मंगलवार, 13 जुलाई 2010

उत्तेजक नामों से नहीं बिक सकेंगी आयुर्वेदिक दवाएं

अब आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माता लोगों को आकर्षित करने के लिए अपने प्रोडक्ट का नाम ‘उत्तेजक’ नहीं रख सकेंगे। आयुर्वेदिक विभाग को ऐसे उत्तेजक नामों पर कड़ी आपत्ति है। विभाग ने ऐसे नामों की मंजूरी के लिए आने वाले दवा फामरूलों की फाइलों को नामंजूर कर वापस लौटाना शुरू कर दिया है। लुधियाना में हाल ही में पंद्रह दवा फामरूलों को सिर्फ नाम पर आपत्ति जताते हुए वापस लौटा दिया गया। जब आयुर्वेदिक दवा निर्माता कंपनी ने प्रोडक्ट का नाम बदला, तब जाकर फाइल आगे बढ़ी। अफसरों का कहना है कि आयुर्वेद पद्धति की बदनामी को रोकने के लिए ऐसा किया जा रहा है, क्योंकि उत्तेजक नामों से लोगों की आयुर्वेद के प्रति गलत राय बन जाती है। इसलिए दवा निर्माताओं को कहा जाता है कि वे प्रोडक्ट का ऐसा नाम रखें, जिससे उत्तेजना की बजाय आयुर्वेद की झलक दिखे। लुधियाना में करीब चार दर्जन फार्मेसी हैं। इन फार्मेसी को किसी भी दवा को बनाने से पहले उसका फामरूला आयुर्वेदिक विभाग के पास भेजना पड़ता है। इसमें दवा का नाम, लैटिन नेम, दवा में इस्तेमाल कंपोनेंट, दवा के लिए रेफरेसं बुक का ब्यौरा, दवा बनाने की विधि व डोज के अलावा पूरी जानकारी देनी पड़ती है। जिला आयुर्वेदिक विभाग के पास फाइल जमा होने के बाद तीन मेंबरी कमेटी के पास चली जाती है, जो फार्म में दिए गए ब्यौरों की वेरिफिकेशन करती है। कमेटी संतुष्ट हो जाए तो जिला आयुर्वेदिक अफसर कम ड्रग इंस्पेक्टर फाइल को डायरेक्टर आफिस भेज देते हैं। आला अफसरों ने निर्देश दे दिए हैं कि जिन प्रोडक्ट का नाम उत्तेजक हो, उनकी फाइल रोक ली जाए। इसके अलावा ऐसे फामरूलों के आवेदन भी रद्द करने को कह दिया गया है, जिसमें आयुर्वेद पद्धति के उलट दावा किया गया हो। बताते हैं कि लुधियाना में एक फार्मेसी की ओर से मैन इन वन नाम से फामरूले की मंजूरी को विभाग ने रिजेक्ट कर दिया जबकि हाइटेक्स कैप्सूल नाम को भी बदलने के लिए कहा। जिला आयुर्वेदिक अफसर डा.नरिंदर ढंड ने बताया कि दवा निर्माताओं को कहा गया है कि वे प्रोडक्ट का ऐसा नाम रखें, जिनसे पता चले कि वह आयुर्वेदिक दवा है। उन्होंने कहा कि उत्तेजक नाम सेक्स से संबंधित दवाओं में इस्तेमाल होते हैं। इससे कई बार लोगों में धारण बन जाती है कि आयुर्वेदा में सिर्फ सेक्स समस्याओं का ही समाधान होता है। जब दवा निर्माता नाम बदलकर फाइल लाते हैं, तब उन्हें बिना आपत्ति के फारवर्ड कर दिया जाता है। प्रचार में नहीं इस्तेमाल होंगी उत्तेजक तस्वीरें : फार्मेसियों को नाम ही नहीं बल्कि प्रोडक्ट के प्रचार में भी उत्तेजक तस्वीरें हटानी होंगी। हाल ही में चंडीगढ़ में बैठक हुई। इसमें सभी जिलों के आयुर्वेदिक अफसरों को निर्देश दिए गए हैं कि प्रोडक्ट के प्रचार में उत्तेजक तस्वीरों का इस्तेमाल करने वाली फार्मेसियों को नोटिस निकाले जाएं(दैनिक भास्कर,लुधियाना,13.7.2010)।

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