राजस्थान के सरकारी तथा निजी ब्लड बैंक गुणवत्ता के मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। नेशनल एक्रीडिशन बोर्ड ऑफ हॉस्पिटल्स (एनएबीएच) की ओर से जारी सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदेश के ब्लड बैंकों में खून संरक्षित करने में आधुनिक मशीनों तथा संक्रमण से बचाने की नई तकनीक का उपयोग नहीं किया जा रहा, साथ ही सरकारी अस्पतालों में पुरानी मशीनों से परिणाम सही नहीं मिल रहे हैं।
एनएबीएच के अधिकारी डॉ. बी.के. बाना के अनुसार क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया द्वारा जारी इस साल की गुणवत्ता रिपोर्ट में 18 ब्लड बैंकों की सूची में राजस्थान सहित मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश एवं बिहार आदि के ब्लड बैंक शामिल नहीं हैं, जबकि राज्य के ड्रग कंट्रोलर डी.के. श्रंगी का दावा है कि प्रदेश के ब्लड बैंकों में गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा जाता है। एनएबीएच की सर्वे रिपोर्ट हमें अभी उपलब्ध नहीं हुई है। केंद्र सरकार की ओर से गुणवत्ता सुधारने के लिए जो भी निर्देश दिए जाएंगे, उनका पालन किया जाएगा।
ये मिली कमियां: ब्लड को संरक्षित करने व संक्रमण से बचाने की आधुनिक तकनीक से युक्त मशीन नहीं, कलेक्शन सेंटर से ब्लड बैंक पहुंचाने तक सैंपल को उच्च क्षमता के रेफ्रिजरेटर में स्टोर नहीं किया जाता, क्वालिटी से युक्त ब्लड कंपोनेंट मशीन तथा प्रशिक्षित स्टाफ उपलब्ध नहीं।
ये भी जरूरी: ब्लड बैंकों में आमजन को ब्लड समूहों मात्रा व उपलब्धता का सूचना पट्ट होना चाहिए। प्रोफेशनल डोनर्स को रोकने के लिए बड़े अस्पताल में बायोमीट्रिक मशीन होनी चाहिए। ब्लड बैंकों में विशेष प्रकार के रेफ्रिजिरेटर काम में लिए जाते हैं, जिनसे तापमान नियंत्रित रहता है। इसके अलावा प्लाज्मा, रेड सेल एवं ब्लास्ट फ्रीजर्स, थाविंग बाथ, प्लेटलेट्स इन्क्यूबेटर्स व एजीटेटर्स आदि आधुनिक तकनीक से युक्त मशीनें होनी चाहिए(दैनिक भास्कर,जयपुर,5.7.2010)।
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