के 997 घरों में किए गए सर्वे के मुताबिक, जान का खतरा रहने के बावजूद गांवों में लोग बीमार पड़ने पर इन्हीं नीम हकीमों को याद करते हैं। बीमार पड़ने पर 83 प्रतिशत लोग झोला छाप डाक्टरों के पास जाते हैं, जबकि मात्र तीन प्रतिशत ही सरकारी अस्पताल का सहारा लेते हैं। आठ प्रतिशत योग्य प्राइवेट डाक्टर के पास जाते हैं। तीन प्रतिशत तो ओझा-तांत्रिक की शरण में चले जाते हैं। चार्म के कार्यकारी निदेशक डा.शकील बताते हैं कि सरकारी अस्पताल नहीं जाने का कारण पूछने पर इनमें से 50 प्रतिशत का जवाब था कि वहां दवा नहीं मिलती, अस्पताल दूर है और वहां डाक्टर हमेशा नहीं उपलब्ध रहते(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,2.7.2010)।
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