स्टडीज बताती हैं कि करीब 50 पर्सेंट ओवरवेट पेशंट्स में ब्रेकफास्ट स्किप करने की आदत होती है। वहीं, जो बच्चे घर से ब्रेकफास्ट करके निकलते हैं, वे पूरा दिन एनर्जी से भरपूर रहते हैं और स्कूल में भी अच्छा परफॉर्म करते हैं।
अगर आप एसिडिटी, ओबेसिटी या फिर शॉर्ट अटेंशन स्पैन से परेशान हैं, तो इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि आप अपना ब्रेकफास्ट स्किप कर रहे हैं। स्टडीज ये भी बताती हैं कि जो लोग रेग्युलर और प्रॉपर ब्रेकफास्ट लेते हैं, उनकी मेमरी शार्प रहती है और सोचने- समझने की कपैसिटी भी बढि़या रहती है। इसीलिए ब्रेकफास्ट को 'ब्रेन फूड' भी कहा जाता है।
डायटीशियन अनिता जताना के मुताबिक, मेट्रो सिटीज की लाइफस्टाइल में हेक्टिक शेड्यूल के चलते ब्रेकफास्ट को मिस करना आम बात हो गई है। एक सेहतमंद नाश्ते के ट्रडीशन को फॉलो न करने के लिए लोगों के पास कई तरह के एक्सक्यूज हैं। अक्सर टाइट वर्क शेड्यूल, लेट नाइट डिनर के अलावा जीरो फिगर की चाहत भी ब्रेकफास्ट से दूर करती है।
इंटरनल मेडिसिन कंसलटेंट डॉ. वीरेंदर आनंद के मुताबिक, जो लोग सुबह में नहीं खाते, उन्हें लॉन्ग टर्म में कोलेस्ट्रॉल और कॉरनेरी प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। मॉर्निंग मील को स्किप करने से गॉल- ब्लैडर डिजीजेज भी हो सकते हैं। बकौल डॉ. आनंद, 'प्रोटीन रिच, हाई फाइबर और लो फैट ब्रेकफास्ट को आप अपनी लाइफटाइम हैबिट बना लें। खुद को 'गुड मॉर्निंग' कहने का यह सबसे अच्छा तरीका है।'
घटता है एनर्जी लेवल
देखा गया है कि करीब 50 पर्सेंट ओवरवेट पेशंट्स में ब्रेकफास्ट स्किप करने की आदत होती है। अगर आप वेट घटाने के लिए ऐसा कर रहे हैं तो उससे आपका वेट और बढ़ सकता है। इससे ऐसा भी हो सकता है कि आपको अगली मील लेने के वक्त ज्यादा भूख लगे और आप ज्यादा खा लें। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर आप एक साथ ज्यादा खाते हैं तो इससे फैट बढ़ने के चांस रहते हैं, जबकि छोटी डाइट कई बार लेने से आपको उतनी ही कैलोरी मिलेगी और एनर्जी भी बनी रहेगी। जब आप बिना ब्रेकफास्ट के अपना काम शुरू करते हैं तो आपका एनर्जी लेवल कम होता जाता है, क्योंकि पेट खाली होता है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक , डाइजेस्टिव ट्रैक के मूवमेंट और प्रॉपर फंक्शनिंग के लिए सुबह के हल्के खाने की जरूरत होती ही है। जो लोग रेग्युलर ब्रेकफास्ट नहीं कर पाते , उनमें गैस्ट्रिक , एसिडिक और कंसटीपेशन की दिक्कतें रहती हैं।
लंबा है यह गैप
डाइटीशियन रीतिका समादार का कहना है कि अक्सर डिनर और ब्रेकफास्ट के बीच में 10 से 12 घंटे का गैप होता है। इतना समय बॉडी के रेस्ट करने के लिए काफी होता है। अगर हम ब्रेकफास्ट स्किप करते हैं , तो इस गैप में कुछ घंटे और जुड़ जाते हैं। इससे मेटाबॉलिज्म पर इफेक्ट पड़ता है। '
यही नहीं , खाने के बीच में लंबे गैप से डाइजेशन की प्रॉब्लम भी हो सकती है। एक समय के बाद जब ब्रेकफास्ट के अलावा हम दूसरे मील्स भी स्किप करने लगते हैं , तब स्टोमैक और इंटेस्टाइन के श्रिंक करने के भी हालात बन जाते हैं।
8 से 10 के बीच
ब्रेकफास्ट का आइडियल टाइम सुबह के 8 बजे से 10 बजे तक का है। अगर आप इसमें देरी करते हैं , तब वेट गेन करने के हालात बनते हैं। सुबह में जागने के दो घंटे के भीतर ब्रेकफास्ट जरूर कर लें। एक हेल्दी ब्रेकफास्ट में सही मात्रा में प्रोटीन , कार्बोहाईड्रेट , फाइबर और विटामिन होने चाहिए। प्रोटीन के लिए लो फैट मीट , अंडा , चीज , नट्स और डेरी प्रॉडक्ट्स लिए जा सकते हैं। फाइबर के लिए ग्रेन , वेजिटेबल्स और फ्रूट्स लिए जा सकते हैं। सिरियल , सिरप और पेस्ट्री में हाई शूगर कंटेंट होने के कारण इन्हें अवॉइड भी किया जा सकता है(नवभारत टाइम्स ,दिल्ली,२४.२.१२) ।
खुद को 'गुड मॉर्निंग' कहने का यह सबसे अच्छा तरीका है।'
जवाब देंहटाएंबढ़िया ........
सही कह रहे हैं .
जवाब देंहटाएंइसीलिए कहते हैं --ब्रेकफास्ट लाइक किंग --लंच लाइक प्रिंस --और डिनर लाइक बैगर .
आपके सभी स्तंभ बहुत जानकारी लिय हुए व उपयोगी होते है. अच्छा ब्लॉग बनाये है. बधाई है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही उपयोगी जानकारी दी आपने .अब यह पढ़ कर हमारे घर के बच्चे तो सावधान रहेंगे ही बात औरों तक भी पहुँचेगी .
जवाब देंहटाएंआभार !
मैं तो ब्रेकफ़ास्ट लेकर ही घर से निकलता हूं। वैसे भी हमारे मिथिला में कहावत है, खाली पेट घर से नहीं निकलना चाहिए।
जवाब देंहटाएंछोटे टुकड़ों में कई बार खाना अच्छा रहता है.
जवाब देंहटाएंहाँ नाश्ता समय पर लेना ही चाहिए ...उपयोगी पोस्ट
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