एक मल्टि विटामिन सुबह में। ठंड के दुष्प्रभाव से बचने के लिए कुछ विटामिन सी की टैबलेट। बिस्तर पर जाने से पहले फिश ऑयल सप्लिमेंट। बड़े पैमाने पर हजारों शहरी भारतीय बेतरह ढंग से विटामिन की गोलियां खा रहे हैं। इनमें से कई लोगों को इस बात का एहसास ही नहीं है कि इससे उनको फायदा कम नुकसान ज्यादा हो रहा है।
शिवानी बंगा बीमार नहीं हैं, लेकिन बिना नागा हर सुबह मल्टि विटामिन दवाइयां लेती हैं। वह कहती हैं, 'अगर मैं ये दवाइयां न लूं, तो कमजोर महसूस करती हूं। मुझे लगता है कि हर किसी को 40 की उम्र के बाद मल्टि विटामिन लेना चाहिए।'
मेनोपॉज के बाद वाली 50 वर्षीय बंगा जैसी महिलाओं को रोजाना कैल्शियम लेना चाहिए, लेकिन क्या उन्हें 23 दूसरे विटामिन और मिनरल्स की भी जरूरत है। क्या उन्हें दवाई में मौजूद कॉपर, मैग्नेशियम आदि की जरूरत है? डॉक्टरों का मानना है कि अगर इसकी कमी नहीं है, तब आपको यह नहीं लेना चाहिए। लेकिन अधिकतर लोग मल्टी विटामिन लेने से पहले डॉक्टरों से संपर्क नहीं करते हैं और न कोई टेस्ट कराते हैं।
कई हालिया अध्ययनों ने विटामिन सप्लिमेंट लेने के फायदे को सवालों के घेरे में डाल दिया है। यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा की अगुवाई में किए गए 19 साल पुराने अध्ययन में आयोवा की 38,000 महिलाओं को शामिल किया गया। जिन महिलाओं ने मल्टी विटामिन, विटामिन बी6, फोलिक एसिड, मैग्नेशियम, जिंक, कॉपर और आयरन युक्त दवाइयां ली थीं, उनके मरने की दर सप्लीमेंट नहीं लेने वाली महिलाओं की तुलना में अधिक थी। फ्रांसीसी शोधकर्ताओं ने चार साल से अधिक समय तक 8,000 लोगों के स्वास्थ्य का आकलन किया और पाया कि जिन्होंने सप्लिमेंट लिया था उनमें से अधिकतर को कैंसर या दिल की बीमारियां हो गई थीं।
मैक्स इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनल मेडिसिन के डायरेक्टर डॉ संदीप बुद्धिराजा का कहना है, 'भारत में विटामिन सप्लिमेंट का बेतहाशा इस्तेमाल किया जा रहा है।' मुंबई के केईएम हॉस्पिटल की हेड (फार्माकोलॉजी विभाग) उर्मिला थाटे का कहना है, 'विटामिन लेने का ट्रेंड जरूरत कम, फैशन ज्यादा हो गया है।' टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के हेड (प्रिवेंटिव ऑन्कोलॉजी) डॉ सुरेंद्र शास्त्री कहते हैं, अगर आपके शरीर में विटामिन की कमी है, तब विटामिन सप्लिमेंट लेना फायदेमंद है और अगर ऐसा नहीं है तब इसको कुछ भी फायदा नहीं है। तब बंगा जो महसूस करती हैं, उसे किस तरह से देखा जाए? इस पर शास्त्री कहते हैं कि यह महज सोच के स्तर पर है। शास्त्री कहते हैं कि विटामिन ए और विटामिन ई ऐंटि-ऑक्सिडेंट है और यह कैंसर से बचाता है। लेकिन यह सिर्फ प्राकृतिक स्त्रोत से लेने पर ही फायदेमंद है।
कई लोग सोचते हैं कि विटामिन अधिक लेने से कोई नुकसान नहीं होता है, क्योंकि जरूरत से अधिक होने पर शरीर उसे यूरिन के रास्ते बाहर कर देता है। बुद्धिराजा कहते हैं, 'विटामिन बी और सी वाटर सॉल्युबल है और यूरिन के जरिए बाहर चला जाता है, लेकिन विटामिन ए, डी और ई फैट सॉल्युबल है। यह शरीर में रह जाता है और इसके कई दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं।' शास्त्री कहते हैं कि अगर डॉक्टर भी आपको मल्टी विटामिन लेने की सलाह दे रहा हो, तब आप पहले उनसे इसकी जरूरत पूछें और जरूरत नहीं होने पर उसे न लें(नेहा भयाना,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,18.1.12)।
आजकल तो बहुत चलन हो गया है रोज़ विटामिन्स खाने का ..... अवेयरनेस ज़रूरी है
जवाब देंहटाएंजी हाँ, ये गम्भीर समस्या है,लोग दवा कम्पनी के लुभावने विज्ञापन के जाल में फंस कर बिना डॉ. की सलाह के विटामिन्स लेने लग जाते है,ये चिंताजनक बात है
जवाब देंहटाएंजी हाँ, ये गम्भीर समस्या है,लोग दवा कम्पनी के लुभावने विज्ञापन के जाल में फंस कर बिना डॉ. की सलाह के विटामिन्स लेने लग जाते है,ये चिंताजनक बात है
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी
जवाब देंहटाएंवैसे भी फालतू विटामिन्स शारीर रखता ही नहीं....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जागरूक करती पोस्ट है !
जवाब देंहटाएंये सब दवा कंपनियों के एग्रेसिव मार्केटिंग का नतीजा है .
जवाब देंहटाएंयह अंधाधुंध सेहत के साथ खिलवाड़ है .
सही कहा , केल्सियम की ज़रुरत हो सकती है . बाकि सब संतुलित आहार से प्राप्त हो जाते हैं .
तसल्ली से आपका ब्लॉग देख रहा था, स्वास्थ्य सम्बंधित वाकई बहुत ही प्रशंशनीय कार्य को आप अंजाम दे रहे है, बधाई स्वीकारें !
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी डी है आपने ... आज तो समाज में ट्रेंड बन गया है विटामीन खाने की तरह खाने लगे हैं लोग ...
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