गुरुवार, 27 मई 2010

पसीने की बदबू से बचने के लिए

टीवी पर वह विज्ञापन आपने ज़रूर देखा होगा। पार्क में बेंच पर एक महिला और एक पुरुष बैठे हैं। पुरुष जैसे ही अपनी बांह उठाता है,उसके आर्मपिट की दुर्गंध से महिला कुपित होकर कहती है,"उफ, कुछ तो शरम करो!" दरअसल, इस भीषण गर्मी में आप चाहे जितना नहा लें या कपड़े बदल लें मगर बॉडी से पसीने की बदबू आती ही है। पसीने आना शरीर के लिए कूलिंग सिस्टम की तरह होता है। उमस से पैदा शुष्कता के कारण, शरीर की नमी बनाए रखने के लिए पसीना आता है मगर इस पसीने में मौजूद जीवाणु के कारण बदबू पैदा होती है। पसीने में खुद में कोई बदबू नहीं होती, लेकिन त्वचा पर मौजूद जीवाणु पसीने को ऎरोमैटिक फैटी एसिड में बदलते हैं जिससे विशेष प्रकार की दुर्गंध पैदा होती है। पसीना शरीर और स्वास्थ्य के लिए अच्छा है मगर इससे पैदा बदबू की समस्या आपकी बगल में खड़े व्यक्ति के लिए परेशानी का कारण बन जाता है।पसीना सूखने पर त्वचा पर यूरिया व नमक जैसे तत्व रह जाते हैं,जो रोगाणुओं को बुलावा देते हैं और दुर्गंध का कारण बनते हैं। पसीना किसी को कम आता है,किसी को ज्यादा। हर किसी की बॉडी केमिस्ट्री अलग होती है, इसलिए उनके शऱीर से पैदा पसीने की गंध भी अलग-अलग होती है। कई बार ऐसा भी होता है कि जिसे ज्यादा पसीना आता हो,उसका पसीना बदबूदार न हो और जिसे कम पसीना आता हो उसके पसीने की बदबू से उबकाई आती हो।
पसीने में बदबू के कई कारण हैं, जैसे नियमित रूप से न नहाना,ठीक से न नहाना,खान-पान में तीखे और खट्टे तत्वों की प्रचुरता, ज्यादा तनाव , विटामिन और खनिज तत्वों का कम होना, थायराइड में असंतुलन और सिंथेटिक कपड़े ज्यादा पहनना आदि। थायरॉइड, कार्सिनोइड सिन्ड्रोम आदि में पसीना अधिक आता है एवं दुर्गंध बढ़ती है। डायबिटीज मरीज में-नेलपॉलिश रिमूवर जैसी गंध आती है। लीवर के रोगियों में- अमोनिया जैसी गंध आती है। अगर आपकी बॉडी से पसीने की बहुत स्मैल आती है, तो लोग आपके आसपास आने से हिचकिचाते हैं। शऱीर के कुछ हिस्सों जैसे बगल और जांघ के पास ज्यादा पसीना आता है। यहां मौजूद ग्रंथियों में प्रोटीन और तेल ज्यादा निकलता है, जिससे यहां बैक्टीरिया तेजी से फैलते हैं।
अगर आप चाहते हैं कि गर्मी में आपकी बॉडी से स्मैल न आए, तो आप अपनी खानपान की आदतें बदलें। फाइबर, अनाज, सोयाबीन और हरी पत्तेदार सब्जियों का इस्तेमाल ज्यादा करें। इसके अलावा प्रसंस्कृत फूड खाने से बचें। रोजाना बहुत सारा पानी पीएं। इससे आपकी बॉडी में विषैले पदार्थ पसीने व यूरिन के जरिए निकल जाएंगे और आपकी बॉडी से स्मैल भी कम आने लगेगी।
हल्के रंगों वाले,सूती के और ढीले कपड़े पहनें क्योंकि सूती कपड़ा शरीर से पसीना सोखने में उपयोगी होता है। बाथ साल्ट पानी में डालकर स्नान करना फायदेमंद होता है। पानी में फिटकरी और मिंट मिलाकर नहाएं। डेटॉल, यूडीकोलोन, खस या गुलाबजल कोई भी एक चीज की कुछ बूँदें डालकर स्नान करना भी बेहद प्रभावकारी विकल्प है। बेकिंग सोडा को नीबू में मिला कर अंडरआर्म्स में लगाने से और सिरके का कम सांद्रता का रस लगाने भी बैक्टीरिया नष्ट होते हैं(इसे तुरंत शेव किए हुए स्थान पर न लगाएं)। पैर और बगल को रोजाना ठीक से साफ करें और वहां एंटीफंगल तथा सुगंधित पाउडर लगाएं। बगल, जांघ, गर्दन व स्तन के आसपास की ज्यादा पसीने वाली जगह को रोजाना अच्छी तरह धोएं। इन दिनों खुले सैंडल अधिक उपयोगी होंगे।
नहाने के बाद किसी अच्छी कम्पनी का बॉडी स्प्रे प्रयोग करें। डीयोड्रेंट और एन्टीपर्सिपिरेंट [पसीना रोकने वाले] सोल्यूशंस काम में लिए जा सकते हैं। इनमें मौजूद एल्यूमिनियम जिंक पसीने को कम तो करते हैं मगर ध्यान रहे, इन्हें लगाने से पसीने की बदबू पर केवल कुछ समय के लिए नियंत्रण पाया जा सकता है।
वैसे,पसीने की स्मैल का स्थायी समाधान कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट ही है। ज्यादा पसीने वाली जगह पर लेजर से अनचाहे बाल हटवा सकते हैं। पसीने से ज्यादा परेशान लोगों के लिए बोटोक्स इंजेक्शन भी आता है।जिसका असर लगभग 8 महीने तक रहता है। एक अन्य विधि आइनटोफोरेसिस से शऱीर में लो - करंट डालने की है जिससे बॉडी में पसीना कम आता है।सुपरफेशियल लिपोक्यूशन भी इसका एक अन्य विकल्प है।

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