फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) की हाल में आई रिपोर्ट ने लोगों के कान खड़े कर दिए। लोग सोचने को मजबूर हैं कि जब देश भर में लिए गए 1791 सैंपलों की जांच में 68.4 फीसदी दूध मिलावटी पकड़ा गया है तो हमारे घरों में आने वाला दूध आखिर कितना प्योर और सेफ है। नामी दूध डेरियां भी मानती हैं कि दूध में खतरनाक केमिकल की मिलावट का खेल चल रहा है , लेकिन वे यह दावा भी करती हैं कि उनका दूध प्योर और सेफ है। दूध की सेफ्टी और प्योरिटी से जुड़े तमाम पहलुओं पर विस्तार से जानिए:
आमतौर पर दूध में 85 फीसदी पानी होता है और बाकी हिस्से में ठोस तत्व यानी मिनरल्स व फैट होता है। बाजार में गाय-भैंस के अलावा विभिन्न कंपनियों का पैकेट वाला दूध मिलता है। दूध प्रोटीन , कैल्शियम और राइबोफ्लेविन (विटामिन बी-2) युक्त तो होता ही है , इसमें विटामिन ए , डी , के और ई समेत फॉस्फोरस , मैग्नीशियम , आयोडीन समेत कई मिनरल और फैट तथा एनर्जी भी होती है। इसके अलावा इसमें कई एंजाइम और लिविंग ब्लड सेल्स भी मिलते हैं। डाइटिशियंस की मानें तो ये सब पोषक तत्व हमारी मांसपेशियों और हड्डियों के गठन में अहम भूमिका निभाते हैं। प्रोटीन ऐंटिबॉडीज के रूप में काम करता है और हमें इन्फेक्शन से बचाता है।
गाय का दूध: गाय के दूध में प्रति ग्राम 3.14 मिली ग्राम कोलेस्ट्रॉल होता है। गाय के ताजा दूध को ही सबसे अच्छा माना जाता है , वैसे कुछ स्टडी बताती हैं कि गाय के दूध से बेहतर है भैंस का दूध। उसमें कम कोलेस्ट्रॉल होता है और मिनरल ज्यादा होते हैं।
भैंस का दूध: भैंस के दूध में प्रति ग्राम 0.65 मिली ग्राम कोलेस्ट्रॉल होता है। भैंस के दूध में गाय के दूध की तुलना में 92 फीसदी कैल्शियम , 37 फीसदी आयरन और 118 फीसदी फॉस्फोरस ज्यादा होता है।
पैकेट वाला दूध: इस तरह का दूध मदर डेरी , अमूल , पराग जैसी कंपनियां सप्लाई करती हैं। इसमें विटामिन ए , आयरन और कैल्शियम ऊपर से भी मिलाया जाता है। इसमें भी कई तरह के जैसे फुल क्रीम , टोंड , डबल टोंड और फ्लेवर्ड मिल्क मिलते हैं। फुल क्रीम में फैट सबसे अधिक होता है। इन सभी की अपनी उपयोगिता है , पर डॉक्टरों की राय है कि बच्चों के लिए फुल क्रीम दूध बेहतर है तो बड़ों के लिए कम फैट वाला दूध।
इनके अलावा बकरी का दूध , ऊंटनी का दूध , फ्लेवर्ड मिल्क और सोयाबीन का भी दूध होता है।
मदर डेरी के दूध में फैट और एसएनएफ की मात्रा ( सभी आंकड़े प्रतिशत में )
मदर डेरी के दूध में फैट और एसएनएफ की मात्रा ( सभी आंकड़े प्रतिशत में )
दूध की क्वॉलिटी-एसएनएफ-फैट
खुला दूध-8.5-3
फुल क्रीम-9-6
टोंड पैकेट-8.5-3
डबल टोंड-9-1.5
स्किम्ड-8.5-0.5 से कम
स्टैंडर्डाइज्ड-8.5-4.5
*फैट यानी क्रीम और बटर
*एसएनएफ (सॉलिड नॉट फैट) यानी दूध में मौजूद लेक्टोज , प्रोटीन , कैल्शियम और मिनरल्स जैसे तत्व।
मिलावट जानने के लिए टेस्ट
