परिचय
साइड-इफेक्ट से डरते हैं तो होमियोपैथी अपनाएं। हालांकि हाल में होमियोपैथी चिकित्सा को लेकर बवाल मचा है, लेकिन अभी भी ज्यादातर लोगों की इच्छा इसी चिकित्सा पद्धति से इलाज कराने की होती है। सस्ती और विश्वसनीय। होमियोपैथी चिकित्सा पध्दति का जनक जर्मन फिजिशियन फ्रेडरिक सैमुएल हैनिमैन को माना जाता है। उनके द्वारा विकसित लॉ ऑफ सिमिलर्स को होमियोपैथ का आधारभूत सिध्दांत माना जाता है। भारत में होमियोपैथी चिकित्सा का आरंभ (बंगाल से) 19वीं शताब्दी के दूसरे-तीसरे दशक से हो गया था। आजादी के बाद 1952 में भारत सरकार ने होमियोपैथिक एडवाइजरी कमिटी का गठन किया, जिसकी सिफारिशों के आधार पर 1973 में एक्ट बनाकर इस चिकित्सा पध्दति को मान्यता प्रदान की गई। होमियोपैथी में रिसर्च के लिए 1978 में स्वतंत्र सेंट्रल काउंसिल की स्थापना की गई।
डॉक्टरों की है कमी
लोगों के बीच होमियोपैथिक चिकित्सा की जितनी मांग बढ़ रही है, उस अनुपात में पर्याप्त चिकित्सक नहीं हैं। यदि आप अपने आस-पास होमियोपैथिक डॉक्टर ढूंढने लगें, तो कई बार इसमें काफी परेशानी होती है। आज भी किसी शहर में बड़ी मुश्किल से आठ-दस या इससे भी कम होमियोपैथिक डॉक्टर मिलेंगे। इस कमी को देखते हुए इस क्षेत्र में संभावनाओं कई द्वार खुलते हैं।
संभावनाएं
एक कारगर चिकित्सा पध्दति होने और बढ़ती लोकप्रियता के कारण होमियोपैथिक डॉक्टरों की मांग तेजी से बढ़ रही है। होमियोपैथ का एक अच्छा प्रैक्टिशनर आज प्रतिदिन तीन-चार हजार रुपए आराम से कमा लेता है। भारत में एलोपैथी और आयुर्वेद के बाद होमियोपैथी तीसरी सर्वाधिक लोकप्रिय चिकित्सा पध्दति है। आज यह सबसे तेजी से आगे बढ़ रही है, जिस कारण अब होमियोपैथी का क्षेत्र उपेक्षित नहीं माना जाता। यदि होमियोपैथ डॉक्टर बनने में आपकी रुचि है, तो आप इससे संबंधित कोर्स करके इस क्षेत्र में कदम बढ़ा सकते हैं। वैसे, आपको ऐसे लोग भी मिल जाएंगे, जो होमियोपैथी की किताबों का गूढ़ अध्ययन करके प्रैक्टिस कर रहे हैं।
दरअसल, ऐसा वे होमियोपैथी के प्रति अटूट लगाव और अपने शौक के कारण करते हैं। इससे उन्हें समाज सेवा का सुख भी मिलता है। यदि आप किसी कारण एमबीबीएस या उसके समकक्ष कोर्स में दाखिला नहीं ले पाए हैं, तो निराश न हों। अभी भी आप देश भर में फैले होमियोपैथिक कॉलेजों से कोर्स करके डॉक्टर बन सकते हैं। इसकी मांग भी वैसी ही है जितनी किसी एलोपैथ या आयुर्वेद के डॉक्टर की। फिर इस क्षेत्र में कॅरियर बनाने में क्या गुरेज।
भारत में होमियोपैथी शिक्षा
भारत में होमियोपैथी शिक्षा की शुरुआत 1983 में ग्रेजुएट लेवल और डिप्लोमा कोर्स से हुई। इस समय देश में 186 होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें से 35 गवर्नमेंट कॉलेज हैं। शेष निजी संस्थाओं द्वारा संचालित हैं। इनमें दाखिला लेकर भविष्य उज्ज्वल बनाई जा सकती है।
कोर्स और योग्यता
होमियोपैथी डॉक्टर बनने के लिए कई कोर्स हैं। इनमें सबसे आरंभिक कोर्स है-बैचलर ऑफ होमियोपैथिक मेडिसिन ऐंड सर्जरी यानी बीएचएमएस। इसमें एडमिशन के लिए आपको फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी और अंग्रेजी विषयों के साथ कम से कम 45 प्रतिशत अंकों से बारहवीं उत्तीर्ण होना होगा। बीएचएमएस में प्रवेश एमबीबीएस की तरह ऑल इंडिया एट्रेंस एग्जामिनेशन के माध्यम से होता है। इस कोर्स की कुल अवधि साढ़े पांच वर्ष है, जिसमें 6 माह की इंटर्नशिप भी शामिल है।
