शुक्रवार, 9 जुलाई 2010

कमजोर कर रहे रोगों पर जागी सरकार

देश की उत्पादन क्षमता को खोखला कर रहे कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग व स्ट्रोक जैसे गैर संक्रामक रोगों के भयावह आंकड़ों से आखिर केंद्र सरकार की आंख खुल गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन रोगों से बचाव व उनके नियंत्रण के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जिस राष्ट्रीय कार्यक्रम को मंजूरी दी है, उसे बहुत पहले शुरू करना चाहिए था । कार्यक्रम ठीक से लागू हो तो शहरी जीवन शैली की चपेट में आ रही ग्रामीण आबादी को इन रोगों से बचाया जा सकता है। ११वीं योजना के बचे दो साल में देश के सौ जिलों के लिए तय कार्यक्रम में १२३० करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे । फोर्टिस अस्पताल में "डिपार्टमेंट ऑफ डायबिटीज एंड मेटाबॉलिक डिजीज" के निदेशक डॉ. अनूप मिश्रा ने कहा कि खराब जीवन शैली जनित ये रोग लोगों को उस उम्र में अपनी चपेट में ले रहे हैं जो काम करने की उम्र है । अब ३० वर्ष पहुंचते पहुंचते ये रोग दबोचने लगे हैं । अगर भारत को एक आर्थिक महाशक्ति बनना है तो उत्पादन क्षमता को खोखला करने वाले इन रोगों पर लगाम लगाना जरूरी है। इस कार्यक्रम से इन रोगों का प्रारंभिक अवस्था में ही पता लगाकर उसे ठीक किया जा सकता है । गांवों के लोगों में इन रोगों के प्रति चेतना का खासा अभाव है। नोएडा स्थित मेट्रो अस्पताल के निदेशक व हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पुरुषोत्तम लाल ने कहा कि अब भारी संख्या में गांवों के लोग भी दिल के मरीज बन रहे हैं । पुष्पांजलि क्रॉसले के कैंसर विशेषज्ञ डॉ. दिनेश सिंह ने कहा कि गांवों से कैंसर के मरीज आ रहे हैं लेकिन वे डॉक्टर के पास तब आ रहे हैं जब रोग तीसरे या चौथे चरण में पहुंच जाता है । कार्यक्रम में ३० साल से अधिक उम्र के लोगों की मुफ्त जांच की जाएगी । इन गैरसंक्रामक रोगों के इलाज के लिए क्लिनिक भी खुलेंगे। ७ करोड़ से अधिक वयस्क लोगों के मधुमेह और उच्च रक्त चाप की जांच की जाएगी ताकि इन रोगों का इलाज शुरुआत में ही हो सके। मधुमेह, हृदय वाहिनी रोगों व स्ट्रोक के मद में ४९९.३८ करोड़ एवं कैंसर नियंत्रण में ७३१.५२ करोड़ खर्च होंगे(धनंजय,नई दुनिया,दिल्ली,9.7.2010) ।

इसी विषय पर आज अमर उजाला की रिपोर्ट कहती हैः गैर संचारी रोग मधुमेह, कैंसर और दिल की बीमारी की रोकथाम के लिए केंद्र सरकार राष्ट्र्रव्यापी अभियान शुरू करेगी। कैबिनेट की बैठक में स्वास्थ्य मंत्रालय की इस महत्वाकांक्षी योजना को हरी झंडी दे दी गई। इससे ३० साल की उम्र पार कर चुके सभी युवाओं की स्वास्थ्य जांच सुनिश्चित हो जाएगी। पहले चरण में योजना १५ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चलाई जाएगी। योजना पर खर्च होने वाली राशि में ८० फीसदी केंद्र और २० फीसदी राज्य सरकार खर्च करेगी। योजना आयोग ने ११वीं पंचवर्षीय योजना में इस कार्यक्रम के लिए १२३०.९० करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इनमें से ४९९.३८ करोड़ रुपये मधुमेह और हृदय रोग की रोकथाम पर खर्च होंगे और ७३१.५२ करोड़ रुपये कैंसर के लिए। स्वास्थ्य मंत्रालय के अफसरों की मानें तो यह सबसे बड़ा राष्ट्रीय कार्यक्रम होगा। मधुमेह, हृदय रोग व कैंसर से ४२ फीसदी लोग मरते हैं। ३५ से ६४ वर्ष की आयु के लोगों की मौत से आर्थिक पहलू प्रभावित होता है। क्योंकि यह उम्र उत्पादकता से जुड़ी होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की २००२ की रिपोर्ट के अनुसार, २०२० तक हृदय रोग से मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा होगी। गैर संचारी रोगों के कारणों में रक्तचाप, कॉलेस्ट्राल, तंबाकू उपयोग, कम शारीरिक परिश्रम, शराब का सेवन और मोटापा शामिल हैं। कैबिनेट के फैसले के तहत देश के १०० जिलों के २०,००० स्वास्थ्य उपकेंद्रों व ७०० सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जीवन शैली से जुड़े रोगों की जांच की जाएगी। स्वास्थ्य जागरूकता के लिए भी कार्यक्रम चलेंगे। ३० साल से ऊपर के लगभग सात करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग का अनुमान है। शुरुआती दौर में रोग का पता चलने पर उपचार आसान हो जाएगा। योजना को सफल बनाने के लिए ३२,००० स्वास्थ्य कार्यकर्ता प्रशिक्षित किए जाएंगे।

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