1. यूरिया: दो मिलीलीटर दूध लें। उसमें 2 मिलीलीटर यूरिया परीक्षण रसायन ( urea reagent ) डालें और दोनों को अच्छी तरह मिलाएं। पीला रंग दिखाई पड़े तो दूध में यूरिया मिलाया गया है।
2. अमोनिया: 1 मिलीलीटर दूध लें और उसमें 2 मिलीलीटर अमोनिया परीक्षण रसायन ( ammonia regent ) अच्छी तरह मिलाएं। रंग भूरा हो जाए तो समझिए दूध में अमोनिया फर्टिलाइजर मिलाया गया है।
3. नाइट्रेट फर्टिलाइजर: 1 मिलीलीटर दूध लें और ट्यूब के किनारे से 1 मिलीलीटर नाइट्रेट परीक्षण रसायन ( nitrate regent ) डालें। दूध और नाइट्रेट के मिलने की जगह अगर नीला घेरा बन जाए तो नाइट्रेट फर्टिलाइजर या तालाब का पानी मिलाया गया है।
4. स्टार्च: 5 मिलीलीटर दूध उबालें। ठंडा होने पर इसमें स्टार्च परीक्षण रसायन ( starch regent ) की कुछ बूंदें मिला दें। नीला रंग होने पर समझें कि दूध में स्टार्च मिलाया गया है।
5. चीनी: 1 मिलीलीटर दूध लें। उसमें 1 मिलीलीटर चीनी परीक्षण रसायन ( sugar regent ) मिलाएं और तीन से पांच मिनट तक उबलते पानी में रखें। लाल रंग होने पर समझें कि चीनी की मिलावट है।
6. ग्लूकोज : 1 मिलीलीटर दूध लें और उसमें 1 मिलीलीटर ग्लूकोज परीक्षण रसायन-1( glucose regent -1 ) मिलाएं। तीन मिनट तक इसे उबलते पानी में रहने दें और ठंडा होने पर 1 मिलीलीटर ग्लूकोज परीक्षण रसायन-2 ( glucose regent -2) मिलाएं। गहरा नीला रंग होने पर जान लें कि दूध में ग्लूकोज मिलाया गया है।
7. नमक: 5 मिलीलीटर नमक परीक्षण रसायन-1 ( salt regent -1) लें और उसमें नमक परीक्षण रसायन-2 ( salt regent -2) की कुछ बूंदें मिला दें। लाल रंग उभरकर आएगा। उसमें 1 मिलीलीटर दूध डालकर अच्छी तरह मिलाएं। पीला रंग होने पर समझिए कि दूध में नमक मिलाया गया है।
8. न्यूट्रलाइजर्स: 5 मिलीलीटर दूध लें। उसमें 5 मिलीलीटर न्यूट्रलाइजर्स परीक्षण रसायन-1 ( nurtalizers regent -1) और न्यूट्रलाइजर्स परीक्षण रसायन-2 ( nurtalizers regent -2) की कुछ बूंदें मिलाएं और अच्छी तरह घोलें। गुलाबी रंग होनेपर समझें कि न्यूट्रलाइजर मिलाया गया है।
9. हाइड्रोजन परॉक्साइड: 1 मिलीलीटर दूध लें। हाइड्रोजन परॉक्साइड परीक्षण रसायन ( hydrogen peroxide reagent ) की कुछ बूंदें डालकर अच्छी तरह मिलाएं। गुलाबी या लाल रंग होने पर समझिए कि दूध में हाइड्रोजन परॉक्साइड मिलाया गया है।
10. फॉर्मेलिन: 10 मिलीलीटर दूध लें और ट्यूब के किनारे को छूता हुआ 5 मिलीलीटर फॉर्मेलिन परीक्षण रसायन ( formalin reagent ) डालें। बीच में गहरे जामुनी रंग का घेरा बनने पर समझें कि फॉर्मेलिन मिलाया गया है।
क्यों की जाती है मिलावट
यूरिया , अमोनिया , नाइट्रेट फर्टिलाइजर , स्टार्च , शुगर , ग्लूकोज और नमक की मिलावट करने दूध की मात्रा तो बढ़ती ही है , साथ ही उसमें एसएनएफ और फैट भी बढ़ जाता है। न्यूट्रलाइजर इसलिए मिलाया जाता है कि दूध में खटास पैदा न हो। हाइड्रोजन परॉक्साइड और फॉर्मेलिन मिलाने के पीछे वजह यह है कि दूध जल्दी खराब न हो। आटा या स्टार्च मिलाने से यूरिया और आमेनिया की वजह से खराब हुआ टेस्ट ठीक कर देता है शुगर से मिठास आती है।
