आज अंतरराष्ट्रीय तंबाकू निषेध दिवस है। लोग पहले शौक से और बाद में आदतन तंबाकू का सेवन करने लगते हैं। तंबाकू के व्यसन से मुक्ति के लिए संसद ने सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिबंध और व्यापार तथा वाणिज्य उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनियमन) अधिनियम, 2003 (सीओपीटीए) बनाया गया है जो 2 अक्टूबर 2008 से पूरे देश में लागू है। इसे कार्यरूप देने में प्रशासन कितना कामयाब हुआ है,इस बारे में कुछ न कहना ही अच्छा। छोटे-छोटे बच्चे तम्बाकू उत्पाद बेचते जहां-तहां दिख जाएंगे। इन पर न तो शासन की नजर है और न ही सामाजिक संगठनों की। उल्टा,सभी जगहों पर "स्मोकिंग जोन" बनाए जा रहे हैं ताकि धूम्रपान करने वालों को और आसानी हो। नतीज़ा-नशा करने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि। गुटखा और सिगरेट के रैपर व पैकेट पर जो चेतावनी छपती है, उससे लगता नहीं कि लोगों में कोई जागरुकता फैली है। बहरहाल,तम्बाकू उत्पादों के सेवन से मुख कैंसर की बात तो सब जानते ही हैं, मगर इंदौर में चोइथराम नेत्रालय के निदेशक डाक्टर प्रतीप व्यास,नई दुनिया के सेहत परिशिष्ट,मई द्वितीय में बता रहे हैं कि इनका आंखों पर क्या असर पड़ता हैः
तंबाकू पूरे शरीर के साथ आँखों पर भी विपरीत असर डालती है। धूम्रपान करने वालों की आँखों में जलन से लेकर अंधत्व तक कोई भी समस्या खड़ी हो सकती है। उच्च रक्तचाप और मधुमेह से पीड़ितों को तो धूम्रपान से तौबा कर ही लेना चाहिए, क्योंकि इससे रक्त में निकोटिन का स्तर बढ़ जाता है, जो रेटीना के लिए घातक होता है। धूम्रपान करने का अर्थ है शरीर को अंदर से खोखला करना। तंबाकू के हानिकारक दुष्प्रभावों की जड़ निकोटिन है, क्योंकि इसमें मौजूद कई ऑक्सीडेंट्स आँखों को नुकसान पहुँचाने के लिए जिम्मेदार हैं। धूम्रपान करने वालों के परिजनों को भी यह जोखिम हमेशा बना रहता है। कई बार धूम्रपान नहीं करने वालों की आँखें सिगरेट या बीड़ी के गुल से जल जाती हैं।
आँखों की सतह पर धूम्रपान का प्रभाव
धूम्रपान करने वालों की आँखों को तंबाकू के जहरीले धुएँ में मौजूद रसायनों से कंजक्टिवा के ग्लोबलेट सेल्स क्षतिग्रस्त हो सकते हैं, जिनसे आँख की सतह पर नमी बनी रहती है। इसी तरह धुएँ में मौजूद कारबन पार्टीकल्स पलकों पर जमा हो सकते हैं, इससे भी आँखों की नमी और गीलापन खत्म हो सकता है। आँखों का गीलापन या नमी खत्म होने से आँखें शुष्क हो सकती हैं, जिससे हमेशा किरकिराहट का अहसास बना रह सकता है। हमेशा यह लगेगा कि आँख में कोई कचरा चला गया है। लंबे समय तक शुष्क बने रहने से नजर धुँधला भी सकती है।
चूने की थैली से गई आंखें
जो लोग जर्दा या तंबाकू मसलकर खाते हैं वे साथ में चूने का पाउच भी रखते हैं। आमतौर पर गीला चूना पॉलीथिन के बैग में रखा जाता है ताकि गर्मियों के मौसम में सूख न जाए। लापरवाही से छोड़ी गई इस सफेद थैली को छोटे बच्चे अक्सर खेल-खेल में उठा लेते हैं और दबाकर देखते हैं। दबाते ही चूना सीधा आँख में चला जाता है। चूना आँखों की सतह को क्षतिग्रस्त कर देता है। अनुभव के आधार पर कहा जा सकता है कि कई बच्चों की आँखें इसी वजह से हमेशा के लिए खराब हो चुकी हैं। तंबाकू का एक साइड इफेक्ट यह भी है।
धूम्रपान से आँखों की अन्य समस्याएँ
मोतियाबिंद :
देश-विदेश में हुए कई अध्ययनों से पता चला है कि तंबाकू का सेवन करने वालों में मोतियाबिंद दूसरों के मुकाबले ज्यादा जल्दी घर कर लेता है। इसी तरह न्यूक्लियर और पोस्टियर पोलर किस्म के कैटरेक्ट भी इन्हीं लोगों को छोटी उम्र से ही होने लगते हैं।
काला मोतिया :
काला मोतिया के मामलों में हुए कई अध्ययन सुझाते हैं कि तंबाकू के सेवन से इंट्रा ऑक्यूलर प्रेशर बढ़ता है, जिन्हें कालामोतिया है और वे बूँद की दवा डालते हैं उन्हें इंट्रा ऑक्यूलर प्रेशर को नियंत्रित रखने में दूसरों के मुकाबले अधिक समस्या आती है।
उम्र आधारित मेक्यूलर डिजनरेशन :
कई अध्ययनों से पता चला है कि धूम्रपान-तंबाकू का सेवन करने वालों को दूसरों के मुकाबले उम्र आधारित मेक्यूलर डिजनरेशन का जोखिम दुगुना रहता है।
एम्बलायोपिया और ऑप्टिक न्यूरोपैथी :
तंबाकू सेवन का सबसे बुरा नतीजा है एम्बलायोपिया और ऑप्टिक न्यूरोपैथी। तंबाकू में मौजूद निकोटिन रेटीना और ऑप्टिक नर्व के सेलों पर घातक प्रभाव छोड़ते हैं। दृष्टि के लिए रेटीना और ऑप्टिक नर्व महत्वपूर्ण होती है। लंबे समय तक तंबाकू के सेवन के आँखों को अपूरणीय क्षति हो सकती है।
थायरॉयड, मधुमेह और उच्च रक्तचाप :
*इन बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को तंबाकू का किसी भी रूप में सेवन घातक साबित होता है। इससे रक्त में निकोटिन और ऑक्सीडेंट्स का स्तर बढ़ जाता है।
*टॉक्सीक एम्बलायोपिक व ऑप्टिक न्यूरोपैथी जैसी बीमारियाँ पैदा हो सकती हैं।
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