एम्स की तर्ज पर राजधानी के तीन बड़े अस्पतालों को भी सरकार स्वायत्त बनाने की योजना बना रही है। सफदरजंग, राममनोहर लोहिया और लेडी हार्डिग अस्पतालों को स्वायत्त बॉडी द्वारा संचालित किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि इसके पीछे सरकार का तर्क यह है कि अस्पताल चलाना सरकार का काम नहीं है। स्वतंत्र निकाय इसका बेहतर तरीके से संचालन कर सकती है। इसलिए सरकार ने यह फैसला किया है। इन तीनों अस्पतालों को इस बारे में सूचित कर दिया गया है। इस की भनक लगते ही डाक्टरों ने एतराज जताया है। अगर ये तीनों अस्पताल स्वायत्त बॉडी द्वारा संचालित होती है तो सबसे ज्यादा परेशानी मरीजों को उठानी पड़ेगी। इनमें इलाज कराना गरीबों के लिए आसान नहीं रह जाएगा। सूत्रों का कहना है कि मरीजों को इलाज की हर सुविधा के लिए शुल्क अदा करना पड़ेगा। इन अस्पतालों में नॉन टीचिंग स्टाफ के लिए कोई जगह नहीं होगी। सीएमओ, एफएसजी और जीडीएमओ जैसे पद नहीं होंगे। डाक्टरों को न तो टाइम बांड प्रमोशन मिल पाएगा और न ही पेंशन की सुविधा। यूं कहें कि आईएएस अधिकारी के दिशा-निर्देश पर अस्पताल का संचालन होगा। इस बारे में आरएमएल के डाक्टरों ने नाराजगी जताई है। डा. राजीव सूद ने कहा कि हमने बैठक कर सरकार के इस फैसले का एक मत से विरोध किया है। किसी भी सूरत में हमें यह मंजूर नहीं है। यह मरीजों, डाक्टरों एवं कर्मचारियों के हितों की अनदेखी है। इस मद्दे पर सोमवार को सफदरजंग अस्पताल में भी बैठक की गई। इसमें 250 से अधिक डाक्टरों ने हिस्सा लिया। सभी ने एक स्वर में सरकार की स्वायत्त की बात पर एतराज जताया है(राहुल आनंद,दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,13.7.2010)।
हैरान करने वाली खबर है ।
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