गर्दन का फ्रैक्चर होने पर अब कॉलर लगाने की जरूरत नहीं है। बल्कि एक स्क्रू ड़ालकर ही हड्डी को फिक्स किया जा सकता है। इससे पेशेंट्स के हाथ-पैरों लकवा आने की आशंका नहीं रहती। ना ही पेशेंट को सांस लेने में तकलीफ होती है।
राजस्थान में पहली बार जयपुर के एक हॉस्पिटल में गर्दन का टाइप-3 फ्रैक्चर होने पर सर्जरी करके स्क्रू डाला गया है। इसमें पेशेंट को पांच दिन बाद हॉस्पिटल से छुट्टी मिल जाती है। वह गर्दन को आसानी से घूमा सकता है। जबकि अभी तक पेशेंट को कॉलर यूज करनी पड़ती थी। न्यूरोसर्जन डॉ. हेमंत भरतिया ने बताया कि 44 वर्षीय पेशेंट का ऑपरेशन कर स्क्रू डाला गया है। एक्सीडेंट में उसे यह फ्रैक्चर हो गया था। इससे जल्दी हड्डी फिक्स होने की वजह से वह गर्दन को घूमा सकता है। उसे कॉलर लगाने की जरूरत भी नहीं होती(प्रणीता भारद्वाज,राजस्थान पत्रिका,9.7.2010)।
यह तो बड़ा क्रांतिकारी चिकित्सकीय कदम है ।
जवाब देंहटाएंफ्रेक्चर होने के कितनी देर बाद ओपरेशन किया जा सकता है , कृपया यह भी बताएं ।
बहुत अच्छी खबर !!
जवाब देंहटाएंदेखिये आधी अधूरी जानकारी न दें नहीं तो ब्लाग भी मीडिया के समान हो जाएगा .
जवाब देंहटाएंगर्दन का फ्रैक्चर होने पर अब कॉलर लगाने की जरूरत नहीं है?
गर्दन का फ्रेक्चर ठीक से नहीं ध्यान देने पर जान लेवा भी हो सकता है