कई बार योग और ध्यान के लिए समय निकालना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में यदि सप्ताह के अंतिम दो दिन भी आप एक-एक घंटे यौगिक क्रियाओं तथा यौगिक दिनचर्या का अभ्यास करें तो चमत्कारिक लाभ पा सकते हैं।
कामकाजी पुरुष अपने ऑफिस या व्यावसायिक एवं पारिवारिक उत्तरदायित्वों में इस तरह उलझे होते हैं कि स्वयं अपने शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए समय ही नहीं निकाल पाते हैं। भौतिक सुख-सुविधाओं के प्रति अधिक आकर्षण, महात्वाकांक्षाएं, एक दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ की जीवनशैली ने आज लोगों को और अधिक व्यस्त, स्वार्थी तथा एकांगी बना दिया है। इस जीवन शैली ने मानसिक तनाव, कुंठा, निराशा, अवसाद, असंतुष्टि तथा निराशा के साथ-साथ हाइपरटेंशन, हृदय रोग, मधुमेह, आर्थराइटिस तथा अस्थमा आदि अनेक शारीरिक रोगों की सौगात दी है।
योग ऐसे लोगों के जीवन में नई आशा की किरण लाता है। ऐसे लोग यदि सप्ताह के अंतिम दो दिन एक घंटे यौगिक क्रियाओं का अभ्यास करें तथा यौगिक दिनचर्या का अभ्यास करें, तो चमत्कारिक लाभ मिलता है। ऐसी ही कुछ यौगिक क्रियाओं की जानकारी यहां दी जा रही है।
आसन
इनके अभ्यास से एक तो शरीर की मांसपेशियों, नसों एवं स्नायुओं का व्यायाम होता है। दूसरा, सप्ताह भर के मानसिक तनाव के कारण शरीर के स्नायुओं पर पड़ने वाले कुप्रभाव को दूर करने में मदद मिलती है। जिन्हें कोई गंभीर बीमारी नहीं हैं वे जानुशिरासन, सुप्तवज्रासन, उष्ट्रासन, लोलासन, शलभासन, सर्वागासन, नौकासन तथा धनुरासन के दो चक्रों का अभ्यास करें।
धनुरासन की अभ्यास विधि
पेट के बल जमीन पर सीधा लेट जाइए। अब दोनों पैरों को घुटने से मोड़िए, हाथों से पैर के टखनों या अंगूठों को पकड़िए। तत्पश्चात हाथों के सहारे पैरों के घुटने, जांघ तथा धड़ के ऊपरी भाग को यथासंभव उठाइए। श्वास-प्रश्वास सामान्य रखते हुए आरामदायक अवधि तक रुकिए। इसके पश्चात वापस पूर्व स्थिति में आइए। इसके दो चक्रों से 5 चक्रों का अभ्यास कीजिए।
सावधानी
जिन्हें कोलाइरिस, हर्निया या हाइड्रोसील हो, वे इसका अभ्यास न करें।
प्राणायाम
नाड़ियों को शांत करने, सम्पूर्ण शरीर में प्राणशक्ति के यथेष्ट संचारण एवं ग्रंथियों के असंतुलन को दूर करने हेतु प्राणायाम का अभ्यास रामबाण का कार्य करता है। इस हेतु सर्वोत्तम प्राणायाम- कपाल भाति, नाड़ीशोधन, उज्जायी तथा ओम है। इनका अभ्यास आधे घंटे तक करें।
ध्यान
मानसिक तनाव, भावनात्मक असंतुलन तथा नाड़ीय तनावों को दूर करने में ध्यान से श्रेष्ठ अन्य कुछ भी नहीं है। यदि प्रतिदिन दस मिनट नियमित रूप से योगनिद्रा एवं ध्यान का अभ्यास किया जाए तो मन एवं भावनाओं पर नियंत्रण, तनाव के शमन तथा जीवन को सुखमय बनाने में मदद मिलती है।
विशेष
-ऐसे लोगों को प्रतिदिन आधा घंटा प्रात:काल या सायंकाल खुली हवा में टहलना चाहिए।
-खाने-पीने, सोने-जागने, टहलने, व्यायाम करने या अन्य सभी कार्य करने की एक निश्चित दिनचर्या बनानी चाहिए।
-ऑफिस में कुर्सी पर रीढ़ सीधा करके बैठने तथा अपनी श्वास-प्रश्वास को गहरी बनाए रखने का अधिक से अधिक अभ्यास करना चाहिए।
-ऑफिस का कार्य ऑफिस में और घर का कार्य घर में करने की आदत डालनी चाहिए। ऑफिस से घर पहुंचने पर परिवार में एकाकार होकर खूब हँसी तथा प्रसन्नता का माहौल बनाना चाहिए।
-ऑफिस में कुर्सी पर बैठकर ही प्रतिदिन 5 मिनट के लिए दोपहर में योग निद्रा का अभ्यास करना चाहिए।
-सप्ताह के अंतिम दो दिनों में से अपना कुछ समय सेवा कार्य में देना चाहिए। साथ ही कुछ अच्छी पुस्तकों का स्वाध्याय करना चाहिए(हिंदुस्तान,दिल्ली,6.6.12)।
[ma]योग/ध्यान/आसन ने तो मानव जीवन को बदल कर रख दिया है[/ma]
जवाब देंहटाएंआप द्वारा जो जनकल्याण इस ब्लाग के माध्यम से किया जा रहा है उसके लिये आप आभारी है
यूनिक तकनीकी जानकारीयो का ब्लाग
ध्यान और योग के लिये नियमित एक घंटा काफी है या फिर सप्ताह में दो दिन,
जवाब देंहटाएंहम इतना समय तो अपने लिये खर्च कर ही सकते है, ध्यान के अदभूत परिणाम है
प्रयोग करो तभी नतीजे सामने आते है ! बेहद अच्छी पोस्ट ......
करता हूँ कोशिश मैं भी...योग में आलस्य ही सबसे बड़ी बाधा है |
जवाब देंहटाएंयोग और ध्यान दोनों का महत्त्व चिकित्सक भी मानते हैं . लेकिन योग के समय शारीरिक सीमाओं का ध्यान रखना भी ज़रूरी है .
जवाब देंहटाएंप्राणायाम से वाकई बहुत लाभ होता है
जवाब देंहटाएंबहोत ही लाभदायक जानकारी.
जवाब देंहटाएंयोग और ध्यान निश्चित ही फायदेमंद है
हिन्दी दुनिया ब्लॉग (नया ब्लॉग)
प्राणायाम करोगे तुम,करता हूँ मै वायदा,
जवाब देंहटाएंयोग और ध्यान से निश्चित होगा फायदा,,,,
MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: विचार,,,,