कान या नाक छिदाना बहुत ही आम है, अधिकतर ये बचपन में ही करा दिया जाता है। आजकल इसके अलावा बॉडी पिअर्सिंग का चलन भी बढ़ रहा है। फैशन स्टेटमेंट बनने के कारण यह लोकप्रिय तो हो रहा है लेकिन पिअर्सिंग कराते हुए कुछ सावधानियाँ बरतना ज़रूरी है। यदि आप भी पिअर्सिंग कराने का मन बना रहे हों तो अपने आप से ये सवाल पूछें -
-यदि आपकी उम्र १८ साल से कम है तो अपने पेरेंट्स से परमिशन ज़रूर ले लें।
-कई ऑफिसों में फेशियल पिअर्सिंग स्वीकार्य नहीं होती है इसलिए अपने ऑफिस के माहौल के बारे में सोच लें। यदि आप जॉब के लिए अप्लाई कर रहें हैं तो बेहतर होगा कि आप इस समय फेशियल पिअर्सिंग न करवाएँ।
-इस बात पर ज़रूर ध्यान दें कि इससे आपके रोज़मर्रा के जीवन में कोई परेशानी न आए।
-कई संस्थाएँ पिअर्सिंग करवाने के बाद १ साल तक उस व्यक्ति को रक्तदान की अनुमति नहीं देती हैं। इसलिए यदि आप रक्तदान करना चाहते हों तो इसे ओर ध्यान दें।
-क्या आपने वैक्सीन का डोज़ पूरा लिया है? पिअर्सिंग से पहले हिपेटाइटिस-बी और टिटेनस जैसी बीमारियों के खिलाफ टीका लगवा लेने से संक्रमण की आशंका बहुत ही कम हो जाती है।
पिअर्सिंग सुरक्षित है या नहीं?
यदि साफ-सुथरे वातावरण में प्रोफेशनल व्यक्ति से करवाई जाए तो सामान्यतः पिअर्सिंग सुरक्षित होती है। यदि पिअर्सिंग के लिए इस्तेमाल की गई सुई या अन्य उपकरण साफ न हो तो इससे रक्त के माध्यम से फैलने वाली बीमारी का ख़तरा होता है। इन बीमारियों में हिपेटाइटिस-बी, सी, टीटनस और एचआईवी शामिल हैं।
पिअर्सिंग हाइजिनिक जगह पर कराने के बावजूद भी कुछ ख़तरे तो होते ही हैं :
-गंभीर संक्रमण
-त्वचा की एलर्जी।
- एब्सेस यानी त्वचा के कुछ हिस्सों में पस पड़ जाना
- अधिक रक्तस्राव।
-सूजन या तंत्रिका का क्षतिग्रस्त हो जाना।
पिअर्सिंग से सेहत पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में चिकित्सक से भी परामर्श ले सकते हैं,विशेषकर यदि आपको कोई स्वास्थ्यगत परेशानी हो रही हो,जैसे-मधुमेह एवं हृदय रोग,रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होने पर और गर्भावस्था के दौरान।
ये कभी न करें
-खुद ही पिअर्स कर लेना या अपने किसी रिश्तेदार या दोस्त की मदद लेना।
-किसी ऐसे शॉप में पिअर्स कराना जहां उचित साफ-सफाई न हो। यदि शॉप में आपके सभी उचित सवालों के जवाब न दिए जा रहे हों,तो वहां से पिअर्सिंग न कराएं।
ये करें
-पिअर्सिंग को समय-समय पर साफ करते रहें। इसे साफ करने से पहले अपने हाथों को ज़रूर धो लें।
पिअर्सिंग शॉप में इन बातों पर ध्यान दें
-पिअर्सिंग करने वाले व्यक्ति को कीटाणु- नाशक साबुन से बार-बार हाथ धोना चाहिए।
-उसे डिस्पोज़ेबल दस्तानों का ही इस्तेमाल करना चाहिए।
-शॉप का साफ होना बहुत ज़रूरी है।
-पिअर्सिंग निडल डिस्पोज़ेबल होना चाहिए।
पिअर्सिंग का घाव कितने समय में भरेगा?
पिअर्सिंग शरीर के किस हिस्से में की गई है, इसके आधार पर घाव को भरने का समय चंद महीनों से लेकर १ साल तक हो सकता है :
ईयरलोब : ६-८ हफ्ते
ईयर कार्टिलेज : ४ महीने से १ साल
नथुने : २ से ४ महीने
नेज़ल सेप्टम : ६-८ महीने
जीभ : ४ हफ्ते
होंठ : २-३ महीने
बेली बटन : ४ महीने से एक साल
होंठ, जीभ या मुँह के हिस्सों में पिअर्सिंग कराने पर संक्रमण का ख़तरा ज़्यादा होता है। इन हिस्सों में पहने गए आभूषणों से दाँतों के घिसने या इनमें क्रैक पड़ने की आशंका भी रहती है। सावधानी न बरती जाए तो इनसे मसूड़ों में घाव भी हो सकते हैं।
ये हैं सेफ मेटल
-सर्जिकल ग्रेड स्टील
-१४ या १८ कैरट गोल्ड
-टाइटेनियम प्लेटिनम
-नियोबियम(सेहत,नई दुनिया,जून प्रथमांक,2012)
अच्छी जानकारी देती पोस्ट,,,,,
जवाब देंहटाएंअच्छी पोस्ट
जवाब देंहटाएंHindi Dunia Blog (New Blog)
आलेख पढ़कर मन में प्रश्न पैदा हुआ.... छिदवाना 'फैशन' में कब से आया?
जवाब देंहटाएंक्या 'कर्ण-छेदन' 'नासिका छेदन' संस्कारों का ही ये विकृत रूप है? और ये विकृति क्या विकसित होकर आज चरम पर पहुँची है?
मैंने देखे जरूर हैं इन रुचियों के लोग .... लेकिन जानता न था इतना सब, जिसकी जानकारी आपने दी... धन्यवाद.
jankari bhara bahut hi sundar lekh
जवाब देंहटाएंकृपया अपने ब्लॉग का लिंक दें।
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