स्वस्थ हो या बीमार, शरीर संगीत पर प्रतिक्रिया करता है। म्यूजिक थैरेपी का सबसे खूबसूरत हिस्सा ये है कि इसके लिए चिकित्सक के प्रेस्क्रिप्शन की जरूरत भी नहीं। इस थैरेपी के तहत संगीत की स्वरलहरियां मरीज के शरीर को कई जटिल बीमारियों में राहत देती हैं। अब चिकित्सक भी इसे कॉम्प्लिमेंटरी थैरेपी की तरह अपना रहे हैं।
हाल के सालों में किसी विशेष चिकित्सकीय मकसद तक पहुंचने के लिए मरीज को संगीत के करीब लाने का चलन बढ़ा है। इसमें संगीत का कोई खास पीस, या फिर कई बार मरीज की पसंद की कोई स्वरलहरी या धुन उसे नियत समय के लिए सुनाई जाती है। विभिन्न शोध भी इसकी पुष्टि कर चुके हैं कि म्यूजिक के पैसिव और एक्टिव फॉर्म गंभीर शारीरिक-मानसिक समस्याओं में मरीज को काफी राहत देते हैं। यही वजह है कि अब कन्वेंशनल इलाज के साथ म्यूजिक थैरेपी को तरजीह दी जा है। मरीज थैरेपिस्ट के साथ मिलकर अपनी जरूरतों और पसंद के आधार पर संगीत का चयन कर सकता है। हालांकि कई कारणों से शास्त्रीय संगीत को तरजीह दी जाती है। थैरेपी के लिए मरीज का संगीत की पृष्ठभूमि से होने की जरूरत नहीं है।
इन बीमारियों में संगीत करता है मदद
ऑस्टिस्टिक स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर, सेरिब्रल पाल्सी, लर्निंग डिफिकल्टी, डाउन-सिंड्रोम, कम्युनिकेशन प्रॉब्लम, मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम, न्यूरोलॉजिकल कंडीशन, सेक्सुअल एब्यूज, कैंसर और अन्य बड़ी बीमारियां, एचआईवी एड्स, एडिक्शन, जेरिआट्रिक केयर, सुनने में समस्या, गर्भवती स्त्री की देखभाल और डिलीवरी के दौरान की जटिलताएं घटाना आदि। सर्जरी के बाद की रिकवरी में म्यूजिक थैरेपी काफी सहायता करती है।
हर सुर का अलग-अलग असर
संगीत के सारे अंग जैसे ताल, धुन और वॉल्यूम शरीर पर अलग-अलग तरह से असर करते हैं। एक मिनट में लगभग ६० से ७० बीट्स की ताल को सबसे ज्यादा आरामदायक माना गया है क्योंकि ये दिल की धड़कन से समानता रखती है। इससे एक पेस तेज होना तनाव का कारक होता है, जबकि धीमा होना सस्पेंस पैदा करता है। इसी तरह से संगीत का वॉल्यूम ज्यादा होना भी तनाव बढ़ाता है, जबकि कम वॉल्यूम मस्तिष्क को आराम देता है। शरीर की जरूरत के मुताबिक थैरेपी सेशन प्लान किया जाता है, जो हर दिन से लेकर कुछ दिनों के अंतराल पर भी हो सकता है। एक सेशन आधे से एक घंटे तक चलता है। रोगी की दशा और थैरेपी से हो रहे लाभों के मद्देनजर सेशन्स बढ़ाए या घटाए जाते हैं। पैसिव म्यूजिक थैरेपी गर्भवती स्त्री, दिल के मरीज या बिहैवियरल समस्याओं में दी जाती है। वहीं एक्टिव म्यूजिक थैरेपी न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के अलावा उन बच्चों को दी जाती है, जिन्हें बोलने में समस्या है। इसके अलावा हाइपर-एक्टिव बच्चों में एकाग्रता लाने के लिए इसकी मदद ली जा सकती है।
संगीतमय इलाज़
मर्ज के अनुसार इस थैरेपी का पैटर्न, प्रोग्राम और ड्यूरेशन बदलता है। किसी खास भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक या शारीरिक समस्या से जूझ रहा व्यक्ति जब थैरेपिस्ट से संपर्क करता है तो जरूरी है कि वो अपने लक्षणों और जरूरतों पर खुलकर बात करे। इसके बाद थैरेपिस्ट प्रभावित व्यक्ति की इमोशनल वेल-बीइंग, शारीरिक स्वास्थ्य, संवाद की क्षमता आदि संगीत पर उसकी प्रतिक्रिया के जरिए जांचता है। अब इस प्रतिक्रिया (म्यूजिकल रेस्पॉन्स) के आधार पर खास प्रोग्राम डिजाइन किया जाता है।
