शनिवार, 14 जनवरी 2012

संतान पाने का सुलभ तरीका है टेस्टट्यूब बेबी

संतान पाने के लिए लोग दर-दर भटकते हैं और हर छोटे-बड़े डॉक्टर के पास जाते हैं। किसी बाबा की ताबीज बँधवाते हैं और किसी भी चौखट पर माथा टेकने से पीछे नहीं हटते। जब इन सब उपायों से कोई फायदा नहीं होता तो अंत में किसी टेस्टट्यूब बेबी सेंटर पर पहुँच जाते हैं। 

संतान उत्पत्ति में टेस्टट्यूब बेबी का ब्रह्मास्त्र की तरह उपयोग होता है। यह वैज्ञानिक इलाज का एक हिस्सा है। मरीज यह समझ ले कि अब हम टेस्टट्यूब करवा रहे हैं तो बच्चा मिल ही जाएगा तो वे भ्रम में हैं। कई टेस्टट्यूब बेबी सेंटर संसाधनों से पूरी तरह सुसज्जित नहीं होते। वे मरीज को दिलासा देते रहते हैं और मरीज को कोई फायदा नहीं होता। 

क्या करें मरीज और उनके परिजन 
टेस्टट्यूब बेबी कराने केपहले हमेशा मरीज को चिकित्सक से यह पूछना चाहिए कि मुझे बच्चा क्यों नहीं हो रहा है? कारणों के बारे में विस्तार से चर्चा करें। टेस्टट्यूब बेबी से मुझे सफलता कैसे मिलेगी यह भी पूछें। अगर सफलता नहीं मिलती तो उसके क्या कारण हो सकते हैं? उन कारणों को कैसे दूर करके मुझे बच्चा मिल सकता है? अधिकांश टेस्टट्यूब बेबी सेंटर अपनी सफलता की दर सही नहीं बताते। यह मरीज की जिम्मेदारी है कि सेंटर की सफलता की दर के बारे में हरसंभव पूछताछ करे। वेटिंग रूम में बैठे मरीजों और उनके परिजनों से भी बात करें और जानने की कोशिश करें कि उनका इलाज किस तरह का चल रहा है। यदि १० में से ६-७ सफल मरीज मिल जाते हैं तो समझिए कि यह एक अच्छा सेंटर होगा। टेस्टट्यूब बेबी कराने के पहले एक कागज पर पूरा खर्च लिखवा लेना चाहिए एवं यह भी लिखवाना कि कौन सी फीस तयशुदा है और कौन से शुल्क कम ज्यादा हो सकते हैं व कितना कम ज्यादा हो सकता है। इसी तरह इलाज में होने वाली अन्य जटिलताओं की पहले से जानकारी लें। इलाज शुरू करने के पहले आप लैब को अंदर से जरूर देखें व उपकरण की जानकारी लें। 

पूछें कि आपके यहाँ टेस्ट ट्यूब बेबी रोज होता है या मरीजों को इकट्ठा करके बैचेस में होता है, अगर बैचेस में होता है तो एक दिन में कितने टेस्टट्यूब बेबी आप करते एवं इतने टेस्टट्यूब बेबी करने के लिए क्या आपके पास इनक्यूबेटर पर्याप्त है या नहीं। अगर इनक्यूबेटर पर्याप्त संख्या में नहीं हैं तो समझ लें कि यहाँ कि यहां सफलता की दर भी कम होगी। इन्क्यूबेटर वह मशीन है जो भ्रूण को माता के गर्भ जैसा वातावरण उपलब्ध कराती है। जिस इन्क्यूबेटर को बार-बार खोला और बंद किया जाता है,उसमें अपेक्षित तापमान नहीं रह पाता। इसलिए,पूर्ण वैज्ञानिक तरीक़े से जिस लैब में काम होता है,वहीं सफलता की दर भी अधिक होती है। 

अगर आपकी रिपोर्ट नेगेटिव हो तो... 
अगर आपकी रिपोर्ट नेगेटिव आती है,तो हमेशा यह सवाल पूछना चाहिए कि क्या अंडों की संख्या पर्याप्त थी? अंडे की गुणवत्ता ठीक थी या नहीं? भ्रूण की गुणवत्ता ठीक थी या नहीं? गर्भाशय की लाइनिंग एंडोमेट्रियम ठीक थी या नहीं? असफलता का क्या कारण हो सकता है,आगे क्या विकल्प शेष हैं,इस पर फर्टिलिटी एक्सपर्ट से खुलकर चर्चा करें। संतानहीनता का अभिशाप आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की नई शोधों के आगे अब परास्त किया जा चुका है। मुद्दे की बात यह है कि संतानहीनता की स्थित अधिक देर तक नहीं रहनी चाहिए। जितने वर्ष आयु बढ़ती जाती है,सफलता दर भी उसी हिसाब से कम होती जाती है। बावजूद इसके,बड़ी उम्र के मरीज़ों में भी सफलतापूर्वक संतान प्राप्ति की जा सकती है। 

झूठ का सहारा लेते हैं कई सेंटर 
कभी-कभी मरीजों की भी़ड़ इकट्ठा करने के लिए विशेष उपकरण के विज्ञापन का सहारा लिया जाता है। ऐसी स्थिति में उसकी विश्वसनीयता का पता करें। इलाज के बाद हर बार टेस्टट्यूब बेबी की सफलता का परीक्षण किया जाता है। इसी टेस्ट के साथ झूठ का सहारा लिया जाता है। टेस्ट करने के पहले महिला को एक रसायन का इंजेक्शन लगाकर रिपोर्ट पॉजीटिव कर दी जाती है। जब गर्भधारण नहीं होता तब मरीज को यह कह दिया जाता है कि आपको गर्भपात हो गया है। ऐसी स्थिति में मरीज दूसरी बार इलाज कराने के लिए तैयार हो जाता है। अब पुनः खर्च होता है। अतः सेंटर पर जो भी इंजेक्शन लगते हैं उसका विवरण जरूर लें। भले ही इंजेक्शन उसी सेंटर से ही क्यों न दिया जा रहा हो। इसका पूरा विवरण और बिल जरूर माँग लें। टेस्टट्यूब बेबी कराने के बाद आप अपनी केसहिस्ट्री की विस्तृत रिपोर्ट माँगें। उनसे पूछें कि कितने अंडे थे और वीर्य की गुणवत्ता क्या थी? भ्रूणों की संख्या कितनी है तथा उनकी गुणवत्ता कैसी है यह भी लैब की रिपोर्ट में दर्ज होना चाहिए। 

क्यों होते हैं असफल 
 टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर मानक स्तर के नहीं होने एवं उनमें पर्याप्त उपकरण नहीं होने से सफलता की दर काफी कम होती है। टेस्टट्यूब बेबी के लिए सही प्रशिक्षण की जरूरत होती है, अगर डॉक्टर या भ्रूण विशेषज्ञ की ट्रेनिंग ठीक न हो तो उससे आपका नुकसान होगा अतः इसकी जानकारी पहले लें(डॉ. दिनेश जैन,सेहत,नई दुनिया,दिसम्बर पंचमांक 2011)।

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