कैंसर जैसी जिद्दी बीमारी का इलाज पूरी तरह सुनिश्चित करने के क्रम में कीमोथेरेपी दूसरे स्थान पर आती है। पहले मरीज की सर्जरी की जाती है तथा बाद में इसे भी आजमाया जाता है। कीमोथेरेपी को 'इन्सल्ट टू लाइफ' भी कहा जाता है क्योंकि इसमें मरीज़ के शरीर की कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए दवाएँ दी जाती हैं। इन दवाओं से जहाँ कैंसर कोशिकाएँ मरती हैं वहीं स्वस्थ कोशिकाएँ भी मर जाती हैं। इस दवा के साइड इफेक्ट्स भी खूब हैं। अपनी तमाम बुराइयों के बावजूद कीमोथेरेपी को कैंसर के खिलाफ सुरक्षा पंक्ति में महत्वपूर्ण दर्जा हासिल है।
कीमोथेरेपी को सर्जरी और रेडियोथेरेपी के साथ या इनके बिना भी दिया जा सकता है। कैंसर विशेषज्ञ सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए मरीज के हित में इसे देने का निर्णय लेता है। कीमोथेरेपी या तो कैंसर कोशिकाओं को मार देती है या फिर उन्हें बहुगुणित होने से रोक देती है। ठीक उसी तरह जैसे भिन्ना तरह के बैक्टेरिया भिन्ना तरह की एंटीबायोटिक्स के प्रति संवेदनशील होते हैं, विभिन्ना किस्म की कैंसर कोशिकाओं भी अलग-अलग तरह की औषधियों से मारी जाती हैं।
कैसे काम करती हैं
कीमोथेरेपी की औषधि रक्त प्रवाह के जरिए कैंसर कोशिकाओं तक पहुँचती हैं। यहाँ तक पहुँचकर औषधि उन्हें खत्म कर देती है। सामान्य कोशिकाएँ जब अपना मूल स्वभाव छोड़कर पागलों की तरह बहुगुणित होने लगती हैं तो उन्हें कैंसर कोशिकाएँ कहा जाता है। कैंसर की सभी कोशिकाएँ हर समय बहुगुणित नहीं होतीं। वे चुपचाप पड़ी भी रहती हैं और कीमोथेरेपी की औषधियाँ इन्हें मार भी नहीं पातीं। कीमोथेरेपी के डोज जैसे-जैसे मरीज के शरीर में पहुँचने लगते हैं, चुपचाप पड़ी हुई कैंसर कोशिकाएँ बहुगुणित होना शुरू कर देती हैं। इसीलिए कीमोथेरेपी के कई डोज दिए जाते हैं जिन्हें कीमो सायकल भी कहा जाता है। कितने डोज का सायकल होगा और कितने तरह की दवाएँ इस्तेमाल की जाएँगी इसका निर्णय विशेषज्ञ बीमारी की अवस्था यानी स्टेज देखकर तय करता है।
प्लेटलेट...
