वेन में खून का थक्का बनने की प्रक्रिया को वीनस थ्रांबोसिस कहते हैं। हर साल लाखों लोग इससे प्रभावित होते हैं। इनमें से कई के लिए यह घातक सिद्घ होता है वहीं अन्य को इसके कारण कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई मरीज़ों को यह पता ही नहीं होता है कि वे वीनस थ्रांबोसिस के जोखिम पर हैं, ऐसे में ये समय रहते इलाज लेने से चूक जाते हैं।
शरीर की किसी भी वेन में खून का थक्का जम सकता है लेकिन आमतौर पर थक्के पैरों की वेन्स में अधिक पाए जाते हैं। ये थक्के पिंडलियों या पैरों के निचले हिस्से में आम हैं। इसके अलावा घुटनों के पीछे या जांघों में भी हो सकते हैं।
कारण
वेन्स में रक्त का प्रवाह घटना : उदाहरण के लिए यदि बीमारी के कारण व्यक्ति को लंबे समय तक बिस्तर पर रहना पड़े या लंबी यात्रा में चेयर पर बैठे रहना पड़े।
रक्तवाहिनी का क्षतिग्रस्त होना : पैरों, हिप्स या पेल्विस सर्जरी के दौरान या बढ़ती उम्र के कारण होने वाले परिवर्तनों से रक्तवाहिनियों की दीवार क्षतिग्रस्त हो जाती है।
थक्का बनने की प्रवृत्ति : शरीर में खून जमने की प्रक्रिया में आनुवांशिक रूप से समस्या होना, कैंसर, गर्भावस्था या गर्भ निरोधक दवाओं के कारण हारमोन के स्तर में परिवर्तन आने के कारण भी यह हो सकता है।
ये हैं जोखिम पर
-वृद्धजन, बीमारी या सर्जरी के कारण लंबे समय तक एक ही स्थिति में रहने पर। यात्रा के दौरान लंबे समय तक एक ही स्थिति में रहने वाले यात्री।
-हिप्स या घुटनों की सर्जरी कराने वाले मरीज़। टोटल हिप रिप्लेसमेंट कराने वाले करीब ५० प्रतिशत मरीज़ों को बचाव के लिए दवाएँ न दी जाएँ तो डीप वेन थ्रांबोसिस (डीवीटी) की आशंका रहती है।
-वे मरीज़, जिन्हें हृदयाघात हो चुका है।
-कैंसर के मरीज़ों को विशेषकर सर्जरी के बाद आशंका रहती है। कीमोथैरेपी ले रहे मरीज़ों को भी थ्रॉम्बोसिस हो सकता है।
-गर्भवती महिलाएं,गर्भनिरोधक गोलियां ले रही महिलाएं।
-धूम्रपान करने वाले लोग(डॉ. इदरीस खान,सेहत,नई दुनिया,अप्रैल तृतीयांक 2012)।
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