मंगलवार, 20 मार्च 2012

माइग्रेनःकारण और निवारण

मर्मांतक पीड़ा पहुँचाने वाले सिरदर्द को सभी माइग्रेन के नाम से जानते हैं। शरीर की पूरी शक्ति निचोड़ लेने वाले इस सिरदर्द को जल्दी पहचान लेने से इससे जल्दी छुटकारा मिल सकता है। ताकतवर दर्द निवारक दवाएँ भी इस पर असर नहीं करतीं। अधिकांश मरीजों को आराम करने पर ही दर्द से छुटकारा मिलता है।

माइग्रेन तीन प्रकार का होता हैः
सामान्य माइग्रेन- फोनोफोबिया और फोटोफोबिया के साथ इस तरह के दर्द में मरीज़ को चमकाली रोशनी का एक गोला-सा दिखाई पड़ता है। मरीज को किसी भी तरह की रोशनी से नफरत हो जाती है।

क्लासिक माइग्रेन- इसमें रंगीन गोला दिखाई पड़ता है, जिगजैग़ पैटर्न में चटख रंगीन चमचमाती रोशनियाँ दिखाई पड़ती हैं या दृष्टि क्षेत्र में एक छिद्र दिखाई पड़ता है जिसे ब्लाइंड स्पॉट कहते हैं।

जटिल माइग्रेन- मस्तिष्क के ठीक से काम न करने से की वजह से सिरदर्द होता है। 

लगभग ४०-६० प्रतिशत माइग्रेन अटैक चेतावनी के लक्षण देकर आते हैं, जैसे नींद-सी लगी रहना, चिड़चिड़ापन, थकान, अवसाद या उन्माद, उबासी और मिठाई या नमकीन चीज़ें खाने की इच्छा। ये लक्षण कई दिन रहते हैं। मरीज़ और उसके परिवार वालों को इन चेतावनियों पर गंभीरता से निगाह रखनी चाहिए। उन्हें यह पहचानना होगा की माइग्रेन का अटैक होने को है और उन्हें चिकित्सक के पास जाना चाहिए। 

माइग्रेन अटैक की चेतावनियों को पहचानना बहुत महत्वपूर्ण है। समय पर कदम उठा लेने से इस हमले से बचा जा सकता है। इस हमले से बचाव के लिए पेनकिलर जैसे आइबुप्रोफेन की मदद ली जाती है, जो कि सब जगह आसानी से उपलब्ध रहती है। इस प्रकार की दवाओं से तुरंत आराम मिलता है। कभी-कभी इस अटैक का असर इतना गंभीर होता है कि कऱीब २४ घंटे भी रह सकता है। मरीज़ को अहसास होता है कि वह ताकत से खाली हो गया है। उसे हल्का सिरदर्द रह सकता है और वह रोशनी व आवाज़ के प्रति संवेदनशील हो जाता है। इस मर्ज़ की वजह से लोगों का जीना दूभर हो जाता है। वे इस अटैक से बच नहीं पाते और उन्हें दवाएँ लेनी पड़ती हैं। अक्सर माइग्रेन का ठीक से उपचार नहीं किया जाता, जिसकी वजह से यह ज़िंदगी को बुरी तरह प्रभावित करता है। इसका इलाज ही एकमात्र उपाय है। 

अटैकः क्या करें 
अपना मुँह ठंडे पानी से धोएँ और फिर एक अँधेरे कमरे में आराम करें। नींद पूरी लें। अपनी आँखों पर ज़्यादा ज़ोर न डालें। पर्याप्त पानी पियें। कुछ समय के अंतराल पर नियमित रूप से थोड़ा-थोड़ा भोजन करें। एक बार में पेट भर न खाएँ।  

कारण 
माइग्रेन का सटीक कारण अज्ञात है फिर भी कुछ कारणों को ज़िम्मेदार माना जाता है। रक्त वाहिकाओं के आकार में परिवर्तन और दिमाग़ में न्यूरोट्रांस्मिटर रसायनों के स्तर में परिवर्तन होना इन कारणों में शामिल है। दिमाग़ में सिरोटोनिन नामक रसायन होता है, जिसका स्तर कम होने पर रक्त वाहिकाएँ चौड़ी हो जाती हैं। यही माइग्रेन के तेज़ दर्द का कारण होता है। ऐसी कई चीज़ें हैं जो माइग्रेन के अटैक का कारण बन सकती हैं। इन कारणों को ट्रिगर कहते हैं। थकान, तनाव, निर्जलीकरण, हारमोन के स्तरों में परिवर्तन, समय पर खाना नहीं खाना या भूखे रहना ट्रिगर की तरह काम कर सकते हैं। इसके अलावा खाने या पीने की कुछ चीज़ें चीज़, चॉकलेट, चाय, कॉफी या शराब भी दर्द का कारण हो सकते हैं।(डॉ. ईश आनंद,सेहत,नई दुनिया,मार्च,2012 द्वितीयांक)

11 टिप्‍पणियां:

  1. माइग्रेन की तकलीफ समझ सकता हूँ ......
    कम से कम मेरे लिए तो जानकारी महत्वपूर्ण और उपयोगी है.....
    आभार उपरोक्त पोस्ट हेतु.

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  2. माइग्रेन का सटीक कारण अज्ञात है फिर भी कुछ कारणों को ज़िम्मेदार माना जाता है। रक्त वाहिकाओं के आकार में परिवर्तन और दिमाग़ में न्यूरोट्रांस्मिटर रसायनों के स्तर में परिवर्तन होना इन कारणों में शामिल है। दिमाग़ में सिरोटोनिन नामक रसायन होता है, जिसका स्तर कम होने पर रक्त वाहिकाएँ चौड़ी हो जाती हैं। यही माइग्रेन के तेज़ दर्द का कारण होता है। ऐसी कई चीज़ें हैं जो माइग्रेन के अटैक का कारण बन सकती हैं। इन कारणों को ट्रिगर कहते हैं।
    तेज़ 'चीनी -मसाले' भी इस आधी शीशी के पूरे दर्द की वजह बनते देखे गएँ हैं कासकर किशोरों में .अच्छी जानकारी .सहज सरल शब्दों में .

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  3. बहुत ही उपयोगी है यह जानकारी ...आभार

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  4. मैंने इससे पीड़ित लोगों को देखा है, बहुत हालत खराब हो जाती है.

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  5. बढ़िया प्रस्तुति |
    बधाई स्वीकारें ||

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  6. प्रभावशाली और जाग्रति प्रेरक प्रस्तुति!!
    बहुत बहुत आभार इस आलेख के लिए

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