कैसी भी थकान हो या कैसी भी बीमारी हो, पर्याप्त नींद इन समस्याओं का सबसे अच्छा उपाय है। स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है प्रतिदिन पर्याप्त नींद ली जाए। यदि नींद पूरी नहीं हो पाती है तो ये आलस्य को बढ़ाती है और कई बीमारियों का न्यौता देती है। हमें अच्छे से नींद के लाभ मिल सके इसके लिए शास्त्रों में कई प्रकार के नियम बताए गए हैं। इन नियमों का पालन पर व्यक्ति को आरामदायक नींद आती है।
नींद के संबंध में सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि हम लेटे कैसे? हमारा सिर और पैर किस दिशा में होना चाहिए? यदि इन बातों का ध्यान रखा जाए तो व्यक्ति को गहरी और अच्छी नींद प्राप्त होती है। सोने की सही अवस्था व्यक्ति को काफी ऊर्जा प्रदान करती है। गलत अवस्था में सोने पर कई प्रकार की बीमारियां होने की संभावनाएं रहती हैं।
वास्तु या फेंगशुई और शास्त्रों के अनुसार में इंसान की सोने की अवस्था भी ऊर्जा को प्रभावित करती है। सोते समय हमारा सिर पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए। इन दिशाओं के विपरित सोना अशुभ माना गया है।
पूर्व या दक्षिण दिशा में सिर रखकर सोने से दीर्घ आयु एवं अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। जबकि पश्चिम या उत्तर दिशा में सिर रखकर सोने पर स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं और इसे अशुभ भी माना जाता है।
विज्ञान के दृष्टिकोण से देखा जाए तो पृथ्वी के दोनों ध्रुवों उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव में चुम्बकीय प्रवाह विद्यमान है। उत्तर दिशा की ओर धनात्मक प्रवाह
रहता है और दक्षिण दिशा की ओर ऋणात्मक प्रवाह रहता है। इसी के आधार पर चुम्बक में भी दो पॉल साउथ (उत्तर) पॉल और नॉर्थ (दक्षिण) पॉल रहते हैं। यदि दो चुंबक के साउथ पॉल को मिलाया जाए तो वे चिपकते नहीं हैं बल्कि एक-दूसरे से दूर भागते हैं। जबकि अपोजिट पॉल्स मिलाए जाए तो चुंबक चिपक जाती है। यही सिद्धांत सोने के संबंध में हमारे शरीर पर भी लागू होता है। हमारे सिर की ओर धनात्मक ऊर्जा और पैर की ओर ऋणात्मक ऊर्जा रहती है। यदि हम उत्तर दिशा की ओर सिर रखकर सोते हैं तो उत्तर दिशा का धनात्मक तरंगे और हमारे सिर की धनात्मक तरंगे एक-दूसरे को दूर भगाती हैं जिससे मस्तिष्क हलचल बढ़ जाती है और ठीक से नींद नहीं आ पाती है। जबकि दक्षिण दिशा की ओर सिर रखने पर पैरों की ऋणात्मक तरंगे वातावरण की धनात्मक तरंगों को आकर्षित करती हैं और सिर की धनात्मक तरंगे वातावरण की ऋणात्मक तरंगों को आकर्षित करती हैं जिससे हमारे मस्तिष्क में कोई हलचल नहीं होती है। इससे नींद अच्छी आती है। अत: उत्तर की ओर सिर रखकर नहीं सोना चाहिए।
पश्चिम दिशा में सिर रखकर सोते हैं तो हमारे पैर पूर्व दिशा की ओर होंगे जो कि शास्त्रों के अनुसार अशुभ माना गया है। क्योंकि पूर्व दिशा से सूर्योदय होता है और हम उस दिशा में पैर रखें तो यह सूर्य देव के अपमान के समान ही है। ऐसे सोने पर व्यक्ति बुद्धि संबंधी परेशानियां झेलता है। समाज में मान-सम्मान प्राप्त नहीं कर पाता(शशिकान्त साल्वी,दैनिक भास्कर,उज्जैन,11.4.12)।
अरे वाह. ये भी खूब रही.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर जानकारी....
जवाब देंहटाएंजानकारी से भरपूर पोस्ट लेकिन लोग कहते हैं जो सोया वह खोया :)
जवाब देंहटाएंउपयोगी जानकारी -धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआज प्रगतिशील इनसान की नींद खो गई है ! नींद का वैज्ञानिक महत्व तो है ही इसके अलावा
जवाब देंहटाएंदिनभर जो उर्जा की खपत होती है रात छह सात घंटे के नींद द्वारा प्रकृति उसकी भरपाई करती है
इसीलिए सुबह सोकर उठने के बाद हम तरोताजा महसूस करते है !
अच्छी जानकारी आभार !
हम काबे की तरफ़ पैर करके सोना बेअदबी मानते हैं।
जवाब देंहटाएंहिंदुस्तान में काबे की दिशा पश्चिम ही पड़ती है।
पूरब और पश्चिम की बातें तो आदर से जुड़ी हुई हैं।
उत्तर दक्षिण की बात वैज्ञानिक लगती है।
धन्यवाद !
गुरू नानक मक्का में काबा की ओर पैर कर सोए हुए थे। किसी ने उन्हें टोका कि वे खुदा के घर की ओर पैर कर के न सोएँ। गुरू ने कहा -भैया मेरे पैर उधर कर दो जिधर खुदा न हो।
जवाब देंहटाएंचारपाई को बोलता हूँ
जवाब देंहटाएंघूमजा 90 डिग्री ।
जानकारी का खज़ाना.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर जानकारी....
सुन्दर जानकारी.
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
http://charchamanch.blogspot.in/2012/04/847.html
चर्चा - 847:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
bahut sundar jaankari di hai is aur to kabhi dhyaan hi nahi diya aage se dhyaan rakhenge.aabhar.
जवाब देंहटाएंbahut acchi jankari......follow karna hoga...
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