मिलावट से खतरे
दूध में हाइड्रोजन परॉक्साइड , यूरिया , अमोनिया , नाइट्रेट फर्टिलाइजर , न्यूट्रलाइजर , फॉर्मेलिन आदि की मिलावट से शरीर के अंदरूनी हिस्से मसलन आंतें , किडनी , लिवर आदि प्रभावित हो सकते हैं। लंबे समय तक ऐसे खतरनाक केमिकल वाले दूध को पीने से शरीर के तमाम अंगों में गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। जहां तक मिलावटी दूध पकड़ने का सवाल है तो सबसे बढ़िया किट तो आपकी जबान ही है। मिलावटी दूध होगा तो आपको उबकाई सी महसूस होगी। मिलावटी दूध की चाय बनाएंगे , तो वह फट जाएगी। ऐसे दूध से मक्खन और घी नहीं निकलेगा।
टेस्टिंग का सही तरीका
केमिकल की सही मात्रा के लिए बोतल का ढक्कन उतारें। बोतल को दबाए रखें जब तक कि ऑटो डिस्पेंसर परीक्षण रसायन से पूरा भर न जाए और अतिरिक्त रसायन को वापस बोतल में जाने के लिए दबाव धीरे-धीरे कम करें। इन सभी तरह की मिलावटों को पकड़ने के लिए हर डेरी के पास अडल्ट्रेशन डिटेक्शन किट्स हैं। मदर डेरी के पास सबसे ज्यादा 21 किट हैं जिनसे दूध चेक किया जाता है। खासतौर से इन चार चीजों को चेक किया जाता है।
-अडल्ट्रेशन (दूध में किसी भी तरह की मिलावट)
-कम्पोजिशन (फैट आदि)
-बैक्टिरिया आदि की मौजूदगी (दूध में किसी भी तरह का इन्फेक्शन)
-कंटैमिनेशन (खराबी)
मिलावट जांचने की किट
दूध की क्वॉलिटी परखने के लिए सीधे मदर डेरी से ' टेस्ट किट फॉर अडल्टरेशन ' खरीदी जा सकती है। छोटी किट 150 रुपये की और मीडियम 750 रुपये की बिकती है। इस किट से पांच तरह के टेस्ट किए जा सकते हैं। इनमें सॉल्ट , स्टार्च , यूरिया , न्यूट्रलाइजर्स और हाइड्रोजन परॉक्साइड जैसे टेस्ट शामिल हैं। यह किट मदर डेरी ने अपने कंस्यूमर्स के लिए बनवाई है। बाजार में यह किट नहीं मिलती। इसे बनाने वाली कंपनी जुपिटर से इस किट को खरीदा जा सकता है। पता है : बी-209 , नारायण इंडस्ट्रियल एरिया , फेज-वन , फोन नंबर : 011-3052-4800
दूध चेक कराने के लिए एनएबीएल (नैशनल एक्रिडिएटेड बोर्ड ऑफ लैबोरेट्रीज) की पांच लैब हैं। इसके अलावा श्रीराम लैब में भी दूध के सैंपलों की जांच की जाती है। आप चाहें तो दूध की डेरियों में जाकर भी जांच करा सकते हैं। नोएडा फेज-दो में स्थित पराग डेरी में किसी भी प्राइवेट या सहकारी डेरी के दूध की फ्री जांच की जाती है।
कहां करें शिकायत
दूध में मिलावट की शिकायत अपने इलाके के कंस्यूमर फोरम में कर सकते हैं। इसके अलावा फूड सेफ्टी ऐंड स्टैंर्डड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया में भी शिकायत कर सकते हैं। पता है:
कोटला रोड ,
बाल भवन के नजदीक ,
नई दिल्ली-110002
कैसे आता है मदर डेरी का दूध आपके घर तक
