गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

कैंसर को हराएगी जीवन-शक्ति

नए शोधों के ज़रिए कैंसर की नई दवाएँ सामने आ रही हैं। नई औषधियों की सफलता मरीज़ की मानसिकता पर भी निर्भर है। मन के हारे हार है और मन के जीते जीत। कैंसर का मरीज़ बीमारी की गंभीरता और उसकी मारक क्षमता को दिल पर ले लेता है। वह भूल जाता है कि इस बीमारी पर विजय पाने का हथियार खुद उसी के पास है। मरीज़ को अपनी जीवनीशक्ति पर भरोसा करना चाहिए। उसे कैंसर की प्रामाणिक चिकित्सा अपनाने के साथ ही अपने आप से भी एक वादा करना चाहिए कि वह कभी भी नकारात्मक विचार को पास फटकने नहीं देगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि देश में २०१५ तक स्तन कैंसर के ढाई लाख से अधिक मरीज़ होंगे। स्तन कैंसर ने शाकाहारियों और माँसाहारियों के साथ शहरी और ग्रामीण आबादी के बीच भेद-भाव नहीं करते हुए समान रूप से सबको शिकार बनाया है। इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के एक अध्ययन के मुताबिक स्तन कैंसर ने अब गर्भग्रीवा के कैंसर को पीछे छोड़ दिया है। शहरी आबादी की एक लाख महिलाओं में से ३३ स्तन कैंसरग्रस्त पाई गईं हैं। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि शाकाहारी महिलाएँ रजोनिवृत्ति के बाद स्तन कैंसर के जोखिम पर होती हैं। इसके लिए कीटनाशकों और रासायनिक खाद को दोषी माना जा रहा है। रासायनिक खाद और कीटनाशकों के अंश कृषि उत्पादों के ज़रिए हम तक पहुँच जाते हैं। हम सबके यानी स्त्री-पुरुष दोनों के शरीर में ये न चाहते हुए भी मौजूद रहते हैं। रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में हारमोन बनना बंद हो जाते हैं। तब शरीर में जमा कीटनाशकों और रासायनिक खाद के अंश सक्रिय होने लगते हैं। यही बाद में स्तन कैंसर का कारण बनते हैं। 

रासायनिक खाद और कीटनाशकों को वैज्ञानिकों ने हारमोन डिसरप्टिंग केमिकल माना है। प्रकृति ने स्तन के ऊतकों को इस्ट्रोजेन ग्रहण करने और प्रतिक्रिया करने के लिए डिज़ाइन किए हैं। इसलिए रजोनिवृत्ति के बाद जो महिलाएँ हारमोन रिप्लेसमेंट थैरेपी पर जाती हैं उनके मामले में स्तन कैंसर होने की प्रक्रिया और तेज़ हो जाती है। आहार के जरिए शरीर में पहुँच चुके रासायनिक खाद के अंश पुरुषों को भी परेशान करते हैं। अंडकोष एवं पौरुष ग्रंथि के कैंसर के बढ़ रहे मामलों को इससे जोड़ कर देखा जा रहा है। 

आम आबादी आज भी रासायनिक खाद के दम पर उगाई जा रही फसल पर निर्भर है। महंगा होने के कारण जैविक आहार सभी के लिए सुलभ भी नहीं है। अच्छे इलाज के साथ आत्मशक्ति और प्रबल जीजिविषा के भरोसे ही इस जानलेवा रोग पर विजय पाई जा सकेगी(संपादकीय,सेहत,नई दुनिया,दिसम्बर 2011 चतुर्थांक)।

13 टिप्‍पणियां:

  1. स्तन कैंसर ने शाकाहारियों और माँसाहारियों के साथ शहरी और ग्रामीण आबादी के बीच भेद-भाव नहीं करते हुए समान रूप से सबको शिकार बनाया है।

    इलाज के साथ आत्मशक्ति और प्रबल जीजिविषा के भरोसे ही इस जानलेवा रोग पर विजय पाई जा सकेगी.

    Nice .
    http://hbfint.blogspot.com/2011/12/blog-post_28.html

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    उत्तर
    1. मैं हूँ AMANDA KARIPETRA संयुक्त राज्य अमेरिका में रहते हैं, मैं दाद से पीड़ित हो की है, कई वर्षों से, 7year की अवधि, इलाज के बिना। एक वफादार दिन मैंने देखा एक इंटरनेट पर लेख एक महिला चिकित्सक ise और यह कैसे के बारे में बात कर रहे थे चिकित्सक ने उसे एचआईवी के स्थायी रूप से ठीक हो। मैं उसे अपने ईमेल के माध्यम से संपर्क: ISESPIRITUALSPELLTEMPLE@GMAIL.COM और उसे मेरी बीमारी के बारे में बताया। इस भट्ठी आदमी मेरे दाद संक्रमण रोग ठीक हो। उन्होंने कहा कि मुझे हर्बल दवा है कि मुझे पूरी तरह से चंगा भेजा है। आज मैं `रहने वाले खुशी और दाद से मुक्त। मैं अपने दिमाग पर निष्कर्ष निकालना था कि वहां कोई है इलाज, वह मालिक है और आईएसई हर्ब अनुसंधान केन्द्र के संस्थापक है [IHRC] डॉ .ISE एचआईवी, Zika, एचपीवी, अस्थमा, मधुमेह, उपदंश, कम शुक्राणु के लिए इलाज गिनती, कैंसर, पागलपन, हेपेटाइटिस, बैक्टीरिया और परजीवी के संक्रमण और अन्य संबंधित वायरल संक्रमण। उन्होंने अभ्यास में 15 साल के खर्च के लिए किया था अध्यात्मवाद, सलाहकार, जड़ी बूटियों और आध्यात्मिक साधन का उपयोग कर इलाज करने के लिए पूरी दुनिया में बीमारी। मुख्य कारण है कि मैं इस गवाही लिख रहा हूँ अपने महान कामों के बारे में पूरी दुनिया को सूचित करने के लिए, और वह एक हर्बल डॉक्टर है जो घातक बीमारियों का इलाज कर सकते हैं। उन्होंने यह भी एक महान जादू कॉस्टर मैं नहीं था किसी भी डॉक्टर इस भट्ठी आदमी की तरह इतना शक्तिशाली देखते हैं, वह कई जीवन को बचाने के लिए किया था। तुम उसे के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं; ISESPIRITUALSPELLTEMPLE@GMAIL.COM ...