इसमें संगीत सुनना, गीत या धुन का विश्लेषण करना, गाना कंपोज करना, धुन तैयार करना आदि शामिल हो सकते हैं। म्यूजिक थैरेपिस्ट मरीज को जरूरी निर्देश देता है। व्यक्ति संगीत सेशन्स के दौरान अपने दिमाग में उभर रही छवियों पर बात कर सकता है। अपना पसंदीदा संगीत सुन सकता है। गा या बेसिक वाद्ययंत्र बजा सकता है। हल्का-फुल्का नृत्य कर सकता है। कोई धुन तैयार कर सकता है या फिर बोल लिख उनपर चर्चा कर सकता है। कुछ सेशन्स समान जरूरतों वाले मरीजों के समूह में तो कुछ व्यक्तिगत भी होते हैं। सामूहिक सेशन के दौरान लोग बैकग्राउंड संगीत के साथ आराम कर सकते हैं तो मिलकर कोई परफॉर्मेंस भी दे सकते हैं।
संगीत की जानकारी ज़रूरी नहीं
म्यूजिक थैरेपी मरीज की सामाजिक, भावनात्मक, शैक्षिक और शारीरिक जरूरतों के मद्देनजर संगीत का व्यवस्थित प्रस्तुतीकरण है। संगीत की आवृति मस्तिष्क और फिर शरीर को प्रभावित करती है, जिससे संबंधित जरूरत की भी पूर्ति होती है। जैसे मरीज का चिकित्सक द्वारा दी जा रही दवाइयों के इन्ग्रेडिएंट्स जानना जरूरी नहीं, ठीक वैसे ही म्यूजिक थैरेपी के लिए संगीत की जानकारी जरूरी नहीं। शुद्ध यूनिवर्सल क्लासिकल म्यूजिक, खासकर जिसमें शब्द न हों, कारगर साबित होता है। संगीत स्वस्थ व्यक्तियों के लिए चमत्कारी भी साबित हो चुका है इसलिए बहुत से लोग स्वास्थ्य बरकरार रखने के लिए भी म्यूजिक थैरेपी लेने लगे हैं। तनाव, अवसाद, अनिद्रा, माइग्रेन, डर और दर्द घटाने में इसका उपयोग होता है। यह बच्चों में एकाग्रता और याददाश्त बढ़ाने में मददगार है। गर्भवती महिलाओं को शुरुआत में थैरेपी देना न सिर्फ नार्मल डिलीवरी की संभावना बढ़ाता है, बल्कि भ्रूण के विकास में भी सहायक होता है। आने वाले शिशु में कॉग्निटिव पहलुओं के अलावा सौंदर्यबोध का भी विकास होता है। कुछ ही थैरेपी सेशन्स के भीतर मरीज खुद में सकारात्मक बदलाव महसूस कर सकता है।
दिनचर्या हो म्यूजिकल
म्यूजिक थैरेपी कई तरह की बीमारियों में कॉम्प्लिमेंटरी थैरेपी की तरह मरीज को राहत देती है। पेन-मैनेजमेंट में कारगर है। साथ ही इसे रुटीन में भी शामिल किया जा सकता है। संगीत तनाव घटाकर शारीरिक रिलेक्सेशन में मदद करता है। खासकर "स्ट्रेस रिलीफ एक्टिविटीज" जैसे योग, व्यायाम, स्नान के दौरान संगीत सुनना तनाव घटाकर आसपास को सकारात्मक ऊर्जा से भरने में मददगार साबित हो चुका है। हालांकि विभिन्न गतिविधियों के दौरान संगीत के अलग-अलग फॉर्म फायदेमंद होते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर आप अनिद्रा के शिकार हैं और आपको फास्ट म्यूजिक पसंद है तो कम से कम सोते वक्त इसे अवॉइड करना ही बेहतर है। यानी हर समस्या के अनुसार बेस्ट म्यूजिक और सुनने की स्ट्रेटजी एक सी नहीं रहती(डॉ. टी. मैथिली,सेहत,नई दुनिया,फरवरी द्वितीयांक 2013)।
बहुत उपयोगी जानकारी है राधारमण जी ! बहुत बहुत आभार इस जानकारी के लिए ...॥असंख्य लोग इसका फायदा उठाएंगे ......!!
