ज्यादातर लोग समझते हैं कि हेल्थ इंश्यारेंस पॉलिसी सिर्फ हॉस्पिटल में भर्ती होने का खर्चा उठाती है। हालांकि, ऐसी कई पॉलिसीज हैं, जिनसे इससे जुड़े दूसरे खर्च भी पूरे होते हैं। हेल्थ इंश्योरेंस में कई ऐसे बेनेफिट हैं, जिनके बारे में लोगों को पता नहीं होता। इस वजह से वे इनका फायदा नहीं उठा पाते। पॉलिसी डॉक्युमेंट को पढ़ने पर इनके बारे में पता चलता है।
डेली हॉस्पिटल कैश अलाउंस: सभी हेल्थ पॉलिसीज में अस्पताल में भर्ती होने के वक्त खर्च हुए पैसे का भुगतान किया जाता है। हालांकि, फूड और रिफ्रेशमेंट पर होने वाले खर्च का क्या होगा? घर से हॉस्पिटल आने-जाने पर भी काफी पैसा खर्च होता है। पॉलिसी के डेली हॉस्पिटल कैश अलाउंस से आप यह पैसा बचा सकते हैं। आपको पता करना होगा कि पॉलिसी में प्री-फिक्स्ड, प्री-डे कैश हैंड-आउट्स शामिल हैं या नहीं? आईसीआईसीआई लोम्बार्ड के हेड (अंडरराइटिंग एंड क्लेम्स) संजय दत्ता ने बताया, 'यह रकम क्लेम के सपोर्ट में बिल पेश किए बगैर चुकाई जाती है, इस बारे में कोई सवाल नहीं पूछा जाता।'
लंबे समय का पेमेंट: इंश्योरेंस कंपनी हॉस्पिटल में लंबे समय तक रहने पर भी पॉलिसीहोल्डर को एकमुश्त रकम का भुगतान करती है। अपोलो म्यूनिख के सीईओ एंटनी जैकब ने कहा, 'पॉलिसी के तहत हॉस्पिटल में 7-10 दिन ज्यादा रहने की इजाजत होती है। इस बेनेफिट के तहत हॉस्पिटल में स्टे के चलते इनकम लॉस जैसी सप्लीमेंटरी कॉस्ट का भी पेमेंट किया जाता है।' आपके लिए एलिजबल बेनेफिट अमाउंट और पीरियड की जानकारी हासिल करना जरूरी है, जो अक्सर पहले से तय होती है।
ऑल्टरनेटिव ट्रीटमेंट: इरडा की हालिया ड्राफ्ट गाइडलाइंस में सभी कंपनियों को ट्रीटमेंट के गैर-एलोपैथिक तरीके जैसे आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी को कवर करने के लिए बाध्य किया जा सकता है, लेकिन कुछ कंपनियां पहले से ऐसा कर रही हैं। मिसाल के लिए न्यू इंडिया एश्योरेंस इस तरह के 25 फीसदी खर्च को रीम्बर्स करती है, बशर्ते ट्रीटमेंट सरकारी हॉस्पिटल में हुआ हो।
घर में ट्रीटमेंट: माना जाता है कि हेल्थ इंश्योरेंस के दायरे में सिर्फ हॉस्पिटलाइजेशन या डे-केयर फैसिलिटीज ही आती हैं। हालांकि, कई पॉलिसीज डॉक्टर की सलाह पर घर में ट्रीटमेंट का खर्च भी देती हैं। हालांकि, ऐसा तभी होता है, जब पेशेंट हॉस्पिटल में आने की हालत में न हो। दत्ता कहते हैं, 'यहां पॉलिसीहोल्डर को डॉक्टर के क्लिनिक का बिल पेश करने के लिए कहा जाता है। भुगतान फीसदी में या वैल्यू-बेस्ड होता है।' इस तरह के पेमेंट की सीमा तय होती है।
अंगदान देने वाले व्यक्ति से संबंधित खर्च: किसी तरह के ट्रांसप्लांटेशन सर्जरी में पॉलिसीहोल्डर्स पर फाइनैंशली और इमोशनली काफी बड़ा दबाव होता है। अगर कोई शख्स आपको अंग दान कर रहा हो, तो उसके ट्रीटमेंट के अलावा डोनर का एक्सपेंस भी हॉस्पिटल बिल में शामिल होता है। डोनर के एक्सपेंस के क्लेम का प्रोविजन आपकी पॉलिसी में होता है।
अटेंडेंट अलाउंस: हॉस्पिटल में इनश्योर्ड चाइल्ड की देखभाल करने वाले एडल्ट के लिए कुछ पॉलिसीज में फिक्स्ड अलाउंस का प्रोविजन होता है। इसकी शर्तें इंश्योरर और प्रॉडक्ट के मुताबिक अलग-अलग हो सकती हैं। मिसाल के लिए ओरिएंटल जनरल इंश्योरेंस के हेल्थ प्लान में हॉस्पिटलाइजेशन के दौरान हर दिन के लिए 500 रुपए दिए जाते हैं। ज्यादा से ज्यादा 10 दिन के लिए भुगतान किया जा सकता है।
क्रिटिकल इलनेस: आम तौर पर सभी पॉलिसीज डायलिसिस और कीमोथेरेपी से जुड़े महंगे खर्च उठाती हैं। हालांकि, कुछ खास प्रॉडक्ट्स चुनिंदा क्रिटिकल इलनेस के लिए ज्यादा कवर ऑफर करते हैं। मिसाल के लिए एलऐंडटी इंश्योरेंस की हेल्थ पॉलिसी में इन गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए सम-एश्योर्ड की दोगुनी रकम दी जाती है(प्रीति कुलकर्णी,नभाटा,दिल्ली,20.7.12)।
स्वास्थ्य बीमे से सम्बंधित पहलुओं पर बारीकी से जानकारी उपलब्ध कराने का आभार ...
जवाब देंहटाएंUPAYOGII JANAKAARI ...AABHAR..!
जवाब देंहटाएंराधारमण जी नमस्कार...
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग 'स्वास्थ सबके लिएÓ से लेख भास्कर भूमि में प्रकाशित किए जा रहे है। आज 21 जुलाई को 'एक ही तेल का लगातार इस्तेमाल ठीक नहींÓ शिर्षक के लेख को प्रकाशित किया गया है। इसे पढऩे के लिए bhaskarbhumi.com में जाकर ई पेपर में पेज नं. 8 ब्लॉगरी में देख सकते है।
धन्यवाद फीचर प्रभारी
नीति श्रीवास्तव
बढ़िया जानकारी ।।
जवाब देंहटाएंजागरूक करती पोस्ट.....
जवाब देंहटाएंacchi jankari....
जवाब देंहटाएंराधारमण जी नमस्कार...
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग 'स्वास्थ सबके लिए' से लेख भास्कर भूमि में प्रकाशित किए जा रहे है। आज 29 जुलाई को 'स्वास्थ्य बिमा के बारे में यह भी जानें' शीर्षक के लेख को प्रकाशित किया गया है। इसे पढऩे के लिए bhaskarbhumi.com में जाकर ई पेपर में पेज नं. 8 ब्लॉगरी में देख सकते है।
धन्यवाद
फीचर प्रभारी
नीति श्रीवास्तव