-व्यावहारिक रूप से आदमी में दो तरह की प्रवृत्ति होती हैं- अंतर्मुखी और बहिर्मुखी.
-सिंहगर्जन आसन का नियमित अभ्यास अंतर्मुखी प्रतिभा वाले बच्चों के लिए विशेष रूप से लाभकारी हैं क्योंकि यह उनकी छुपी हुई प्रतिभाओं को सामने लाने में मददगार है.
-आदमी का लिंग या उम्र सिंहगर्जन आसन से होने वाले फ़ायदों में दीवार नहीं बनती.
-इस आसन में चुप नहीं रहते बल्कि आसन करते हुए शेर की तरह दहाड़ते हैं और इसका मनोवैज्ञानिक असर यह होता है कि हम मानसिक तौर पर मज़बूत होते जाते हैं.
-चुनौतियों को स्वीकार करने के साथ ही फ़ैसले लेने में अपने विवेक के प्रयोग तक पर इसका असर होता है.
-सिंहगर्जन आसन शारीरिक रोगों को दूर तो भगाता ही है, आपकी मानसिक क्षमता को भी संतुलित एवं संयमित करता है.
आसन की विधि
-सिंहगर्जन आसन करने के लिए पहले वज्रासन में बैठिए, उसी तरह जैसे नमाज़ पढ़ने के लिए घुटनों को मोड़कर बैठते हैं.
-दोनों घुटनों के बीच डेढ़ फुट का अंतर रखिए.
-दोनों हथेलियों को घुटनों के बीच ज़मीन पर इस प्रकार रखें कि अंगुलियों का रुख़ पीछे की ओर रहे.
-सिर को पीछे की ओर झुकाएँ, आँखें खोलकर रखें. पूरे शरीर को ढीला और शिथिल करें.
-मुँह बंद रखिए, नाक से गहरी लंबी साँस लें. तत्पश्चात मुँह खोलिए, पूरी जीभ बाहर निकालिए.
-अब धीरे-धीरे साँस बाहर निकालते हुए शेर की तरह 'दहाड़ें'...हा..अअ..हा..आआ. इस तरह.
-आवाज़ बिल्कुल साफ़ और स्पष्ट होनी चाहिए.
-ऐसा करने के अंत में मुँह बंद कर लें और नाक से साँस लें.
-इस प्रकार एक क्रम पूरा हुआ. रोज 5 बार इस क्रिया को दोहराना चाहिए.
सिंहगर्जन के फ़ायदे
-यह आसन मानसिक क्षमता को भी संतुलित एवं संयमित करता है
-सिंहगर्जन आसन के अभ्यास से आपकी आवाज़ स्पष्ट और दमदार होगी.
-हकलाने और नर्वस रहने वाले लोगों के साथ ही शर्मीले और अंतर्मुखी प्रतिभा वाले अगर सिंहगर्जन का नियमित अभ्यास करें तो वे बहिर्मुखी प्रतिभा वाले बन जाएँगे.
-वे रोज़मर्रा के तनाव और चुनौतियों का सहजता से मुक़ाबला कर सकेंगे क्योंकि चुनौतियों पर विजय पाने वाला ही असल में 'जंगल का राजा' होता है.
-इस आसन को करने से गले के रोग नहीं होंगे क्योंकि यह गले की थॉयराइड ग्रंथि से निकलने वाले स्राव को भी संयमित और नियमित करता है.
इसका ध्यान रखें...
नाक से साँस लेना है और मुँह खोलकर दहाड़ते हुए साँस छोड़ना चाहिए ताकि गले में भी इसका कंपन महसूस हो.
शेर की तरह दहाड़ते हुए अर्थात हा...आआ... की आवाज़ निकालते हुए अपना पूरा ध्यान गले पर तथा आवाज़ से उत्पन्न कंपन की ओर लगाकर रखना चाहिए.
-शरीर को थोड़ा आगे की ओर झुकाएँ ताकि उसका भार पूरी बाजू पर आए((सिद्धार्थ प्रसाद,बीबीसी डॉट कॉम,17.6.12. योग प्रशिक्षक सिद्धार्थ जी का कार्यक्रम आप हर शनिवार और रविवार सुन सकते हैं सुबह साढ़े छह बजे बीबीसी हिंदी सेवा के 'आज के दिन' कार्यक्रम में.).
झिझक मिटाने के लिये बढ़िया आसान,,,
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST:...काव्यान्जलि ...: यह स्वर्ण पंछी था कभी...
बहुत अच्छी जानकारी......
जवाब देंहटाएंअब तक भीगी बिल्ली थे अब इस आसान का प्रयोग करते हैं....
:-)
शुक्रिया
बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत दिलचस्प प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंमज़ेदार लगी अज की पोस्ट .
बहुत अच्छी जानकारी..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद....
:-)
badhiya janakari ...abhar
जवाब देंहटाएंआधे व्यायाम भी हो जाएं तो जिंदगी आराम हो जाए..काफी तकलीफों से छुटकारा मिल जाए
जवाब देंहटाएंBahut Badhiya...
जवाब देंहटाएंरोचक जानकारीयुक्त महत्त्वपूर्ण प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसादर आभार।