गाय-भैंसों से दूध निकलने से लेकर दुकान तक पहुंचने की पूरी प्रक्रिया में सभी दूध डेरियों को करीब 24 घंटे का वक्त लगता है। इस दौरान दूध की पूरी क्वॉलिटी चेक की जाती है।
यह है पूरी प्रक्रिया :
गांव में चिलिंग सेंटर
हर गांव में एक मिल्क सेंटर होता है , जहां दूध इकट्ठा होता है। इन्हें चिलिंग पॉइंट्स कहते हैं। यहां दूध को चार डिग्री सें. तापमान पर ठंडा किया जाता है। इसके बाद दूध के 10 तरह के टेस्ट होते हैं। मिलावटी दूध को रिजेक्ट कर वापस कर दिया जाता है। अगर गलती से प्लांट में गलत दूध पहुंच जाए तो वहां से भी उसे वापस भेज दिया जाता है। किसानों को दूध में मौजूद फैट और एसएनएफ (सॅलिड नॉट फैट) के आधार पर ही पैसा मिलता है , इसलिए वे ऐसी मिलावट करने से बचते हैं।
-चिलिंग सेंटर से दूध को इंसुलेटेड टैंकरों के जरिए प्लांट पर लाया जाता है।
चिंलिंग सेंटर से प्लांट
प्लांट में दूध की हाथ से छुए बगैर हाईटेक तरीके से प्रोसेसिंग की जाती है।
-दूध की प्रोसेसिंग के दौरान 72 डिग्री से. तापमान पर पाश्चुराइज (उबाल) कर बैक्टिरिया को नष्ट किया जाता है। फिर इसे 4 डिग्री से. तापमान पर ठंडा किया जाता है।
-इस दौरान दूध में किसी भी तरह की मिलावट की जांच की जाती है।
-प्रोसेसिंग के बाद दूध में मौजूद फैट और एसएनएफ को अच्छी तरह मिला दिया जाता है। इसी लेवल पर इस मात्रा को घटा-बढ़ाकर टोंड , फुल क्रीम , डबल टोंड आदि बनाया जाता है।
-इसके बाद दूध के 21 तरह के क्वॉलिटी टेस्ट होते हैं और फिर इसे सप्लाई कर दिया जाता है।
प्लांट से बूथों तक
प्लांट से दूध को चार डिग्री से. तापमान पर टैंकरों में भरा जाता है और बूथों तक भेज दिया जाता है। दूध के टैंकर इंसुलेटेड (थमोर्फ्लास्क की तरह) होते हैं जिससे दूध 4-5 डिग्री से. तापमान पर ठंडा बना रहता है। एक टैंकर 8-9 हजार लीटर दूध ले जाता है।
-ले जाते वक्त ड्राइवर के सामने दूध में मौजूद फैट और एसएनएफ की मात्रा चेक कराई जाती है। यही मात्रा खुले बूथ पर भी चेक करानी पड़ती है।
-ड्राइवर जो दूध लेकर जाता है , उसमें से सैंपल चेक करने के लिए प्लांट में 100 लीटर दूध वापस लाना होता है। इस दूध की चेकिंग की जाती है।
-अगर ड्राइवर गड़बड़ी करता हुआ पकड़ा जाता है तो सभी बूथों की सैंपलिंग होती है।
-गड़बड़ी पाए जाने पर दूध को रिजेक्ट कर दिया जाता है।
-मदर डेरी के दूध के टैंकर जीपीआरएस और वायरलैस सिस्टम से लैस हैं। इससे ड्राइवर अगर गैरजरूरी काम से रुकता है तो उससे पूछताछ की जाती है।
बूथ से दुकान तक
मिल्क बूथ में इसे 5 डिग्री के आसपास इंसुलेटेड (थर्मोफ्लास्क) टैंक में भरवा दिया जाता है।
-मदर डेरी में क्वॉलिटी अश्योरेंस के कर्मचारी बूथों की निगरानी रखते हैं।
-मदर डेरी के मिल्क बूथों को चलाने की जिम्मेदारी सिर्फ आर्मी के रिटायर्ड कर्मियों को ही दी जाती है।
-गड़बड़ी पाए जाने पर बूथ वाले को हटाकर अग्रिमेंट खत्म कर दिया जाता है।
