मंगलवार, 20 जुलाई 2010

सेरोगेसी से पहले मुंबई आईवीएफ केंद्र को देनी होगी सूचना

यूरोप के आठ देशों के नागरिकों को सरोगेसी की सुविधा देने से पहले मुम्बई के इन-व्रिटो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) केंद्रों को इन देशों के वाणिज्य दूतावास को सूचना देना जरूरी होगा।

आठों देशों के वाणिज्य दूतावासों ने मुंबई के 10 से अधिक आईवीएफ क्लीनिक को इस संबंध में पत्र भेजकर सूचित किया है। इन देशों में जर्मनी, फ्रांस, पोलैंड, चेक रिपब्लिक, इटली, नीदरलैंड, बेल्जियम और स्पेन शामिल हैं। एक क्लीनिक के डॉक्टर के मुताबिक, इन वाणिज्य दूतावासों का कहना है कि उनके देशों में सरोगेसी कांट्रेक्ट अवैध है। आईवीएफ केंद्रों ने वाणिज्य दूतावासों के इस कदम का स्वागत किया है। फर्टिलिटी विशेषज्ञ डॉ. अंजली मालपानी ने कहा, ‘इसकी जानकारी होना हम सभी लोगों के लिए जरूरी है, जो इसकी प्रेक्टिस कर रहे हैं और विदेशी नागरिकों के संपर्क में आते हैं।’ सरोगेट मदर वह महिला होती है जो किसी दूसरे दंपती का बच्च अपनी कोख में पालती है। आम तौर पर निसंतान दंपती इसका सहारा लेते हैं। भारत में सरोगेसी का बाजार 1000 से 1500 करोड़ रुपए का है। वाणिज्य दूतावासों का यह कदम ऐसे वकत आया है जब इस क्षेत्र के विशेषज्ञ देश में सरोगेसी के लिए कानून बनाने की जरूरत पर जोर दे रहे हैं। सरोगेसी के मेडिकल-विधि विशेषज्ञ अमित खारखानीस ने कहा कि सरोगेसी पर कानून बनाने का मुद्दा सरकार को युद्धस्तर पर उठाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास आईसीएमआर के 2005 के दिशानिर्देश हैं जिन्हें 2008 में अपडेट किया गया था।’ खारखानीस ने कहा कि भारत में आईवीएफ को एक उद्योग नहीं बनने देना चाहिए। इसलिए कानून बनाकर इसका नियमन किए जाने की तत्काल आवश्यकता है(दैनिक भास्कर,मुंबई,16.7.2010)।

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