जेपी अस्पताल में आने वाले मरीजों को अब दवाओं के लिए मेडिकल स्टोर के चक्कर लगाने नहीं पड़ेंगे। उन्हें सभी दवाएं अब अस्पतालों से ही मिलेंगी। अस्पताल के सिविल सर्जन ने लिखित में सभी डाक्टरों को निर्देश दिए हैं कि वे दवाओं का ब्रांड नाम नहीं लिखकर मूल नाम लिखें ताकि मरीजों को मेडिकल स्टोरों के चक्कर नहीं काटना पड़े और आर्थिक बोझ भी नहीं पड़े। पिछले दिनों स्वास्थ्य मंत्री अनूप मिश्रा ने समीक्षा बैठक में निर्देश दिए थे कि मरीजों को सभी दवाएं अस्पतालों से ही दी जाएं। इसके लिए उन्होंने अस्पतालों में सभी दवाएं रखने का निर्देश भी अस्पताल अधीक्षकों को दिया था। इसके बाद मेडिकल कालेजों के डीन व अधीक्षकों की बैठक में भी मेडिकल कालेजों से संबद्ध अस्पतालों में भी सभी दवाएं अस्पतालों से उपलब्ध कराने की हिदायत थी। उन्होंने कहा था कि इस संबंध में कोई भी शिकायत मिलने पर डीन व अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके बावजूद डाक्टर ब्रांडेड दवाइयां ही लिख रहे थे। मसलन लीवोफ्लाक्सासिन सिटजिन कंपोजीशन की दवाएं अस्पताल में मौजूद होने के बाद भी ब्रांडनेम लीवोसेट दवा लिखा जा रही थी। इससे मरीजों को काफी दिक्कत होती थी और उन्हें मेडिकल स्टोरों की शरण लेना पड़ रही थी। सिविल सर्जन के निर्देश के बाद उन डाक्टरों की दिक्कत भी बढ़ जाएगी जो निजी फायदे के लिए जानबूझकर ब्रांडेड दवाएं ही लिख रहे थे, और इसके बदले उन्हें बंधा हुआ कमीशन मिल रहा था।
(दैनिक जागरण,भोपाल.2.5.2010)
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