जवाब देंहटाएंमैं ऑस्ट्रेलिया में सिडनी से कैथरीन रोलैंड बेंजामिन हूं। मैं डॉ। ईबोस के लिए वास्तव में आभारी हूँ, जिसने मुझे एचआईवी से ठीक करने के लिए प्रयोग किया है जो कि मेरे जीवन को 3 साल की अवधि के लिए घातक रहा है। अस्पताल। मैंने इंटरनेट पर एक साक्ष्य देखा कि डॉ। ईबोस ने विंडसर कोलोराडो यूएसए से किसी को कैसे ठीक किया, मैंने अपने मोबाइल नंबर और ईमेल
हटाएं, + 2347085 996390 और dreboshivcurehome@gmail.com।
उन्होंने एक हर्बल उत्पाद को मेरे पास भेजा और मुझे दवाइयों का उपयोग कैसे करें, इसके उपयोग के पहले दो सप्ताह के बाद मुझे सलाह दी कि मुझे मेरी स्थिति का सत्यापन करने के लिए एक और एचआईवी परीक्षण के लिए जाना चाहिए। मैं अस्पताल गया और परिणाम नकारात्मक दिखाता है। मैं 4 अन्य अस्पताल गया, परिणाम अभी भी नकारात्मक था। परमेश्वर के सच्चे बच्चे के रूप में मैंने इसे साझा करने की जिम्मेदारी ली, जिससे कि इस तरह के मामले में कोई भी ठीक हो जाए। आप भी
वही मोबाइल +2347085996390 के माध्यम से व्हाट्सएप पर टेक्स्ट डॉ इबोस या उसे ईमेल करें
dreboshivcurehome@gmail.com
वह अच्छी तरह से कर सकते हैं
निम्नलिखित का पालन करें: प्रीमेचर एजेज, आर्मी, डायबाइटेस, कैंसर, सिनिटल हेर्पेस, बैक्टीरियल वैजिनोसिस, हेमोराहोइड, ऑब्सिसटी, लीशमनीसिस, हिपेटिटिस ए, पीओररिआसिस और एमोइबिक डाइसेन्त्र्री
आप मुझे फेसबुक कैथरीन रोलैंड बेंजामिन पर जोड़ सकते हैं
या मुझे किसी भी प्रश्न के लिए rolandben432@gmail.com पर ईमेल करें
उत्कृष्ट प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय ||
वाह संगीत का कितना उपयोग है बिमारी की अवस्था में ...
जवाब देंहटाएंवैसे जब ठीक अवस्था में भी ये तनाव दूर करता है तो बिमारी में तो फायदेमंद है ही ...
अच्छा लेख ....
स्वास्थ के लाभकारी उपयोगी जानकारी,,,,
जवाब देंहटाएंRecent Post दिन हौले-हौले ढलता है,
अच्छी जानकारी ..... आभार
जवाब देंहटाएंकुछ बातें औऱ जोड़ना चाहूंगा....भारतीय शास्त्रीय संगीत आपके मन को अपूर्व शांति प्रदान करता है। इसका प्रयोग पोधों और फसलों पर किया गया तो उनका विकास बेहतर औऱ तेजी से हुआ। गायों को जब संगीत सुनाया गया तो उन्होंने दूध ज्यादा दिया। ये प्रयोग भारत में कृषि वैज्ञानिक कर चुके हैं जिसकी रिपोर्ट अस्सी के दशक में ही सराकारी पत्रिकाओं में छपा था।
जवाब देंहटाएंइसके अलावा भारतीय मंत्र औऱ देवताओं की स्तुति में स्वरकंठ औऱ ध्वनि का प्रयोग होता है जो इंसान के अंदर के तनाव को दूर करते हैं।
इसका प्रत्यक्ष अनुक्षव मैने किया था जब पिताज कि क्रिया के दौरान मैं बहुत तनाव ग्रस्त था तो जाने कैसे मन में रावण रचित शिव स्तुति सुनने की इच्छा जागृत हुई। मेरे बड़े मौसेरे भाई जी हारमोनियम पर पूरी शिव स्तुति गाई....उसके खत्म होते होते मेरे अंदर से निराशा का भाव कम हो गया। इसी तरह कई मंत्रों का उच्चारण सीख कर उनका स्वरपाठ किया जाए तो काफी सकारात्मक उर्जा मिलती है। अगर ये संभव न हो सके तो सरल औऱ अच्छा फिल्म संगीत भी मन के तनाव को कम करने मदद करता है। यानि संगीत पूरी तरह से आपके मन औऱ तन को तरोताजा कर देता है।
बहुत अच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
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