शुक्रवार, 11 मई 2012

क्या आप जानते हैं विटामिन-डी की सही मात्रा?

सूर्य की उल्ट्रावायलट किरणों के प्रभाव से शरीर में विटामिन बनने की क्षमता के कारण इसे धूप का विटामिन भी कहा जाता है। 

यह सफेद, गंध रहित, वसा में घुलनशील विटामिन है। अम्ल, क्षार, ताप आदि से अप्रभावित रहता है। यही कारण है कि भोजन पकाने के विभिन्ना क्रियाओं के दौरान भी इसे कोई हानि नहीं होती।

विटामिन-डी के कार्य

-कैल्शियम व फास्फोरस के अवशोषण में सहायक

- विटामिन-डी शरीर में कैल्शियम व फास्फोरस के अवशोषण को नियंत्रित करता है। विटामिन डी की कमी से कैल्शियम व फास्फोरस का अवशोषण शरीर में कम हो जाता है जिसके कारण ये पोषक तत्व शरीर में मल द्वारा निष्कासित हो जाता है।

रक्त में कैल्शियम व फास्फोरस की उचित मात्रा : विटामिन "डी" में कैल्शियम व फास्फोरस की मात्रा नियंत्रित करता है। हड्डियों में उपस्थित कैल्शियम व फास्फोरस आवश्यकता पड़ने पर पुनः रक्त में मिल जाता है।

शरीर में उचित वृद्धि हेतु : शरीर में विकास के लिए विटामिन "डी" अति आवश्यक है।

अस्थियों के निर्माण में सहायक यह अस्थियों में मजबूती प्रदान करने के साथ-साथ अस्थियों में कैल्शियम फास्फेट को जमा करने में भी मदद करता है। 

स्रोत 
अंडा, दूध, पनीर, मछली का तेल, दही आदि। विटामिन-डी की कुछ मात्रा शरीर में धूप द्वारा भी पहुँचती है। जब सूर्य की उल्ट्रावायलेट किरणें त्वचा की वसा में उपस्थित कॉलेस्ट्रोल पर पड़ती है तो विटामिन "डी" का निर्माण होता है। इसी कारण मालिश के बाद भी थोड़ी देर सुबह की धूप में बैठना लाभदायक रहता है।

विटामिन डी की अधिकता से हानि इसकी अधिकता से भूख कम, जी मिचलाना, प्यास ज्यादा आदि की समस्या बढ़ जाती है। विटामिन "डी" की अधिकता से किडनी, धमनियों व फेफड़ों में भी अवरोध पैदा होता है। जिसका परिणाम मृत्यु भी हो सकता है।सूर्य की उल्ट्रावायलट किरणों के प्रभाव से शरीर में विटामिन बनने की क्षमता के कारण इसे धूप का विटामिन भी कहा जाता है। 

दैनिक मात्रा 
शैशवावस्था व स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए १० माइक्रोग्राम, बड़े बच्चों व वयस्क में ५ माइक्रोग्राम/ गर्भवती व दुग्धपान कराने वाली स्त्री में १० माइक्रोग्राम की आवश्यकता होती है। 

अतः विटामिन-डी शरीर के लिए अति आवश्यक है। इसे दैनिक आहार तालिका में जरूर शामिल करना चाहिए(श्रीमती संगीता मालू,सेहत,नई दुनिया,अप्रैल चतुर्थांक 2012)।

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया जानकारी ।

    खासकर हम बुजुर्गों के लिए ।

    आभार ।।

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  2. बहुत ज़रूरी है इसलिए...धूप में कुछ देर बैठना......
    जबकि सख्त नापसंद है मुझे....

    शुक्रिया सर.

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  3. आपकी पोस्ट मे दम है.
    आपका स्वागत है.

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  4. बेनामीमई 11, 2012

    bahut upyogi jankari

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