मंगलवार, 1 जून 2010

हृदय रोगों के इलाज़ में क्रांति की उम्मीद

शोधकर्ताओं ने एक ऐसा कंप्यूटर प्रोग्राम डेवलप किया है जो किसी के शरीर में रक्त प्रवाह की जटिल प्रक्रिया का सटीक मॉडल है। यह सुपर कंप्यूटर हृदय रोग के खतरनाक होने से काफी पहले ही इसकी पहचान करने में सक्षम है। स्विट्जरलैंड स्थित ईपीएफएल लैबोरटरी ऑफ मल्टीस्केल माडलिंग ऑफ मटैरियल्स के शोधकर्ताओं ने कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम का थ्रीडी मॉडल तैयार किया है।
इकोल पॉलीटेक्निक फेडरले दे लुसाने (ईपीएफएल) ने अगस्त 2009 में लगाए गए सुपर कंप्यूटर कैडमोज ने अपने पहले फल का स्वाद चखा है। लैबोरटरीज ऑफ मल्टीस्केल मॉडलिंग ऑफ मैटैरियल्स ने हाल में एक ऐसा कंप्यूटर प्रोग्राम डेवलप किया जो कि किसी व्यक्ति के शरीर में रक्त प्रवाह की जटिल पक्रिया का सटीक माडल है। यह माडल सुपर कंप्यूटर की मदद से कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम का गहन अध्ययन करके हृदय संबंधी रोगों की संभावना की पहले ही पहचान कर लेता है।
इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे शोधकर्ताओं की अगुवाई कर रहे सिमोन मेलचिवोना का कहना है अगले दो या तीन सालों में इस प्रोग्राम को पर्सनल कंप्यूटर के लिए डेवलप करने की योजना है जिससे इसका उपयोग इलाज के लिए किया जा सके। सिमोन कहते हैं कि धमनियों में बहते हुए रक्त का अध्ययन करते अलग-अलग समय और विभिन्न प्रकार के आकार में होने वाले तरल पदार्थो के इंटरैक्शन का खास तौर से ध्यान रखना होता है। संपूर्ण हार्ट स्कैन पर आधारित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 1 करोड़ लाल रक्त कोशिकाओं वाले तरल द्रव्य के 1 अरब से अधिक अलग-अलग इंटरैक्शन प्राप्त किए हैं। रिसर्च टीम ने एक और सुपर कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हुए इस प्रोग्राम का और अधिक परिष्कृत रूप तैयार किया है। यह पोग्राम प्लाज्मा,रड ब्लड सेल्स और माइक्रोपार्टिकल्स के इंटरैक्शन को विजुअलाइज करने में सक्षम है। मेलचिओना का कहना है कि हम इस प्रोग्राम की मदद से हम सभी पहुलओं का आकलन कर सकते हैं कि कैसे ये एक दूसर के साथ इंटरएक्ट करते हैं। यह पोग्राम किसी के शरीर में रक्त के प्रवाह में बाधा पहुंचने वाले कारक की पहचान कर लेता है। जब किसी व्यक्ति के शरीर में रक्त के प्रवाह में बाधा आती है तो व्यक्ति के शरीर में रक्त पहुंचाने वाली नलिकाओं को ब्लॉकेज हो जाता है जिससे व्यक्ति को हार्ट अटैक होता है। दुनिया में हार्ट अटैक से होने वाली कुल मौतों में से 12 फीसदी मौतें इसी कारण से होतीं हैं। विकसित देशों में यह दर 16 फीसदी के आसपास है क्योंकि यहां लोगों के खाने में कोलेस्स्ट्राल की मात्रा अधिक होती है। दुनिया भर में हार्ट से जुड़ी बीमारियों के कारण बड़ी संख्या में लोगों की मौत होती है। आने वाले समय में हार्ट से जुड़ी बीमारियों की स्कैनिंग के लिए अगर इस कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जा सका तो चिकित्सा जगत में एक बड़ी क्रांति हो जाएगी। समय से हार्ट से जुड़ी बीमारियों की संभावनाओं के पहचान से आने व्यक्ति का समय रहते इलाज शुरू हो जाएगा जिससे बीमारी खतरनाक स्थिति में पहुंचने से पहले ही ठीक की जा सकेगी। भारत जैसे देशों के लिए यह कंप्यूटर प्रोग्राम काफी उपयोगी हो सकता है। भारत में हार्ट से जुड़ी बीमारियों से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो जाती है। इस तकनीक की मदद से हार्ट से जुड़ी बीमारियों की संभावना का अनुमान पहले से ही लगाया जा सकता है जिससे उसके कारणों को दूर करके बीमारी को गंभीर स्थिति में पहुंचने से पहले ही खत्म किया जा सकता है(नया दौर,बिजनेस भास्कर,24 मई,2010)।

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