विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) बाजार में बच्चों की दवाओं की बाढ़ को लेकर चिंतित है। डब्ल्यूएचओ ने 12 साल तक के बच्चों के लिए 240 आवश्यक दवाओं की एक मॉडल सूची जारी की है। साथ ही चिकित्सकों के लिए इसकी खुराक और दुष्परिणाम के भी निर्देश जारी किए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि सूची मिलने के बाद वह इसे लागू करने पर विचार करेगा। डब्ल्यूएचओ में आवश्यक दवाओं और फार्मास्युटिकल नीतियों के निदेशक डॉ. एच. होगरजैल ने कहा कि अनेक देशों ने व्यक्तिगत रूप से बच्चों को दी जाने वाली दवाओं की सूची तैयार की है। लेकिन अब तक ऐसे कोई भी व्यापक दिशा-निर्देश जारी नहीं हुए थे, जिनको दुनिया के सभी देश लागू कर सकें। इन निर्देशों में बीमार बच्चों की आयु और वजन के अनुसार खुराक बताई गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा योजना के महानिदेशक डॉ. आर के श्रीवास्तव ने कहा कि वर्तमान में दवाओं की तेजी से बढ़ रही संख्या को देखते हुए इस तरह की सूची बहुत ही आवश्यक है। उनका कहना है कि डब्ल्यूएचओ की माडल सूची मिलने के बाद मंत्रालय इसे लागू करने पर अवश्य विचार करेगा। डॉ. श्रीवास्तव ने कहा, हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि सूची में दी गई दवाएं हमारे देश में आसानी से उपलब्ध हैं कि नहीं। उनकी कीमत कितनी है? हमारा प्रयास रहता है कि बच्चों के इलाज के लिए ऐसी दवाएं उपलब्ध हों जो आसानी से उचित मूल्य पर सभी जरूरतमंद लोगों को मिल जाएं। डब्ल्यूएचओ का मानना है कि बच्चों को इलाज के दौरान उचित और सही खुराक दिया जाना बेहद जरूरी है। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में हर साल पांच वर्ष से कम आयु के करीब 8 लाख बच्चों की मौत हो जाती है। इनमें से ज्यादातर को सही समय पर दवा की उचित खुराक देकर टाला जा सकता है(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,21.6.2010)।
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