-मिल्क बूथ वालों को मदर डेरी की तरफ से सख्त हिदायत है कि अगर खुला दूध 8 डिग्री तापमान तक पहुंच जाए तो इसे फिर से प्लांट भेजकर ठंडा करवाकर ही बेचा जाए।
-पॉलिपैक दूध को रेफ्रिजरेटेड मिल्क वैन से दुकानदारों तक भेजा जाता है।
-उपभोक्ता संस्था कंस्यूमर वॉइस का कहना है कि मदर डेरी समेत तममा डेरियां इस बात का ख्याल नहीं रखतीं कि दुकानदार जरूरी तापमान पर दूध को स्टोर करके बेचता है या नहीं। कंस्यूमर वॉइस ने पिछले साल नवंबर में दूध के पैकेटों का माइक्रोबायॉलजिकल टेस्ट किया था जिसमें बताया था कि जिस ताप पर दूध डेरी से निकलता है , ग्राहक तक पहुंचते-पहुंचते उसका पाश्चराइजेशन खराब हो जाता है। इससे दूध खराब होने की आशंका रहती है।
हमारी राय
अगर आप बाजार से खुला दूध लेते हैं या घर पर गाय या भैंस का दूध मंगाते हैं तो खतरा यह है कि दूध गलत हो। क्या पता गंदा पानी मिलाया गया हो। क्या पता दूध नकली हो जो अरारोट , यूरिया आदि खतरनाक चीजों से बना हो। अगर गाय या भैंस का दूध आंखों के सामने निकाला गया हो तो फिर ठीक है। अगर यह मुमकिन नहीं है तो फिर मदर डेरी और अमूल जैसी कंपनियों का पैकेट वाला दूध बेस्ट है। सबसे अच्छा यह है कि खुला दूध इधर-उधर से खरीदने से बचें। किसी ब्रैंडेड कंपनी का पैक्ड दूध ही खरीदें और इसे किसी परिचित जगह या दुकान से ही लें।
ज्यादा डरने की बात नहीं
1 . सर्वे में ब्रैंडेड दूध बहुत कम था :
मदर डेरी
- एफएसएसआई ने दूध के जो 71 सैंपल दिल्ली से लिए , उनमें से सिर्फ पांच सैंपल ब्रैंडेड कंपनियों के थे। बाकी सैंपल खुले दूध के थे। इसका मतलब यह है कि दिल्ली में जो खुला दूध बिक रहा है , उसमें ही गड़बड़ी की ज्यादा संभावना है। मदर डेरी एफएसए ( फूड सेफ्टी एक्ट ) के नियमों को पूरी तरह फॉलो करती है।
- मदर डेरी के सभी प्लांटों को 2008 से लगातार आईएसओ 22000 सर्टिफिकेट मिला है। इससे पहले आईएसओ 9001 सर्टिफिकेट मिला था। साथ ही एचएसीसीपी ( हजार्ड अनालिसिस क्रिटिकल कंट्रोल पॉइंट ) सर्टिफिकेट भी हासिल है। यह फूड सेफ्टी के लिए बहुत जरूरी है।
2 . सेफ है दिल्ली का दूध :
FSSAI
फूड सेफ्टी ऐंड स्टैंर्डड्स ऑफ इंडिया ( एफएसएसएआई ) द्वारा जून से अक्टूबर - नवंबर 2011 के बीच देश भर में किए गए नैशनल मिल्क सर्वे में सभी तरह के दूध के सैंपल लिए गए थे। इन नमूनों में पैक्ड - अनपैक्ड , ब्रैंडेड - नॉनब्रैंडेड सभी तरह का दूध था। एनएबीएल और कुछ प्राइवेट लैबों में इन सैंपलों की जांच कराई गई थी। चार राज्यों बिहार , झारखंड , उड़ीसा और पश्चिमी बंगाल में डिटर्जेंट सबसे ज्यादा मिला। इसका कारण कुछ भी हो सकता है। हो सकता है , बर्तन वगैरह में साबुन से धोए जाने की वजह से डिटर्जेंट रह गया हो।
