हिंदुओं मे सगोत्र विवाह को निषिद्ध माना जाता है मगर मुसमानों मे निकट संबंधियों मे विवाह आम है। निकट के रिश्ते मे विवाह से भावी पीढी की बुद्धिमत्ता,रोगों के अंतरण,प्रसव संबंधी परेशानियों आदि पर काफी बहस हो चुकी है। आज इसी को आगे बढाते हुए,नवभारत टाइम्स ने द न्यूज मे छपी खबर को आधार बनाते हुए संपादकीय लिखा हैः
मुस्लिम रीति-रिवाजों को लेकर जितना बंद नजरिया भारत में देखने को मिलता है, पाकिस्तान में स्थिति उससे काफी अलग है। "द न्यूज" ने चचेरे,ममेरे, मौसेरे, फुफेरे भाई-बहनों की शादी की आलोचना यह कहते हुए की है कि इससे पैदा होने वाली संतानों में जेनेटिक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
अखबार लिखता है कि बलूचिस्तान से आई खबरों से पता चलता है कि वहां एक दर्जन बच्चे एक विरल और लगभग स्किन डिजीज का सामना कर रहे हैं। इसमें सूरज की अल्ट्रावॉयलेट रोशनी का सामना करने की क्षमता बिल्कुल ही समाप्त हो जाती है। इस बीमारी से लोगों की जहालत का पता भी चलता है। इसकी वजह जेनेटिक बताई जा रही है और लगातार कई पीढ़ियों में निकट संबंधियों के बीच होने वाली शादियां इसके लिए जिम्मेदार हैं।
इस वजह से होने वाली अन्य गंभीर बीमारियों में रक्त कैंसर या थैलिसीमिया भी शामिल है। जन्मजात बहरापन और कराची के रेहड़ी गोठ इलाके में हाल में नजर आई विकृतियों का कारण भी निकट संबंधियों के विवाह संबंध में ही मौजूद है। विवाह से पहले लोगों को जेनेटिक टेस्ट करने का एक कानून लाने की बात भी कुछ पहले उठी थी लेकिन इसे अमल में नहीं लाया जा सका है।
हमें और ज्यादा जागरुकता की जरूरत है। लोगों को यह पता होना चाहिए कि फर्स्ट कजन्स के बीच होने वाली शादियां कई बीमारियों का खतरा पैदा कर देती हैं। लोग ऐसी शादियों के पक्ष में इसलिए रहते हैं क्योंकि बड़े लोगों के द्वारा इन्हें तय करना काफी आसान होता है और अपने कबीले या जाति के बाहर शादी करने पर लगी पारंपरिक रोक का निर्वहन भी इससे होता रहता है। बलूचिस्तान की कहानी टीवी पर खूब चल रही है, लेकिन समाचार माध्यमों को ऐसे मुद्दों पर लोगों को शिक्षित करने की भूमिका भी निभानी चाहिए। ऐसा करके वे देश के लोगों की तकलीफ को काफी कम कर सकते हैं।
it's JUST a MEDIA Creation.... my dear !!!
जवाब देंहटाएंnice post.her cheez mein samaye ke saath badlaav aana chahiye.muslims ko is disha mein kaam kerna hoga.ye pakistan ke newspaper ki finding hai,kisi sampradayik paper ki nahi,jo ise media creation bataya jaye.
जवाब देंहटाएंसही बात है। यही कारण है कि भारत में बहुत पहले से सगोत्रीय विवाह प्रतिबंधित हैं।
जवाब देंहटाएंऔर यह एक वैज्ञानिक सत्य है। ईमान, विश्वास और आस्था नहीं।
विचारणीय मुद्दा.
जवाब देंहटाएंइसीलिए भारत में सगोत्रीय सम्बन्ध/ विवाह वर्जित थे, इतना ही नहीं अपितु मातृकुल के ६ पीढी/गोत्र तथा पिता का गोत्र को छोड़कर विवाह करने का प्रावधान है.
पारसियों में थैलेसेमिया और नि:सन्तान होने का कारण वैज्ञानिक इसी वर्जना को न अपनाने को बताते हैं।
जवाब देंहटाएंEk vaigyanik Nishkarsh ko blog ke madhyam se logon tak pahunchne ke liye shukriya.. lekin afsos ki Science Blogger's Association se jude log bhi ise media creation bata kar palla jhad rahe hain...
जवाब देंहटाएंइतनी बढ़िया जानकारी हम तक पहुँचाने के लिए आभार आपका ।
जवाब देंहटाएंये सब मैंडल के नियम के अनुसार होता है जिसमें रिसैसिव जीन्स एक जगह आ जाते हैं.....परिवार मैं शादी करने से और तभी इस तरह की बीमारियां होती हैं....
जवाब देंहटाएंsamay ke sath pariwartan jaruri hai.
जवाब देंहटाएंहो सके तो कुछ आँकड़े दे दीजिए।
जवाब देंहटाएंVachaknaveeji, bharat kya tha aur kya hain, ye bahaut uljha hua masla hai. varna vyavastha aur gotra vichaar dhire dhire kathor se kathortam hote chale gaye lekin aisa hamesha se nahi tha. Mahabharat kaal me Arjun ne subhadra se vivah kiya tha jo vastav me arjun ki mameri bahen thi. Dilli ke antim hindu samraat Prithviraj ne samyogita se vivah rachaaya tha jo vastav me uske dur ke bhai ki putri thi, (jaichand aur Prithviraaj chuhaan ke nana ek hi the). mahabhaarat kaal me hi phir se jaaye to Bhim ka vivaah kanshi ke raaja ki putri se hua tha, kaanshi naresh ki hi putriyo ambika aur amabalika se pandu aur dritrashat paida huye the, to yah vivaah bhi maatrakul ki 6 pidhiyo ka vichaar kiye bina hua honga.
जवाब देंहटाएं