यह ११ वर्षीय बालक पिछले तीन सालों से नकसीर (एपिस्टेक्सिस) से पीड़ित था। समस्या की शुरुआत गर्मी के मौसम में हुई। एक दिन स्कूल से लौटते समय उसे नाक से कुछ बहता हुआ महसूस हुआ। घर आकर देखने पर उसने पाया कि नाक से खून बह रहा था। माँ ने उसे लेटाकर नाक पर रुई रख दी। ५ मिनट बाद खून बहना बंद हो गया और कुछ देर आराम करके वो बिलकुल ठीक हो गया। गर्मी और धूप के कारण कभी-कभी नाक से खून बहने लगता है। इसे सामान्य मानकर बच्चे के माता-पिता ने इस पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया। करीब १५ दिन बाद उसे फिर से यही समस्या हुई, इस बार स्कूल के मैदान में खेलते हुए। उसे स्कूल से घर भेज दिया गया, माँ ने उसे पहले की तरह ही लेटाकर नाक पर रुई रख दी। कुछ देर में खून बहना रुक गया।
अब माता-पिता उसे लेकर चिंतित थे और वे चिकित्सक के पास जाते उसके पहले बालक की नाक से फिर खून बहना शुरू हो गया। समस्या शुरू होने के डेढ़ महीनों के अंदर यह तीसरा अटैक था। इसलिए वे तुरंत चिकित्सक के पास पहुँचे। चिकित्सक ने बताया कि चिंता कि कोई बात नहीं थी। नाक में कई छोटी-छोटी रक्तवाहिनियाँ होती हैं, जो गर्मी बढ़ने या खरोचने से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। कई बार नाक साफ करते हुए नाखुन लगने के कारण नाक से खून बहने लगता है। चिकित्सक ने उसे नाक में उँगली न डालने की सलाह दी। कुछ दिनों तक सबकुछ सामान्य रहा। एक दिन जब बच्चा पिकनिक पर गया था, दिन में तेज़ गर्मी के कारण उसकी नाक से फिर खून बहना शुरू हो गया। इस बार खून बहुत ज़्यादा बहा था। बच्चे के माता-पिता ने तुरंत उसे लेटा दिया और ब्लीडिंग रुकने तक नाक पर रुई लगाकर रखी।
इसके बाद वे फिर चिकित्सक के पास पहुँचे, जिन्होंने परीक्षण करके यही बताया कि सबकुछ सामान्य है। बार-बार खून बहने के कारण चिकित्सक ने उन्हें कान-नाक-गला रोग विशेषज्ञ के पास जाने की सलाह दी।
कई दिनों तक सब कुछ सामान्य रहा। इसलिए उन्होंने विशेषज्ञ से परामर्श नहीं लिया। ४-५ महीने बीत गए और सबकुछ ठीक-ठाक चलता रहा। गर्मियों की छुट्टियाँ भी ख़त्म हो गईं। इसके बाद सितंबर में एक बार नाक से थोड़ा-सा खून बहा, जो आसानी से रुक गया। फिर एक साल तक कोई समस्या नहीं हुई और वे चिकित्सक या विशेषज्ञ को दिखाने भी नहीं गए। अगले साल गर्मियाँ शुरू होते ही एक बार नाक से हल्का-सा खून बहा। २-३ दिन बाद उसे फिर अटैक आया, जो गंभीर
था। ५ मिनट तक नाक से खून बहता रहा व बड़ी मुश्किल से रुका। माता-पिता ने रुई से लेकर बर्फ के सेक तक हर उपाय कर लिया, लेकिन खून बहता जा रहा था।
अब उन्हें यह समझ आ गया था कि नाक से खून निकलने का कारण तेज़ गर्मी थी। जब भी बच्चा तेज़ धूप या गर्मी में घर से बाहर निकलता, उसकी नाक से खून बहना शुरू हो जाता। गर्मियों में समस्या बहुत अधिक होती थी, इसलिए उसके धूप में बाहर निकलने पर रोक लगा दी। अब वो केवल सुबह या शाम को ही बाहर निकलता और पूरा दिन घर में बंद रहता था। इससे नाक से खून बहना तो रुक गया, लेकिन बच्चे की सामान्य गतिविधियों में भी रुकावट आने लगी। इस तरह गर्मी की छुट्टियाँ ख़त्म हो गई और स्कूल शुरू हो गए। बारिश के चलते मौसम में ठंडक बनी रही और बच्चे को कोई तकलीफ़ नहीं हुई लेकिन सितम्बर में एक बार फिर उसे अटैक आया। इस बार वे लोग विशेषज्ञ से परामर्श लेने पहुंचे।
वहां भी परीक्षण में कोई परेशानी दिखाई नहीं दी। विशेषज्ञ ने अटैक को देखते हुए कॉटराइजेशन प्रक्रिया कराने की सलाह दी। नाक के एक हिस्से में कई बारीक-बारीक रक्तवाहिनियां होती हैं जिसे लिटिल्स एरिया कहते हैं। कॉटराइजेशन के ज़रिए इस हिस्से को जलाया जाता है ताकि नाक से खून बहना बंद हो सके। माता-पिता ने सोचा कि वे यह प्रक्रिया परीक्षा के बाद छुट्टियों में करवाएंगे। तब तक ब्लीडिंग से बचने के लिए उन्होंने उसे धूप और गर्मी से बचाने की ओर ध्यान दिया। कुछ महीनों तक नाक से बिल्कुल भी खून नहीं आया किंतु गर्मियों के शुरू होते ही उसे एक बार फिर अटैक आया। परीक्षाओं के दौरान ब्लीडिंग से बचने के लिए उन्होंने कुछ समय होम्योपैखी का इलाज़ कराने का फैसला किया।
गर्मी के कारण नाक से खून बहने की समस्या के लिए क्रोकस सटाइवस नामक दवा से इलाज़ शुरू किया। दवाएं लेने के बाद उसे कोई अटैक नहीं आया। और परीक्षाएं खत्म हो गईं। हमने उसके माता-पिता को कुछ समय यही इलाज़ लेने की सलाह दी। दवाओं से यदि समस्या ख़त्म हो जाए,तो कॉटराइजेशन की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी।
इलाज़ के बाद केवल 3-4 माइल्ड अटैक आए और कुछ महीनों बाद वो पूरी तरह ठीक हो गया। कभी अचानक अटैक आने पर इस्तेमाल करने के लिए उसे दवा की एक डोज दी गई,किंतु उसे इसकी ज़रूरत ही नहीं पड़ी(डॉ. कैलाशचंद्र दीक्षीत,सेहत,नई दुनिया,मार्च चतुर्थांक 2012)
मेरे बेटे को भी नकसीर की समस्या है.....पहले बहुत ज्यादा होती थी अब काफी कम है....तेज गर्मी की शुरुवात में होती है....आज पहली बार हुई इस मौसम में...
जवाब देंहटाएंमैंने भी होमीओपेथी डॉक्टर को दिखाया तब उन्होंने खाली iron tablets ferrum foss दिया और paraffin drop....
अब पहले सा खतरनाक ब्लीडिंग नहीं है...
अब आपके बताये ईलाज को देखती हूँ.....
बहुत बहुत आभार.
मुझे जब भी जुकाम होता है अक्सर नाक से काफी खून बहने लगता है. आपकी बताई दवाई का उपयोग करके देखते हैं..आभार
जवाब देंहटाएंयह उपयोगी जनकारी दी है आपने।
जवाब देंहटाएंउपयोगी जानकारी ...
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