बाकी राज्यों के दूध सैंपलों में पानी की मात्रा और मिल्क पाउडर की मात्रा भी पाई गई। यह कोई बड़ी मिलावट नहीं है। इतना जरूर है कि डेरी कंपनियां अगर दूध में एसएमपी ( स्किम्ड मिल्क पाउडर ) मिलाती हैं तो उन्हें पैकेट पर लिख देना चाहिए। दिल्ली के दूध को भी हम मिलावटी दूध नहीं कह सकते क्योंकि यहां भी कोई केमिकल नहीं पाया गया। हां , थोड़ी पानी वगैरह की मिलावट मिली , इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि दिल्ली में बिक रहा दूध सेहत के लिए बहुत हानिकारक है। अगर आप पानी मिला या मिल्क पाउडर वाला दूध पीएंगे तो आपको ऐसे दूध में जरूरी प्रोटीन , कैल्शियम , विटामिन और दूसरे तमाम मिनरल नहीं मिलेंगे।
3 . रिपोर्ट के बाद बैकफुट पर FSSAI: CSE
सेंटर फॉर साइंस ऐंड इन्वाइरनमेंट ( सीएसई ) का कहना है कि एफएसएसएआई ने जो सर्वे किया , वह बहुत हड़बड़ी में किया। दूध में पहले तो यूरिया , हाइड्रोजन परॉक्साइड , डिटर्जेंट वगैरह की मिलावट की बात कही गई। फिर उसे यह कहकर दबा दिया गया कि दूध में सिर्फ स्किम्ड मिल्क पाउडर और पानी की मिलावट है। पूछने पर सिर्फ इतना बताया गया कि दूध में 14 फीसदी डिटर्जेंट मिला था। साथ ही एफएसएसएआई ने यह भी नहीं बताया है कि दूध में केमिकल्स की कितने पर्सेंट मिलावट की गई है और इन्हें कितने सैंपलों में पकड़ा गया। जो भी हो , यह सब है तो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक ही , इसलिए यह पता नहीं लग पा रहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की संस्था ने इस रिपोर्ट का खुलासा क्यों नहीं किया। लगता है , रिपोर्ट पेश करने के बाद एफएसएसएआई बैकफुट पर आ गई है। बताया जाता है कि अभी तक रिपोर्ट की एक ही कॉपी है , वह भी सरकार के सामने पेश की गई है। एफएसएसएआई की साइट पर भी कोई जानकारी नहीं है। इससे तो यही लगता है कि रिपोर्ट पेश करने के बाद यह संस्था बैकफुट पर है।
4 . इसे मिलावट नहीं कहेंगे :
सरकार
दिल्ली सरकार के फूड सेफ्टी कमिश्नर संजय कुमार सक्सेना के मुताबिक , एफएसएसएआई ने जो सर्वे किया था , उसमें दिल्ली के 71 में से 50 सैंपल मानकों पर खरे नहीं उतर पाए , क्योंकि उनमें स्किम्ड मिल्क पाउडर मिला था। उनके पाउच पर इसकी सूचना नहीं थी। इनमें से कोई भी सैंपल सब - स्टैंडर्ड नहीं कहा जा सकता। इसे हम मिलावट नहीं कहेंगे। जब कोई मिलावटी दूध का सैंपल ही नहीं मिला तो हम डेरियों से क्या कह सकते हैं। हमने दूध सैंपलों में स्किम्ड मिल्क पाउडर मिले होने संबंधी रिपोर्ट तो सरकार को पहले ही दे दी थी। सरकार ने अब जरूरी दिशा - निर्देश भी डेरियों को जारी कर दिए हैं।
एफएसएसएआई महीने में कई बार दूध के सैंपल उठाता रहता है , लेकिन आज तक उसमें किसी तरह की मिलावट की बात सामने नहीं आई। वैसे भी दिल्ली में 95 फीसदी दूध मदर डेरी , अमूल डेरी और डीएमएस सप्लाई करती हैं। दूध के 8-10 तरह के सेफ्टी चेक भी स्टैंडर्ड लैब्स में होते हैं जैसे फैट , एसएनएफ , एसएमपी के टेस्ट। हमें लोगों को मिलावटी दूध के बारे में जागरूक करने की जरूरत ही नहीं पड़ी क्योंकि दिल्ली में सप्लाई किए जा रहे दूध की क्वॉलिटी ठीक है।