इसके बाद डिप्लोमा इन होमियोपैथिक मेडिसिन ऐंड सर्जरी यानी डीएचएमएस किया जा सकता है। इसकी अवधि चार वर्ष है। इस क्रम में होमियोपैथ में एमडी भी किया जा सकता है, जिसकी निर्धारित अवधि तीन वर्ष है। यह पोस्ट ग्रेजुएट लेवल का कोर्स है। इसके तहत पीडियाट्रिक्स, मेटेरिया मेडिका, होमियोपैथिक फिलॉसफी, रेपर्टरी, साइकियाट्री, फार्मेसी, आर्गेनन ऑफ मेडिसिन आदि में विशेषज्ञता हासिल की जा सकती है।
कैसे लें दाखिला
बीएचएमएस में एडमिशन ऑल इंडिया कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (एआईसीईटी) के माध्यम से होता है। यह टेस्ट ऑल इंडिया इंजीनियरिंग ऐंड मेडिकल कॉलेजेज एसोसिएशन (एआईएमईसीए) द्वारा आयोजित किया जाता है। यह टेस्ट वर्ष में एक बार आयोजित किया जाता है। इसके लिए आवेदन सामान्यतया अक्टूबर माह में जारी किए जाते हैं। उसी समय प्रवेश परीक्षा के तिथि की घोषणा भी की जाती है। एआईएमईसीए का एग्जामिनेशन ऑफिस चेन्नई में है। इस बारे में अधिक जानकारी इसके वेबसाइट www.aimeca.org, www.aicet.org से हासिल की जा सकती है।
यहां है नौकरी
कोर्स करने के बाद गवर्नमेंट या प्राइवेट हॉस्पिटल में होमियोपैथी डॉक्टर के रूप में नौकरी मिल सकती है। इसके अलावा क्लिनिक, चैरिटेबल इंस्टीटयूट, रिसर्च इंस्टीटयूट, मेडिकल कॉलेजों में भी काम मिल सकता है। इन सभी के अलावा प्राइवेट प्रैक्टिस भी कर सकते हैं।
एसोचैम के आंकड़े
भारत में होमियोपैथी का बाजार इस समय करीब 12.5 बिलियन रुपए का है, जिसके वर्ष 2010 तक 26 बिलियन रुपए (650 मिलियन डॉलर) का हो जाने की उम्मीद है। फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री जहां 13-15 प्रतिशत की गति से विकास कर रही है, वहीं होमियोपैथी का बाजार प्रति वर्ष 25-30 प्रतिशत की गति से आगे बढ़ रहा है। होमियोपैथी का वर्तमान वैश्विक बाजार 135 बिलियन रुपए से अधिक का है, जिसकी वार्षिक विकास दर 25 प्रतिशत है। वर्ष 2006-07 में 5 करोड़ लोगों ने होमियोपैथी को अपनाया। वर्ष 2010 तक 10 करोड़ लोगों द्वारा इसे अपनाए जाने का अनुमान है।
संस्थान
नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ होमियोपैथी, साल्ट लेक कोलकाता
गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, कश्मीरी गेट, दिल्ली
डॉ. बीआर सूर होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज, नानकपुरा, मोतीबाग, नई दिल्ली
नेहरू होमियो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, डिफेंस कॉलोनी, नई दिल्ली
कानपुर होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, कानपुर
नेशनल होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल, लखनऊ
जीडी मेमोरियल होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, पटना
(दैनिक देशबन्धु,22 मई,2010)
बड़े भाई, होमियोपैथ तो हम हैं घर के। बायो के साथ बीएससी किया है। पिछले पच्चीस साल से अपने पूरे परिवार को इसी पर संभाले हुए हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि हमें चिकित्साधिकार मिल जाए।
जवाब देंहटाएंgood post, informative
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