रांची स्थित रिम्स में झारखंड व बिहार का इकलौता जेनेटिक डिपार्टमेंट खुल गया है। यह विभाग 12 दिसंबर से काम करने लगेगा। रिम्स के अनुसार अब गर्भ में ही आनुवांशिक रोग से ग्रस्त शिशु की पहचान हो सकेगी जिससे उनका इलाज हो सकेगा। इस संबंध में निदेशक ने सोमवार को अधिसूचना जारी की।
डिपार्टमेंट के संचालन के लिए विशेषज्ञों की टीम गठित की गई है। इसके डिप्टी डायरेक्टर शिशुरोग विभाग के डॉ. अमर कुमार वर्मा और क्लीनिकल पैथोलॉजी विभाग के डॉ. चंद्रहास बनाए गए हैं। टीम में डॉ. विनीता लाल, डॉ. विद्यासागर, डॉ. पात्रो और डॉ. आशीष कुमार शामिल हैं। डिपार्टमेंट में हर शुक्रवार को दोपहर तीन बजे से शाम पांच बजे तक ओपीडी चलेगा।
देश का तीसरा डिपार्टमेंट बना
रिम्स देश का तीसरा ऐसा मेडिकल कॉलेज बन गया है यहां जेनेटिक्स डिपार्टमेंट है। अभी एम्स नई दिल्ली और एसजीपीजीआई, लखनऊ में ही यह विभाग काम कर रहा है। जहां डीएम (मेडिकल जेनेटिक्स), पीएचडी, बायोटेक्नोलॉजी में एमडी-एमएस की पढ़ाई होती है।
बीमारियों का प्रसार थमेगा
डिपार्टमेंट के खुलने से राज्य में आनुवांशिक रोगों का प्रसार थमेगा। क्योंकि बच्चों के जन्म से पूर्व ही जांच हो सकेगी और उनका उचित इलाज किया जा सकेगा।
डॉ. तुलसी महतो, निदेशक, रिम्स
जेनेटिक डिजीज का ओपीडी चालू था, लेकिन अब यह सिस्टम व्यवस्थित हो चुका है। डिपार्टमेंट के खुल जाने से जेनेटिक डिजीज के मरीजों के इलाज में आसानी होगी।
डॉ. एके वर्मा, उप निदेशक, जेनेटिक विभाग, रिम्स
राज्य सरकार ने आवश्यक दवाओं की सूची (लिस्ट ऑफ ऐसेंशियल मेडिसिन) तैयार कर ली है। सूची में कुल 348 किस्म की दवाएं हैं। इनमें अधिकांश जीवन रक्षक दवाएं हैं। ये दवाएं सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध रहेंगी। जल्द ही दवाओं की खरीद के लिए कंपनियों से रेट कांट्रैक्ट (दर निर्धारण) किया जाएगा। इसके बाद दवाएं जिलों में सिविल सर्जनों को भेज दी जाएंगी। सिविल सर्जन आवश्यकता अनुसार कंपनियों से सीधे दवा की खरीद कर सकेंगे।
सूची में कैंसर के इलाज की भी दवा
आवश्यक दवाओं की सूची में कैंसर, डायरिया, मलेरिया समेत अन्य बीमारियों की जीवन रक्षक दवाएं हैं। राज्य भर में कुल 348 किस्म की इन दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने का प्रयास किया जा रहा है। तत्काल राज्य के सभी सिविल सर्जनों की सूची ई-मेल से भेज दी गई है। सिविल सर्जनों को निर्देश दिया गया है कि सूची में शामिल दवा ही खरीदें।
आवश्यक दवाओं की सूची तैयार कर राज्य के सभी सिविल सर्जनों को ई मेल कर दिया गया है, ताकि वे दवा खरीद सकें। जल्द ही राज्य स्तर पर दर निर्धारण किया जाएगा। आवश्यक दवाओं की सूची में कमोबेश सभी बीमारियों को जीवन रक्षक दवाएं शामिल हैं। गरीब मरीजों को अब अधिकांश जीवन रक्षक दवाएं अस्पताल से मिल सकेंगी।
डॉ. प्रवीण चंद्रा, निदेशक प्रमुख, स्वास्थ्य सेवाएं(पुष्पगीत और पवन कुमार,दैनिक भास्कर,रांची,6.12.11)
वाह ....ये तो बहुत ही अच्छी खबर है
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