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    2. मैं हूँ AMANDA KARIPETRA संयुक्त राज्य अमेरिका में रहते हैं, मैं दाद से पीड़ित हो की है, कई वर्षों से, 7year की अवधि, इलाज के बिना। एक वफादार दिन मैंने देखा एक इंटरनेट पर लेख एक महिला चिकित्सक ise और यह कैसे के बारे में बात कर रहे थे चिकित्सक ने उसे एचआईवी के स्थायी रूप से ठीक हो। मैं उसे अपने ईमेल के माध्यम से संपर्क: ISESPIRITUALSPELLTEMPLE@GMAIL.COM और उसे मेरी बीमारी के बारे में बताया। इस भट्ठी आदमी मेरे दाद संक्रमण रोग ठीक हो। उन्होंने कहा कि मुझे हर्बल दवा है कि मुझे पूरी तरह से चंगा भेजा है। आज मैं `रहने वाले खुशी और दाद से मुक्त। मैं अपने दिमाग पर निष्कर्ष निकालना था कि वहां कोई है इलाज, वह मालिक है और आईएसई हर्ब अनुसंधान केन्द्र के संस्थापक है [IHRC] डॉ .ISE एचआईवी, Zika, एचपीवी, अस्थमा, मधुमेह, उपदंश, कम शुक्राणु के लिए इलाज गिनती, कैंसर, पागलपन, हेपेटाइटिस, बैक्टीरिया और परजीवी के संक्रमण और अन्य संबंधित वायरल संक्रमण। उन्होंने अभ्यास में 15 साल के खर्च के लिए किया था अध्यात्मवाद, सलाहकार, जड़ी बूटियों और आध्यात्मिक साधन का उपयोग कर इलाज करने के लिए पूरी दुनिया में बीमारी। मुख्य कारण है कि मैं इस गवाही लिख रहा हूँ अपने महान कामों के बारे में पूरी दुनिया को सूचित करने के लिए, और वह एक हर्बल डॉक्टर है जो घातक बीमारियों का इलाज कर सकते हैं। उन्होंने यह भी एक महान जादू कॉस्टर मैं नहीं था किसी भी डॉक्टर इस भट्ठी आदमी की तरह इतना शक्तिशाली देखते हैं, वह कई जीवन को बचाने के लिए किया था। तुम उसे के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं; ISESPIRITUALSPELLTEMPLE@GMAIL.COM ...

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  2. अच्छे इलाज के साथ आत्मशक्ति और प्रबल जीजिविषा के भरोसे ही इस जानलेवा रोग पर विजय पाई जा सकेगी !
    शायद मुझे भी इन्ही बातों पर भरोसा है !
    अच्छी पोस्ट ......

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  3. सकारात्मक सोच सदैव पोजिटिव रहना और मरीज़ को यह एहसास करवाना वह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है .आशावान बने रहना इलाज़ का हिस्सा है आनुषांगिक चिकित्सा है पोजिटिव थोट.सब कुछ हमारे पर्यावरण में ही है .मृदा की संरचना, हवा पानी में ही है आखिर जीवन तत्व. और ये अपनी तात्विकता खोते जा रहें हैं .जल भी संदूषित ,मृदा भी हवा पानी भी बचा क्या ?उत्तम खेती उत्तम बान की पोल खुल चुकी है .

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  4. बेनामीदिसंबर 29, 2011

    मन के हारे हार है और मन के जीते जीत |

    सच कहा आपने ।

    हिंदी ब्लॉग

    हिन्दी दुनिया ब्लॉग

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  5. विकास का दुष्प्रभाव पड़ रहा है --धीरे धीरे ।

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  6. ज्ञान बढ़ाती हुई सार्थक पोस्ट आभार .

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  7. मनोबल को बढाती अच्छी पोस्ट. मन के हारे हार है और मन के जीते जीत. सच कैंसर का नाम सुनते ही आजकल लोग जिंदगी को मानो हार बैठते है...

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  8. बेनामीदिसंबर 29, 2011

    वह भूल जाता है कि इस बीमारी पर विजय पाने का हथियार खुद उसी के पास है।
    True

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  9. जीवन शक्ति किसी भी बीमारी की अचूक दवा हो सकती है ....

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