रविवार, 2 मई 2010

बच्चेदानी के कैंसररोधी टीके पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों का मंसूबा ध्वस्तः धनंजय*

संसदीय समिति द्वारा उठाए गए ताजा सवालों की वजह से बच्चेदानी के कैंसर को रोकने वाले टीकों के सामने भरोसे का भारी संकट पैदा हो गया है। इससे भारत जैसे विशाल बाजार में फटाफट टीके बेचकर मालामाल होने की दो बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मंसूबे पर पानी फिर गया है। लगता है इन कंपनियों को अब भारत में अपने टीके की बिक्री के लिए लंबा इंतजार करना प़ड़ेगा। परीक्षण के दौरान भरोसा जगाने के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञों ने कहा कि वे अपनी बेटियों को भी ये टीके दिलवा रही हैं लेकिन अब यह तर्क काम नहीं करने वाला। आंध्र प्रदेश और गुजरात में परीक्षण के दौरान छह बच्चियों की मौतों से परीक्षण की अनुमति देने वाली सरकारी संस्था इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए हैं। उन्हें आशंका है कि टीके से कहीं भारी संख्या में मौतें हो गईं तो उनकी गर्दन फंस सकती है। आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. वीएम कटोच ने "नईदुनिया" से कहा कि हमने लोक स्वास्थ्य के हित में इन टीकों के परीक्षण की अनुमति दी थी। लोक स्वास्थ्य के लिए उठाए गए किसी कदम में लोगों का भरोसा सबसे पहली शर्त है। वैसे दोनों टीकों का १२६ एवं १०५ देशों में परीक्षण हो चुका है, लेकिन फिर भी भारत में अब हम अपने तौर पर और स्वतंत्र आकलन के बाद ही परीक्षण की अनुमति देंगे। स्वास्थ्य पर संसद की स्थायी समिति ने परीक्षण में एक चूक को रेखांकित कर अनिश्चितता को और ब़ढ़ा दिया है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के दिशा निर्देशों के अनुसार तीसरे फेज में किसी भी दवा या टीके का परीक्षण बच्चों से पहले वयस्कों पर किया जाना अनिवार्य है। समिति ने पूछा है कि इस परीक्षण में इस शर्त का उल्लंघन क्यों हुआ। डॉ. कटोच ने जबाव दिया है कि ल़ड़कियों को यौन गतिविधियां शुरू होने के पहले इस टीके का लगाया जाना जरूरी है, इसलिए १० से १४ वर्ष की ल़ड़कियों पर परीक्षण की अनुमति दी गई। समिति इस जवाब से संतुष्ट नहीं है। उसने मामले की किसी जांच एजेंसी से जांच कराने का निर्देश दे दिया है। एमएसडी फर्मास्यूटिकल्स के गार्डसिल एवं जीएसके फर्मास्यूटिक्लस के सरवेरिक्स टीके को परीक्षण की अनुमति दी गई थी। दावा है कि इन टीकों के लेने के बाद एचपीवी (ह्यूमेन पेपीलोमा वायरस) से होने वाले बच्चादानी कैंसर से बचाव करता है। *स्वास्थ्य संपादक,नई दुनिया (नई दुनिया,दिल्ली,2 मई,2010 से साभार) (टिप्पणीः श्री मनोज जी ने सूचित किया है कि इस पोस्ट का उल्लेख 8 मई के चिट्ठाचर्चा में किया गया है। उस चर्चे का लिंक यहां है।)

2 टिप्‍पणियां:

  1. भारत में अब हम अपने तौर पर और स्वतंत्र आकलन के बाद ही परीक्षण की अनुमति देंगे।
    अच्छी जनकारी।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    इसे 08.05.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह 06 बजे) में शामिल किया गया है।
    http://chitthacharcha.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं

एक से अधिक ब्लॉगों के स्वामी कृपया अपनी नई पोस्ट का लिंक छोड़ें।