हिमाचल प्रदेश में 2590 से अधिक छोटे बड़े स्वास्थ्य संस्थान होने पर भी स्वास्थ्य विभाग संस्थागत प्रसव के आंकड़ों में इजाफा नहीं कर पाया है। प्रतिवर्ष शिशु जन्मदर राज्य में 23.5 फीसदी है। इसमें पचास फीसदी से अधिक प्रसव घरों में हो रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने आरसीएच कार्यक्रम के तहत एफएनजीओ और एमएनजीओ संस्थाओं से 5 जिलों में सर्वे करवाया था। इससे हैरान कर देने वाले आंकड़े सामने आए हैं। चंबा, किन्नौर, कुल्लू, लाहौल एंड स्पीति और सिरमौर जिला में किए सर्वे से 59 से 62 फीसदी प्रसव घरों में हो रहे हैं। जबकि स्वास्थ्य संस्थानों में 38 फीसदी ही प्रसव हो रहे हैं।
इससे यह स्पष्ट होता है कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से चलाए जा रहे जागरूकता कार्यक्रम कितना प्रभावशाली है। दो स्वयं सेवी संस्थाओं के इस सर्वे में संस्थागत और घरों में होने वाले प्रसव के आंकड़ें जुटाए हैं। दोनों ही संस्थाओं ने घरेलू प्रसव को अधिक बताया है।
आंकड़ों पर गौर करें तो एफएनजीओ चंबा में संस्थागत प्रसव 99 फीसदी और घरेलू प्रसव 1 फीसदी बताया है। जबकि एमएनजीओ ने संस्थागत प्रसव 10 फीसदी बताया है और घरेलू प्रसव 90 फीसदी बताई है। इसी प्रकार किन्नौर में संस्थागत 40 व 55 फीसदी और घरेलू प्रसव 60 व 45 फीसदी बताई है। कुल्लू में संस्थागत प्रसव 47 व 38 फीसदी और घरेलू प्रसव 53 व 62 फीसदी बताया गया है।
लाहौल स्पीति में संस्थागत प्रसव 67 व 44 फीसदी और घरेलू प्रसव 33 व 56 फीसदी है और जिला सिरमौर में संस्थागत प्रसव 39 व 44 फीसदी और घरेलू प्रसव की दर 62 व 59 फीसदी बताया है। दोनों संस्थाओं के सर्वे में संस्थागत प्रसव 38 व 41 और घरेलू प्रसव की एवरेज दर 62 फीसदी सामने आई है। प्रदेश में ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत पिछले अर्से से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन बावजूद इसके संस्थागत प्रसव में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है।
इस संबंध में एनआरएचएम के निदेशक राकेश कंवर का कहना है कि विभाग इस दर को बढ़ाने में प्रयासरत है और संस्थागत प्रसव में बढ़ोतरी करने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए जा रहे है। महिलाओं को रहने व खाने पीने की सुविधाएं भी अस्पताल में दी जाएगी(दैनिक भास्कर,शिमला,21 मई,2010)
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