5 . मिलावटी दूध पकड़ना आसान :
NDRI
नैशनल डेरी रिसर्च इंस्टिट्यूट , करनाल के डायरेक्टर ए . के . श्रीवास्तव बताते हैं कि एफएसएसएआई ने दूध में जिन चीजों के मिले होने की बात कही है , उनमें हानिकारक तत्व नहीं हैं। वैसे दूध में जो भी मिलावट की जाती है , उसमें यूरिया , फॉर्मेलिन , डिटर्जेंट , हाइड्रोजन परॉक्साइड , नमक , जानवरों की चर्बी , वेजिटेबल ऑयल्स जैसी खतरनाक चीजें भी शामिल हैं। सचाई यह है कि इस तरह की किसी भी मिलावट को पकड़ना कोई मुश्किल काम नहीं है। इसके लिए 8-10 तरह के अडल्टरेशन डिटेक्शन किट होते हैं , जिनके जरिए मिल्क डेरी की लैब्स में इस तरह के मिलावटी दूध को पकड़ा जा सकता है , लेकिन हां , आम आदमी इस तरह के टेस्ट को घरों पर नहीं कर सकता , क्योंकि ऐसे टेस्टों में कई खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है , जिससे जरा भी चूक होने पर बच्चों को नुकसान हो सकता है।
एक्सर्पट्स पैनल
- ए . के . श्रीवास्तव , डायरेक्टर , नैशनल डेरी रिसर्च इंस्टिट्यूट , करनाल, सैवी सौम्या मिश्रा , डिप्टी प्रोग्राम मैनेजर , सेंटर फॉर साइंस ऐंड इन्वाइरनमेंट,संजय कुमार सक्सेना , फूड सेफ्टी कमिश्नर , दिल्ली सरकार,असीम चौधरी , डायरेक्टर , फूड सेफ्टी ऐंड स्टैंर्डड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया,डॉ . ( प्रो .) एस . वी . मधु , एचओडी , मेडिसिन्स , जीटीबी अस्पताल, डॉ . प्रभाकर कनेडे , चीफ , रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट , मदर डेरी , पटपड़गंज,आर . एस . सोढी , एमडी , अमूल मिल्क , गुजरात,एन . के . विश्वास , सीईओ , पारस मिल्क , दिल्ली,विनोद कुमार वर्मा , इंचार्ज , पराग डेरी , नोएडा,शिशिर घोष , कॉरपोरेट हेड , कंस्यूमर वॉइस(रूनीत शर्मा,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,22.1.2012)
जाने-माने ब्लॉगर डाक्टर टी.एस. दराल साहब ने दूध पर पिछले दिनों दो बड़ी उपयोगी पोस्टें लिखी थीं जिन्हें यहां और यहां देखा जा सकता है।
behad umda jankari, suru mei ye post padhte waqt mai to dar hi gai thi par jab puri post padhi to santusti hui ke branded dudh mei milawat ki sambhawna kam hi hai
जवाब देंहटाएंसभी के लिए उपयोगी जानकारी
जवाब देंहटाएंउपयोगी जानकारी .... नवभारत टाइम्स मेन यह लेख पहले पढ़ चुकी हूँ ॥
जवाब देंहटाएंबढ़िया जानकारी ...
जवाब देंहटाएंविस्तृत उपयोगी जानकारी । यह जानकर अच्छा लगा कि मदर डेयरी और अमुल का दूध शुद्ध है ।
जवाब देंहटाएंhttp://tsdaral.blogspot.in/2011/12/blog-post_11.html यह लिंक भी उपयुक्त है ।
धन्यवाद। जोड़ दिया है।
हटाएंबहुत बेहतरीन....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
विस्तृत जानकारी आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!