रविवार, 18 जुलाई 2010

प्रोटीन का भ्रमजाल

आधुनिक मानव जीवन में जितनी भ्रांतियां प्रोटीन के उपभोग को लेकर हैं, उतनी शायद ही किसी अन्य खाद्य पदार्थ को लेकर हों। मांसपेशियों और हड्डियों के विकास में प्रोटीन की मुख्य भूमिका होती है, यही कारण है कि किशोरावस्था तक शरीर को सबसे अधिक ऊर्जा की जरूरत पड़ती है। इसीलिए कहा जाता है कि आहार में अधिक से अधिक प्रोटीन का समावेश होना चाहिए लेकिन पोषण वैज्ञानिकों द्वारा हाल के वर्षों में की गई खोजों ने प्रोटीन के संबंध में व्याप्त भ्रम को खंडित कर दिया है। वैज्ञानिकों के अनुसार नवजात शिशुओं को प्रोटीन की सर्वाधिक जरूरत होती है, फिर भी उनके लिए सर्वोत्तम आहार मां का दूध है। सच्चाई यह है कि मां के दूध में मात्र पांच फीसदी प्रोटीन ही पाया जाता है। दूसरी ओर आम धारणा है कि वयस्क व्यक्ति को भी ऐसा भोजन करना चाहिए जिसमें अधिक से अधिक प्रोटीन हो, जैसे मांस। मांसपेशियों के निर्माण, रखरखाव में प्रोटीन (एमीनो एसिड) की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। हमारे द्वारा लिए गए भोजन से हमारा शरीर बीस में से नौ एमीनो एसिड को स्वयं निर्मित करता है। मांस और डेयरी उद्योग अपने मुनाफे को बढ़ाने के लिए मांस व डेयरी उत्पाद को प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत बताकर प्रचारित कर रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि फलों व सब्जियों की विभिन्न किस्मों में हमारी जरूरत से अधिक प्रोटीन पाए जाते हैं। अधिकांश फलों में चार से आठ फीसदी प्रोटीन पाया जाता है जबकि सब्जियों में यह अनुपात दस से तीस फीसदी है। यदि हम संतुलित भोजन करते हैं तो निश्चित रूप से पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन मिल जाता है। प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं दालें, सोयाबीन, डेयरी उत्पाद, मटर। उदाहरण के लिए दलहन में २९ फीसदी, मटर में २८ फीसदी, पालक में ४९ फीसदी, गोभी में ४० फीसदी, फलियों में १२-१८ फीसदी और यहां तक कि टमाटर में चालीस फीसदी प्रोटीन पाया जाता है। पोषण वैज्ञानिकों द्वारा अनुशंसित प्रोटीन का प्रतिशत मांस व डेयरी उद्योग द्वारा प्रायोजित अनुसंधान केंद्र द्वारा बताई गई मात्रा से काफी कम है। उदाहरण के लिए "अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन" रोजाना सेवन किए गए भोजन का ढाई फीसदी प्रोटीन लेने की सिफारिश करता है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिश ४.५ फीसदी की है। "फूड एंड न्यूट्रिशन बोर्ड" इस आंकड़े को बढ़ाकर छह फीसदी कर देता है। प्रोटीन की कम जरूरत का एक बड़ा कारण यह है कि हमारा शरीर सौ से तीन सौ ग्राम प्रोटीन को प्रतिदिन पुनर्चक्रित करता है। चूंकि हमारी प्रोटीन की जरूरतें बहुत कम हैं ऐसे में प्रोटीन की अधिकता वाले आहार कई बीमारियों व स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे रहे हैं। अधिक मांस और प्रोटीन लेने से शरीर में कैल्शियम क्षति को बढ़ावा मिलता है जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। इसके विपरीत पौधों से प्राप्त भोजन से हड्डियां मजबूत बनती हैं(रमेश कुमार दुबे,Nai Dunia,Delhi,17.7.2010)।

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