पंजाब में आयरन की गोलियों के बाद अब पेट में कीड़े मारने वाली दवा का मौजूदा स्टॉक के इस्तेमाल पर भी पाबंदी लगा दी गई है। यह पाबंदी रायचक्क के सरकारी हाई स्कूल में दवा खाने के बाद छात्राओं के बेहोश होने की घटना के बाद लगाई गई है।
इससे पहले विभाग सिर्फ गुरदासपुर में ही दवा पर रोक लगाई गई थी,लेकिन अब अफसरों ने एहयितातन पूरे राज्य में दवा का इस्तेमाल तब तक रोक दिया है, जब तक सैंपलों की रिपोर्ट नहीं आ जाती। जानकारी के मुताबिक पंजाब में स्कूली बच्चों को पेट में कीड़े मारने के लिए स्कूल हेल्थ प्रोग्राम के तहत एलबेंडा जोल की गोली दी जाती है। इसमें बच्चों को सिंगल डोज दी जाती है। उक्त दवा एक साल पहले मंगाई गई थी। विभाग ने 26 जून 2009 को मेसर्ज इंड स्विफ्ट लिमिटेड कंपनी को आर्डर देकर एलबेंडा जोल चार सौ मिलीग्राम की गोलियां
मंगाईं थी। कुछ दिन पहले रायचक्क के सरकारी हाई स्कूल में 16 छात्राएं उक्त दवा खाने के बाद बेहोश हो गईं थी। घटना के बाद विभाग ने गुरदासपुर जिले में दवा का इस्तेमाल रोक दिया था। अब पंजाब हेल्थ सिस्टम कापरेरेशन के डिप्टी डायरेक्टर (परचेज) राजीव शर्मा की ओर से सिविल सर्जनों को भेजी हिदायतें में कहा है कि किसी भी जिले में उक्त गोलियों का प्रयोग न किया जाए।
उनके मुताबिक छात्राओं के बेहोश होने की वजह पूरे मामले की जांच की जा रही है, जिसके लिए दवा के सैंपल लेकर टेस्टिंग के लिए लेबोरेटरी में भेजे हुए हैं। उनका निर्देश है कि सभी सीनियर मेडिकल अफसरों को तक हिदायतें पहुंचा दी जाए। इससे पहले अमृतसर के एलीमेंटरी स्कूल में बच्चों के बीमार हो जाने से आयरन की गोलियों का इस्तेमाल पहले ही रोका हुआ है(दैनिक भास्कर,लुधियाना,4 जून,2010)।
विद्यालयों में दवा का वितरण एक ज़बरदस्त विचार है परन्तु स्कूलों को दवाओं के स्वच्छ और स्वस्थ रख-रखाव के बारे में भी प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए.
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