मंगलवार, 26 जून 2012

सनस्क्रीन : मिथ और सच्चाई

सनस्क्रीन कौन-सी यूज करें, कितनी अप्लाई करें, एसपीएपफ कितना हो, इस सब को लेकर कई तरह के कॉमन मिथ हैं। आइए,जानते हैं इनकी असलियत : 

मिथ: सनसेफ रहने के लिए ज्यादा से ज्यादा एसपीएफ वाली सनस्क्रीन यूज करनी होगी। 
फैक्ट: एसपीएफ यानी सन प्रोटेक्शन फैक्टर यूवीबी की प्रोटेक्शन होती है। यह यूवीबी आपको सनबर्न और स्किन कैंसर से प्रोटेक्ट करती है। दरअसल, इसकी जरूरत इंडिया जैसे देशों में नहीं है। सर गंगाराम अस्पताल के कंसलटेंट डर्मेटॉलजिस्ट डॉ. रोहित बतरा का कहना है कि एसपीएफ चाहे 18 हो या फिर 90, इससे तकरीबन 1 पर्सेंट का ही फर्क पड़ता है। ज्यादातर महिलाओं के लिए 25 से 30 एसपीएफ काफी है। 

इंडिया में हमें यूवीए प्रोटेक्शन चाहिए। यूवीए प्रोटेक्शन मौजूद है या नहीं, इसके लिए बूट स्टार रेटिंग देखना चाहिए। मैक्सिमम बूट स्टार रेटिंग फाइव होती है। जो मेडिकेटेड सनस्क्रीन होती है, उनमें यह रेटिंग मौजूद होती है। हालांकि कॉस्मेटिक कंपनियों के सनस्क्रीन के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। 

मिथ: क्लाउडी वेदर में सनस्क्रीन के बिना भी काम चल सकता है। 
फैक्ट: चाहे क्लाउडी वेदर हो या फिर विंटर सीजन हो, धूप की किरणें स्कैटर्ड होकर पहुंचती ही हैं। सच तो यह है कि अगर आप लाइट वाले कमरे में बैठे हैं, तो वहां भी यूवीए रेज पहुंच जाते हैं। गौरतलब है कि सूरज की 80 पर्सेंट यूवीए रेज क्लाउड्स को पार कर सकती हैं। 

मिथ: सनस्क्रीन जेल हो या क्रीम, बात एक ही है। 
फैक्ट : यह देखने की जरूरत है कि आपकी सनस्क्रीन आपकी स्किन टाइप को सूट करती है या नहीं। डॉ . बतरा का कहना है कि अगर आपकी स्किन ऑयली है तो आपको सनस्क्रीन जेल लगानी चाहिए। जबकि ड्राई स्किन के लिए सनसेफ क्रीम या लोशन अप्लाई करना चाहिए। वहीं , अगर स्विमिंग के लिए जा रहे हैं , तो वॉटरप्रूफ सनसेफ यूज करना होगा। 

मिथ : इन - बिल्ट एसपीएफ वाले मॉइश्चराइजर से फेस सेफ रहता है। 
फैक्ट : इन - बिल्ट मॉइश्चराइजर में अक्सर एसपीएफ तो होता है , लेकिन यूवीए प्रोटेक्शन नहीं होता। जाहिर है कि इससे आपको टैनिंग तो होगी ही। इस बारे टॉप सेलिंग मॉइश्चराइजर्स की एनालिसिस भी की गई। इस रिसर्च से यही सामने आया कि इनका कॉम्बिनेशन सनसेफ्टी के लिए अच्छी तरह काम नहीं कर पाता। एक्सपर्ट्स की मानें तो , आपकी सनस्क्रीन में फिजिकल और केमिकल दोनों इंग्रेडिएंट्स हों , इसका खयाल रखें। जिंक ऑक्साइड , टाइटैनियम डाइऑक्साइड जैसे कॉम्पोनेंट आपकी स्क्रिन के ऊपर मेटल की एक शीट बना देते हैं। और प्रोटेक्शन देते हैं। एवोबेंजीन जैसे केमिकल इंग्रेडिएंट भी हों , यह चेक करें। 

