पूरे देश के फार्मेसी स्कूलों में २०१०-११ शैक्षिक सत्र से फार्मा डी नामक छह साल का पाठ्यक्रम शुरू किया जा रहा है । ये फार्मासिस्ट डॉक्टरों के समकक्ष माने जाएंगे । रोगों की पहचान डॉक्टर करेंगे लेकिन मरीज को कौन सी दवा दी जाए, यह तय करने का हक फार्मासिस्टों को होगा । ये फार्मासिस्ट प्रैक्टिस भी करेंगे । फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया की शुक्रवार को हुई बैठक में कहा गया कि वर्ष २०२० आते आते देश के सभी फार्मासिस्ट दवा विशेषज्ञ माने जाएंगे । रोगों से बचाव में उनकी बड़ी भूमिका होगी । राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने भी काउंसिल के सेमिनार का उद्घाटन करते हुए फार्मासिस्टों को सम्मानित करने के प्रस्ताव का समर्थन किया। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. भोजराज सुरेश ने डॉक्टर्स डे की तरह फार्मेसी डे तय करने की भी मांग की है । "फार्मेसी शिक्षा में लेटेस्ट ट्रेंड" विषय पर सेमिनार का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति ने फार्मेसी के बढ़ते महत्व को देखते हुए उसकी शिक्षा की गुणवत्ता को अपडेट करते रहने की जरूरत पर बल दिया(Nai Dunia,Delhi,10.7.2010) ।
इस खबर में तो विरोधाभास नज़र आता है । फिर तो डॉक्टरों और फर्मेसिस्ट्स की लड़ाई होनी शुरू हो जाएगी । कुछ तो अभी भी होती है ।
जवाब देंहटाएंदिग्भ्रमित जनता के सलीब में एक और कील
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