रक्त का एक और घटक प्लेटलेट रक्त का थक्का बनाने में सहायक होता है। कीमो के दौरान प्लेटलेट की संख्या कम हो जाती है तब मरीज़ को अधिक सावधान रहने की जरूरत है। इस अवधि में लगी जरा सी चोट या खरोंच भी दुखदाई हो सकती है। यदि नाक या मसूड़ों से खून बह रहा हो तो उसे बंद करना मुश्किल हो जाता है।कीमोथेरेपी को सर्जरी और रेडियोथेरेपी के साथ या इनके बिना भी दिया जा सकता है। कैंसर विशेषज्ञ सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए मरीज के हित में इसे देने का निर्णय लेता है। कीमोथेरेपी या तो कैंसर कोशिकाओं को मार देती है या फिर उन्हें बहुगुणित होने से रोक देती है। ठीक उसी तरह जैसे भिन्ना तरह के बैक्टेरिया भिन्ना तरह की एंटीबायोटिक्स के प्रति संवेदनशील होते हैं, विभिन्ना किस्म की कैंसर कोशिकाओं भी अलग-अलग तरह की औषधियों से मारी जाती हैं।
कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स
कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स अलग-अलग लोगों पर भिन्न-भिन्न किस्म के हो सकते हैं। असर भी औषधियों की भिन्नाता के कारण अलग हो सकता है। अधिकांश साइड इफेक्ट्स अस्थाई होते हैं, और धीरे-धीरे ग़ायब हो जाते हैं। कीमोथेरेपी के साइड इफेक्टस और मरीज़ के कैंसर के बीच कोई अंतर्संबंध नहीं है। दूसरे शब्दों में कहें कि यदि आपको कीमोथेरेपी के साइड इफेक्टस नहीं हो रहे हैं तो कीमो की दवाएं काम ही नहीं कर रही हैं। कीमोथैरेपी के साइड इफेक्ट्स और उससे उबरने के उपायों को जनाने के साथ-साथ इलाज़ के दौरान रखने वाली सावधानियों की जानकारी भी चिकित्सक से पूछ लेनी चाहिए। सामान्य कोशिकाएं जहां बहुगुणित होतोी हैं,वहीं कीमोथैरेपी की औषधियां भी असर करती हैं। मसलन,बोनमारो,मुंह,पाचनतंत्र(पेट और मल-मार्ग),शरीर के बाल,त्वचा और प्रजनन अंगों पर इसका सबसे अधिक असर होता है।
कीमोथेरेपी के दौरान थकान
कीमोथेरेपी के दौरान कई मरीजों को दिन भर बिस्तर पर पड़े रहकर आराम करने के बावजूद थकान महसूस होती है। कीमो के दौरान हल्की कसरतें करते हुए ताजी हवा में सांस लेना महत्वपूर्ण होता है। सोने से पहले कुनकुने पानी से नहाने से राहत मिलती है। यदि अलस्सुबह नींद खुल जाए तो चिढ़ने की जरूरत नहीं है। उठने के बाद कोई गर्म पेय पी सकते हैं और तनाव शैथिल्य के लिए वाद्य संगीत सुन सकते हैं।
प्रजनन पर असर
कीमो की सभी औषधियों से प्रजनन पर असर नहीं पड़ता लेकिन कुछ ऐसी हैं जिनसे ऐसा हो सकता है। कीमो का प्रजनन पर स्थाई या अस्थाई असर हो सकता है। यह डोज की सायकल और औषधि पर भी निर्भर होता है।
लाल रक्तकण
लाल रक्तकण पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुँचाने का काम करते हैं। कीमो का असर लाल रक्तकणों पर भी पड़ता है। इसकी वजह से रक्तअल्पता की शिकायत हो जाती है जिससे बहुत जल्दी साँस फूलने की शिकायत हो जाती है। इसके अलावा बेहद थकान भी महसूस होती है।
मुँह पर असर
कीमोथेरेपी की औषधि से मुँह सूख जाता है और छाले तक हो जाते हैं। इसके लिए मरीज को माउथ फ्रेशनर दिए जाते हैं।
पाचन पर असर
कीमो के कारण कुछ मरीजों को उल्टी और दस्त लगने लगते हैं लेकिन कीमो की सभी दवाओं का ऐसा असर नहीं होता। कीमोथेरेपी की कई तरह की औषधियों से कुछ मरीजों को कब्ज हो जाता है।
बाल पर असर
सभी कीमो की औषधियों से बाल नहीं झड़ते। कुछ औषधियों से बाल झड़ते हैं लेकिन पुनः उग आते हैं। कभी कभी सिर के बालों के साथ शरीर के अन्य हिस्सों से भी बाल झड़ जाते हैं। कीमो के कारण त्वचा रुखी हो जाती है। इसमें खुजली चलती है और धूप असहनीय हो जाती है(डॉ. राकेश तारण,सेहत,नई दुनिया,दिसम्बर चतुर्थांक 2011)।
बहुत अच्छी जानकारी है !
जवाब देंहटाएंआभार ....अभी कुछ दिन पूर्व केंसर से एक करीबी मित्र का देहांत हुआ था
कीमोथेरपी के बारे में सुना था ! आज विस्तार से जानना हुआ !
बढ़िया प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंकीमोथेरेपी के बारे में विस्तारपूर्वक बताने के लिए आभार ...
जवाब देंहटाएं