मिथ : जरा सी सनस्क्रीन लगाने से ही बात बन जाती है ।
फैक्ट : ऐसा नहीं है। डॉ . बतरा का कहना है कि प्रोटेक्शन सही मायनों में क्वांटिटी पर डिपेंड करता है। अगर आप क्रिकेटर्स को देखेंगे , तो पाएंगे कि उन्होंने इतनी सनस्क्रीन लगा रखी होती है कि एक वाइट फिल्म सी बन जाती है। अगर सही क्वांटिटी की बात करें , तो एक रुपये के क्वाइन जितनी क्वांटिटी फेस को चाहिए होती है। धूप में जाने से आधा घंटा पहले लगाएंगे , तब आपकी क्रीम काम करना शुरू करती है। 

मिथ : दिन में एक बार सनस्क्रीन अप्लाई करना काफी है 
फैक्ट : नहीं। आप चाहे कितनी भी एक्सपेंसिव सनब्लॉक यूज करजे हों , उसका असर एक से डेढ़ घंटे ही रहता है। डेढ़ - दो घंटे बाद इसे रिअप्लाई जरूर करें। बगैर फेस वॉश किए भी इसे रिअप्लाई किया जा सकता है। स्वेटिंग हो रही हो , तब भी सनस्क्रीन फिर से लगाएं। गौरतलब है कि ' वाटर - रेस्स्टिेंट ' कहलाने वाले सनस्क्रीन भी 40 मिनट के बाद इफेक्टिव नहीं रहते। 

मिथ : होठों को सनब्लॉक की जरूरत नहीं होती। 
फैक्ट : होठों को भी सनस्क्रीन चाहिए। क्योंकि यहां की स्किन भी सनरेज से डैमेज होती है। इसके लिए स्पेसिफिक सनस्क्रीन यूज करें। 

मिथ : सनस्क्रीन बॉडी के विटामिन डी मेकिंग एबिलिटी को ब्लॉक कर देती है। 
फैक्ट : कई लोग केवल इसलिए सनगार्ड यूज नहीं करते , क्योंकि उन्हें लगता है कि यह बॉडी के विटामिन डी डिवेलपमेंट को ब्लॉक कर देता है। क्योंकि इस प्रोसेस के लिए सन एक्सपोजर की जरूरत होती है। दरअसल , रोजाना की आउटडोर एक्टिविटीज में आपको खासा सन एक्सपोजर मिल जाता है। जैसे कि मॉनिंग वॉक। बता दें कि विटामिन डी प्रॉडक्शन में डाइट सप्लिमेंट्स का भी खासा रोल होता है। 

मिथ : अगर आप बचपन में बहुत सारा समय धूप में रह चुके हैं , तो आपकी स्किन पहले ही डैमेज हो चुकी है। अब सनब्लॉक से फायदा नहीं होगा। 
फैक्ट : ऑस्ट्रेलिया में हुई एक स्टडी बताती है कि 25 से लेकर 75 की उम्र वालों ने भी जब डेली सन प्रोटेक्शन यूज करना शुरू किया , तब इसका खासा असर पड़ा। ब्रिसबेन के क्वींसलैंड इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च के लीड राइटर एडले ग्रीन के मुताबिक , रूटीन सन - प्रोटेक्शन किसी भी उम्र में शुरू किया जा सकता है(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,19.6.12)।

6 टिप्‍पणियां:

  1. उपरोक्त उपयोगी जानकारी हेतु आभार,,,,,,,,,,,,,,,,,,

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  2. कई नई जानकारियां मिली . हालाँकि जहाँ खाने को रोटी नहीं , वहां सनस्क्रीन का क्या काम !

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  3. सनस्क्रीन से संबन्धित उपयोगी जानकारी...
    सादर आभार।

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  4. बेहतरीन प्रस्‍तुति।

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