मोटापा आ जाए तो कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इस मोटापे के कारण डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हार्ट फेलियर, अस्थमा जैसी बीमारियों का भी खतरा बढ़ जाता है। वर्ल्ड ओबेसिटी डे के अवसर पर सुमन बाजपेयी बता रही हैं मोटापे से बचाव के उपायः
रितिका जिसकी हाइट 5 फुट 4 इंच और वजन 57 किलो था, यह सोच कर खुश रहती थी कि उसकी फिगर परफेक्ट है। उसका बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) 21.45 किग्रा/एम2 था। रितिका को लगा कि वह पूर्णतया हेल्दी है और किसी किस्म के खतरे से परे भी। पर उसे तब धक्का लगा, जब उसके डॉक्टर ने बताया कि वह मोटी है। उसकी कमर फैली हुई थी और पेट के हिस्से में फैट जमा था। यह परेशान करने वाली बात थी, क्योंकि पेट के पास जमा फैट कई बीमारियां होने का कारण बन सकता है।
जानलेवा भी बन सकता है
फोर्टिस अस्पताल(वसंत कुंज) के बैरिएट्रिक सर्जन डॉ. रंदीप वधावन के अनुसार, ‘मोटापा एक ऐसी मेडिकल कंडीशन है, जिसमें बॉडी फैट इस हद तक जमा हो जाता है कि उसका सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। मोटापे की वजह से आयु भी कम हो जाती है। बीएमआई जो वजन व लंबाई की तुलना करता है, बताता है कि कोई व्यक्ति ओवरवेट है कि नहीं।
डब्लयूएचओ की गाइडलाइंस के अनुसार जब किसी का बीएमआई 25किग्रा/एम2 और 30 किग्रा/एम2 के बीच होता है तो उसे ओवरवेट माना जाता है और जब वह 30 किग्रा/एम2 से अधिक होता है तो उसे मोटा (ओबेस) माना जाता है। पूरी दुनिया में मोटापा एक महामारी की तरह फैल रहा है। 21वींसदी में मोटापा दुनिया की आबादी के 5 प्रतिशत लोगों को प्रभावित कर रहा है। इसकी वजह से डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हार्ट फेलियर, अस्थमा, कोलेस्ट्रॉल, अत्यधिक पसीना आना, जोड़ों में दर्द, इंफर्टिलिटी आदि का खतरा बढ़ जाता है।’
मोटापे की वजह
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मोटापे की सबसे प्रमुख वजह है गलत फूड हैबिट्स और ऐसा लाइफस्टाइल है, जिसमें फिजिकल एक्टिविटी न हो। इसकी वजह से हमारी सैल (कोशिकाएं) फैट सैल्स में बदल जाती हैं।
-फास्ट फूड, ऑयली फूड, चॉकलेट, मैदे से बनी चीजें, सॉफ्ट ड्रिंक्स का अधिक सेवन तो इसके लिए जिम्मेदार है ही, साथ ही महिलाओं में डिलीवरी के बाद एंडोकरीनल ग्लैंड का ठीक से काम न करना, हार्मोनल बदलाव भी इसकी एक वजह है।
-नियमित रूप से एंटीडिप्रेसेंट दवाएं लेने से भी मोटापा बढ़ता है। कुछ मामलों में यह वंशानुगत भी होता है।
-माना जाता है कि एक मोटापे की वजह से व्यक्ति को 53 तरह की बीमारियां हो सकती हैं।
स्लिम दिखने का जुनून
वजह चाहे जो भी हो, सच तो यह है कि आज की लड़कियां स्लिम दिखने के चक्कर में जल्दी वजन घटाने के लिए क्रैश डाइटिंग का सहारा लेने लगी हैं। पतले होने के लिए स्लिमिंग सेंटरों के पैकेज लेना आम बात हो गई है। साइज जीरो के ट्रेंड के चलते तो स्लिमिंग सेंटरों की कमाई कई गुना बढ़ गई है। खासकर शादी के लिए फटाफट पतले होने व तत्काल सुंदर बनने के चक्कर में वे खाना-पीना छोड़ देती हैं।
