विशेषज्ञों का मानना है कि बीमार पड़ने वाले ज्यादातर बच्चों को व्यक्तिगत साफ-सफाई के बारे में नहीं सिखाया जाता, जैसे कि खाना खाने से पहले और बाद में हाथ जरूर धोना तथा रोज नहाना आदि। संक्रमण होने के कारण शरीर में पोषक तत्व भी नष्ट हो जाते हैं और कुपोषण होने का खतरा बना रहता है। कुपोषण के कारण शारीरिक और मानसिक विकास अवरूद्व हो जाता है। इसी पर विशेषज्ञों की राय-
अगर आपका बच्चा अक्सर संक्रमण के कारण बीमार रहता है और इस कारण उसकी आये दिन स्कूल की छुट्टी हो जाती है तो इसे आप कतई नजरअंदाज न करें। इससे न सिर्फ बच्चे की पढ़ाई पर असर पड़ता है बल्कि उसका शारीरिक और मानसिक विकास भी प्रभावित होता है। बच्चों के अक्सर बीमार रहने के मुख्य कारण आसपास की साफ-सफाई की ओर ध्यान न देना, साथ ही नियमित तौर पर हाथ न धोना और रोज न नहाना जैसी व्यक्तिगत स्वच्छता की कमी है। लैंसेट मेडिकल जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक विकासशील देशों में 20 करोड़ से ज्यादा बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास पूर्ण नहीं होता। ये तथ्य भारत में मेडिकल और हेल्थकेयर एंजेसियों के लिये सोचने का विषय है क्योंकि आंतों में संक्रमण होने से बच्चों में शारीरिक और मानसिक समस्याएं हो जाती है जिससे वे स्कूल नहीं जाते और इससे उनकी पढ़ाई और खेलकूद प्रभावित होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ज्यादातर बच्चे जो बीमार पड़ते है उन्हें व्यक्तिगत साफ सफाई के बारे में नहीं सिखाया जाता। जैसे कि खाना खाने से पहले और बाद में हाथ जरूर धोना, इसी तरह रोज नहाना आदि-आदि। संक्रमण होने के कारण शरीर के पोषक तत्व भी नष्ट हो जाते है और कुपोषण होने का खतरा बना रहता है। कुपोषण के कारण शारीरिक और मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है। देश भर की हेल्थकेयर एंजेसियां, डायटिशियन और बच्चों के डाक्टर इस समस्या का निदान ढ़ूंढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। डाक्टर बी सी रॉय टेक्नोलॉजी अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर डा. राजा घोष के अनुसार, ‘‘ पांच साल की कम उम्र के 1.8 मिलियन बच्चे डायरिया और न्यूमोनिया से ग्रस्त हैं क्योंकि वे रोज़मर्रा की जिंदगी में नियमित रूप से व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान नहीं रखते।‘‘
कोठारी अस्पताल की डायटीशियन बरनाली रॉय के मुताबिक, ‘‘बच्चों में डायरिया होने का मुख्य कारण जीआरडिया है और इसकी वजह रोज न नहाना और खाने से पहले हाथ न धोना है।‘‘
कोलकता के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉलेरा एंड एनटिक डिजीजेज रिसर्च के वैज्ञानिक डा. जयदीप मज़ूमदार के अनुसार, ‘‘बच्चों में आंतों से संबंधित संक्रमण मानसिक विकास में बाधा पहुंचाते है।‘‘
डा. जयदीप के अनुसार आंतों में संक्रमण सिर्फ आंतों तक सीमित न होकर बल्कि पूरे आंत्र तंत्र को प्रभावित करता है, जिसमें भोजन नलिका से लेकर सभी आंतें शामिल है। ये संक्रमण मुख्यत: बैक्टीरिया, वायरस या परजीवियों के कारण होते हैं। इसका चिकित्सीय भे दभाव करना कठिन होता है। अगर बच्चा दिन में तीन या उससे ज्यादा बार (स्तनपान करने वाले शिशुओं को छोड़कर) ढीला मल निष्कासित करता है तो ये डायरिया होने के लक्षण हो सकते हैं। मल निष्कासन के जरिये अगर कीटाणु या परजीवी वातावरण में मिल जाये तो वे खाने या पानी के जरिये फैल सकते हैं। यह डायरिया का संक्रामण फैलने का सबसे आम कारण है। डा. जयदीप मज़ूमदार का कहना है, ‘‘भारत जैसे विकासशील देश में एक साल से पांच साल के बच्चों में ये संक्रमण आम हैं और इसकी वजह से कुपोषण की समस्या हो जाती है। इसका सबसे प्रमुख कारण है डायरिया के दौरान शरीर से तरल पदार्थ निकलने से गंभीर रूप से निर्जलीकरण हो जाता है और अगर इसका सही तरीके से इलाज नहीं किया जाये तो इससे कुपोषण की समस्या आ जाती है जिससे मानसिक विकास में रुकावट आ सकती है।‘‘
विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों में एकाग्रता और इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिये आयरन, विटामिन और खनिज लवणों के साथ साथ अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को साफ सफाई और व्यक्तिगत स्वच्छता के बारे में भी सिखायें(आधी दुनिया,राष्ट्रीय सहारा,नई दिल्ली से साभार)।
वाकई सबसे ज्यादा इन्फेक्शन हाथों से ही फैलते हैं...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी
शुक्रिया.
Bahut hi kam ki post.sunder prastuti.abhar
जवाब देंहटाएंसुंदर जानकारी,,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST ,,,,, काव्यान्जलि ,,,,, ऐ हवा महक ले आ,,,,,
साफ सफाई तो बहुत ज़रूरी है. लेकिन सिर्फ बच्चों के लिए ही नहीं , यह आदत तो बड़ों में भी होनी चाहिए .गाईरिडिया की जगह जीआरडिया कर लें .
जवाब देंहटाएंशुक्रिया श्रीमान्। कर दिया है।
हटाएंbahut hi sundar jankari bhara lekh
जवाब देंहटाएंBahut Achchi Post... Kaam ki Jankari...
जवाब देंहटाएंयह टिप्प्स के रूप में नहीं हमें टास्क के रूप में सिखाया गया था। आज ...?
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