शनिवार, 29 मई 2010

आयुर्वेद और एलोपैथ के लिए अलग परिषदें

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के प्रमुख केतन देसाई की गिरफ्तारी के बाद अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने मेडिकल शिक्षा क्षेत्र की सभी मौजूदा परिषदों को भंग कर इनकी जगह नई व्यवस्था करने की कवायद तेज कर दी है। स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद का दावा है कि संसद के अगले सत्र में ही प्रस्तावित राष्ट्रीय स्वास्थ्य मानव संसाधन परिषद (एनसीएचआरएच) पेश कर देंगे। उन्होंने यह संकेत भी दिए हैं कि एलोपैथ और पारंपरिक पद्धतियों के मेडिकल कॉलेजों के नियमन का काम अलग-अलग ही रहेगा। मेडिकल शिक्षा को भी राष्ट्रीय उच्च शिक्षा और शोध आयोग (एनसीएचईआर) में शामिल कर लेने के मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के प्रस्ताव के खिलाफ गुलाम नबी आजाद पहली बार खुल कर बोले। दैनिक जागरण के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, इस संबंध में कोई भ्रम होना ही नहीं चाहिए। राष्ट्रपति के अभिभाषण के जरिए सरकार ने अपनी मंशा जाहिर कर दी थी। अब तक इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। उन्होंने अपने मंत्रालय की ओर से प्रस्तावित एनसीएचआरएच के तहत भी दो अलग-अलग व्यवस्था किए जाने का संकेत जरूर दिया। उनके मुताबिक मेडिकल, डेंटल, नर्सिग, फार्मा और पैरा-मेडिक्स के क्षेत्र में काम कर रही पांचों परिषदों को जरूर एक साथ किया जा सकता है, लेकिन पारंपरिक चिकित्सा क्षेत्र में काम करने वाली आयुर्वेद, होम्योपैथ, यूनानी और सिद्धा की चार परिषदों को इनके साथ रखना ठीक नहीं होगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी तर्क देते हैं कि मेडिकल, डेंटल, नर्सिग, फार्मा और पैरा मेडिक्स के सारे पाठ्यक्रम एक ही चिकित्सा पद्धति से संचालित होते हैं और इनका फार्माकोपिया (औषधि विज्ञान) आयोग भी एक ही है। दूसरी तरफ पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियां एक-दूसरे की पूरक के तौर पर काम करती हैं इसी को देखते हुए हाल ही में सभी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के लिए एकीकृत फार्माकोपिया आयोग गठित किया गया है। देश में लगभग तीन सौ मेडिकल और इतने ही डेंटल कॉलेज हैं। इनके अलावा नर्सिग के विभिन्न पाठ्यक्रमों के भी चार हजार से ज्यादा संस्थान हैं। दूसरी तरफ आयुर्वेद के 253, होम्योपैथ के 185, यूनानी के 41 और सिद्धा के नौ कॉलेज को मिला कर पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में कुल 488 कॉलेज हो जाते हैं। इनके लिए अध्यापकों के चयन, पाठ्यक्रम, ढांचागत सुविधाएं आदि सभी पैमाने अलग हैं। इसी तरह इनके निरीक्षण की व्यवस्था भी बिल्कुल अलग होगी। सिब्बल ने बुलाई बैठक उच्च शिक्षा में सुधार के लिए प्रस्तावित राष्ट्रीय उच्च शोध आयोग के गठन पर आ रही दिक्कतों के बीच मानव संसाधन विकास मंत्रालय अपने मसौदे पर फिर से विचार करने में जुट गया है। मंत्रालय उच्च शिक्षा से जुड़े सभी पक्षों के साथ आज अपने मसौदे पर किसी निर्णायक नतीजे पर पहुंचने की कोशिश करने जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और उच्च शिक्षा के दूसरे निकायों को इसके दायरे में लाने को ले कर भले ही मतभेद हों लेकिन मंत्रालय ने उन सभी को भी इस बैठक में बुलाया है। माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद प्रस्तावित आयोग के मसौदे पर मंत्रालय किसी नतीजे पर पहुंच सकता है(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,29.5.2010 में मुकेश केजरीवाल की रिपोर्ट)।

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