इसके नुकसान उन्हें बाद में झेलने पड़ते हैं। दिल्ली ओबेसिटी सेंटर, नजफगढ़ के हेड डॉ. अनिल खेत्रपाल के अनुसार, ‘क्रैश डाइटिंग या कोई फिटनेस सेंटर ज्वाइन करने के कुछ समय के लिए तो वजन कम हो जाता है, पर बाद में जब वे वापस अपनी नॉर्मल डाइट पर आ जाती हैं और एक्सरसाइज इत्यादि करना या फिटनेस सेंटर जाना छोड़ देती हैं तो जितना वजन उनका घटा था, उससे कहींज्यादा बढ़ जाता है।
ऑपरेशन : बड़े जोखिम हैं इस राह में
100 किलो से अचानक 60 किलो हो जाना बेशक बहुत सुकून देता है, पर इससे स्वास्थ्य और सुंदरता दोनों पर बुरा असर पड़ता है, क्योंकि इससे इम्यूम सिस्टम प्रभावित होता है। शरीर में कमजोरी रहने लगती है, चक्कर आने लगते हैं और चेहरे की रौनक गायब हो जाती है। डॉ. खेत्रपाल के अनुसार, इससे बेहतर है कि आप संतुलित और पोषणयुक्त आहार लें। इससे वजन कम होने में समय ज्यादा लगता है, पर परिणाम स्थायी होते हैं।
हाल ही में नितिन गडकरी ने भी अपना मोटापा कम करने के लिए अपनी सजर्री करवाई है। नोवा मेडिकल सेंटर, मुंबई के बैरिएट्रिक सर्जरी के हेड, डॉक्टर रमन गोयल कहते हैं, ‘बैरिएट्रिक सर्जरी में पाचन-तंत्र की संरचना में बदलाव किया जाता है। पेट की क्षमता को कम कर दिया जाता है, ताकि थोड़ा-सा खाने पर ही मरीज को लगे कि उसका पेट भर गया है। इस सर्जरी को कराने वाले लोगों की तादाद निरंतर बढ़ रही है।
वर्ष 2009 में 1500 लोगों ने इस सेवा का लाभ उठाया। 2010 में 2500 ने यह सजर्री करवाई। संभावना है कि इस वर्ष ऐसे लोगों की संख्या 4000 को पार कर जाएगी। इस सर्जरी के बाद पेट का आकार छोटा हो जाने से विटामिन बी, प्रोटीन या खनिजों की कमी शरीर में हो सकती है, जिसके बाद डॉक्टर की सख्त हिदायतों को मानना जरूरी हो जाता है।’
आंकड़े जो डराते हैं
*50.1% लोग मोटे हैं (बीएमआई के अनुपात पर आधारित)
*85% बॉडी फैट के कारण मोटे हैं
*71% के पेट के पास फैट जमा है
*45% लोग मेटाबॉलिक सिंड्रोम के रिस्क पर हैं, जिसकी वजह से डाइबिटीज और हृदय रोग हो सकते हैं
*68% लोगों में स्किन के नीचे फैट है। भारतीयों में पश्चिमी देशों के लोगों की तुलना में स्किन के अंदर ज्यादा फैट होता है, जो हेल्थ के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकता है(हिंदुस्तान,दिल्ली,23.11.11)।
टिप्पणीःरविकर जी ने 9 दिसम्बर के चर्चामंच पर और यशवंत माथुर जी ने नई पुरानी हलचल पर यह पोस्ट ली है।
शुक्रवारीय चर्चा-मंच पर है यह उत्तम प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंउपयोगी पोस्ट
जवाब देंहटाएंमहामारी समान हो गया है मोटापा ..... जागरूकता ज़रूरी है....
जवाब देंहटाएंकाम की जानकारी
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी जानकारी दी है आपने ।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंकल 09/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बहुत ही बेहतरीन उपयोगी संग्रह करने लायक पोस्ट मोटापे के गुण दोषों को खंगालती समझाती .
जवाब देंहटाएंमोटापे का बड़ा सटीक उपचार आयुर्वेद में है, इसके लिए आयुर्वेद की शरण सुरक्षित भी है,मैंने खुद असर देखा है.
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