गर्मी में मानसिक तनाव, डिहाइड्रेशन, थकावट ज्यादा रहती है और चुस्ती-फुर्ती गायब हो जाती है। ऎसे में योग आपको तारोताजा रखने में मदद कर सकता है।
जानु शिरासन
दोनों पांवों को सामने फैलाएं। बाएं पांव को घुटने से मोडकर बाई जांघ से लगाएं। दोनों हाथों को दाएं घुटने पर रखें। अब सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और सांस छोडते हुए दोनों हाथों से दाएं पांव के अंगूठे को पकडे और सिर को घुटने में लगाएं। ऎसा तीन बार दाएं पांव से करें, फिर तीन बार बाएं पांव से करें।
फायदा: यह आसन मस्तिष्क की नाडियों पर अच्छा असरकारी है और सारे तनावों को दूर कर मानसिक संतुलन को बनाए रखने में विशेष उपयोगी है।
शीतली प्राणायाम
किसी भी आरामदायक आसन में बैठें। हथेलियों को घुटनों पर रखें। जीभ को मुंह से बाहर निकाल कर नलीनुमा बनाएं। अब जीभ से सांस को अंदर खींचे और फिर मुंह बंद करके नाक से सांस बाहर छोडें। इसे 11 बार करें।
फायदा: इस प्राणायाम से जीभ के माध्यम से वायु शीतल होकर फेफडों में जाती है और पूरे शरीर को शीतलता प्रदान करती है। यह गर्मी के मौसम में बार-बार प्यास लगने की समस्या को कम करता है। मानसिक स्थिरता और शांति लाता है और रक्त का शुद्धिकरण करता है।
योग मुद्रा
पद्मासन में बैठकर आंखें बंद कर लें। पीठ के पीछे एक हाथ से दूसरे हाथ की कलाई पकड लें। शरीर को धीरे-धीरे आगे झुकाते हुए माथे को जमीन पर रख लें।
फायदा: यह आसन रक्त प्रवाह को शरीर के ऊपरी हिस्से में बढा देता है। इस आसन से ध्यान, चेतना, आनंद, एकाग्रता आदि सहजता से पा सकते हैं। यह गर्मियों में होने वाले मुहांसों से भी छुटकारा दिलाता है।
शीतकारी प्राणायाम
किसी भी आरामदायक आसन में बैठें। इसमें शीतली प्राणायाम के विपरीत जीभ को मुंह के भीतर रखें। ऊपर और नीचे के दांतों को एक दूसरे के ऊपर रखें। अब मुंह खोलें और सांस को अंदर खींचें। अब मुंह बंद करके नाक से सांस को बाहर छोडें। ऎसा 11 बार करें।
फायदा: इसके फायदे शीतली प्राणायाम की तरह ही हैं। शीतली प्राणायाम करने में कठिनाई महसूस होती है तो ऎसी स्थिति में शीतकारी प्राणायाम करें।
वरूण मुद्रा
कनिष्ठ अंगुली के अग्रभाग को अंगूठे के अग्रभाग से मिला दिया जाए और शेष तीनों अंगुलियां सीधी ही रहे, तो यह वरूण मुद्रा कहलाती है।
फायदा: इस मुद्रा का उद्देश्य है- शरीर में जल और अन्य तत्वों का संतुलन बनाए रखना। गर्मी में डायरिया हो जाता है, जिससे शरीर निढाल रहता है। ऎसा शरीर में पानी की कमी की वजह से होता है। ऎसी स्थिति में इस मुद्रा से लाभ होता है। इससे हम अधिक प्यास से बचे रह सकते हैं, लू नहीं लगती। इसे दिन में तीन बार 15-15 मिनट के लिए करें।
(इरा सिंह, राजस्थान पत्रिका,26 मई,2010)
वाह अच्छी उपयोगी जानकारी देती पोस्ट के लिए *****
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