बुधवार, 26 अक्टूबर 2011

पटाखेःजलाएँ सावधानी से;बीमार रहें दूर

वैसे तो दिवाली रोशनी का त्योहार है लेकिन ज़रूरी नहीं कि इस दिन हर व्यक्ति फटाखे जलाए। अन्य लोगों द्वारा जलाए गए फटाखों से भी आतिशबाज़ी का मज़ा लिया जा सकता है। इस तरह से वायु और ध्वनि प्रदूषण को कम किया जा सकता है। लेकिन फिर भी फटाखे जलाना ही हो तो कुछ सावधानियाँ ज़रूर बरतें।  

 -फटाखे हमेशा सूखे मैदान में और वाहनों से दूर जलाएँ।

-फटाखों की थैली को उस स्थान से दूर रखें जहाँ फटाखे जला रहे हों। जलाते वक्त फटाकों के बिलकुल पास न जाएँ। इससे थोड़ी दूरी बनाए रखें।

-ध्यान रखें कि बच्चे अकेले पटाखे न जलाएँ। फटाखे जलाते हुए उनके साथ वयस्क की उपस्थिति आवश्यक है। -पानी की बाल्टी हमेशा पास में रखें। कभी अगर फटाखे से शरीर का कोई अंग जल जाए तो उस पर तुरंत पानी डालें।

-पटाखे जलाते समय साड़ी, चुन्नी, लहँगा आदि जैसे ढीले-ढाले कपड़े न पहनें जिन्हें संभालना मुश्किल हो या जो वहा चलने पर उड़ते हों। कपड़े का लहराता हुआ हिस्सा आसानी से आस-पास रखे दीये या फटाखे से आग पकड़ सकता है। इसी तरह बच्चों के कपड़ों का भी ध्यान रखें।  

-पटाखों को कभी भी हाथ में रखकर न जलाएँ।

-यदि कोई दुर्घटना हो जाए तो जलने पर जो फफोले आते हैं, उन्हें फोड़ने की कोशिश न करें। ऐसा करने से संक्रमण हो सकता है और घाव भरने में समय भी अधिक लगता है।

-जलने पर पट्टी नहीं बाँधें।

-शरीर का कोई भाग जलने पर उस पर प्राथमिक उपचार के रूप में पानी डालें। सही एक सर्वोत्तम उपाय है। इसके अलावा कई लोग स्याही, टूथपेस्ट, हल्दी या मक्खन जैसी चीज़ें जले हिस्से पर लगाते हैं, जो कि ग़लत है। जलने पर उस स्थान पर पानी डालकर फटाफट चिकित्सक के पास पहुँचें।(डॉ. शोभा चमनिया,सेहत,नई दुनिया,अक्टूबर तृतीयांक 2011) ।  

बीमार हैं तो पटाखों से रहें दूर 
सुख और समृद्धि का त्योहार दीपावली भले ही बहुत खास हो, लेकिन इस दौरान छोड़े जाने वाले पटाखे से निकला धुआं और जोरदार शोर कई लोगों के लिए मुसीबत बन जाता है। सुरक्षा व प्रदूषण से बचाव के लिहाज से पटाखे के बगैर दीपावली मनाना ही बेहतर है। बीमार तथा शारीरिक रूप से कमजोर लोग पटाखे के धुएं और शोर से दूर रहें तो उनके स्वास्थ्य के लिए बेहतर होगा। मेडिसीन के डॉक्टर अनिल बंसल का कहना है कि पटाखे के धुएं से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड तथा सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। इसकी वजह से लोगों को सांस लेने में दिक्कतें आती हैं। डॉक्टर का कहना है कि जिन लोगों को अस्थमा की शिकायत होती है उन्हें ऐसे वातावरण में जाने से बचना चाहिए। धुआं युक्त हवा में सांस लेने की वजह से उन्हें अस्थमा का अटैक आ सकता है। डॉक्टर जेडएस मेहरवाल का कहना है कि दिल के मरीजों को काफी सावधान रहने की जरूरत है। ऐसे मरीजों की नसें पतली हो जाती हैं। ऐसे में जब वे इस तरह के वातारण में जाते हैं तो उन्हें सांसलेने में दिक्कतें आती हैं। जिससे उनकी श्वसन प्रक्रिया बाधित हो जाती है। ऐसे लोगों को दवा लेते रहना चाहिए। 


ईएनटी एक्सपर्ट डॉक्टर निशि का कहना है कि पटाखों का शोर कान को भी प्रभावित करता है। कई बार पटाखे के काफी करीब होने की वजह से इसके शोर का स्तर 70 डेसीबल से ऊपर चला जाता है जो कान की सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है। आज बाजार में कई ऐसे पटाखे हैं जो काफी आवाज करते हैं। इसकी वजह से कान के पर्दे भी फट सकते हैं और सुनने की क्षमता कम हो सकती है। वहीं प्राइमस अस्पताल के डॉक्टर अतुल पीटर का कहना है कि अगर मिठाई खाना ही चाहते हैं तो कम फैट वाले दूध का प्रयोग करें और जहां तक संभव हो घर पर ही मिठाई बनाएं। ज्यादा मिठाई खाने से कैलोरी बढ़ सकती है और इसकी वजह से शरीर में शूगर के स्तर में बढ़ोतरी हो सकती है। यही नहीं मधुमेह व उच्च रक्तचाप से पीडि़त गर्भवती महिलाओं को मिठाई का प्रयोग खतरनाक हो सकता है(दैनिक जागरण,दिल्ली,21.10.11)। 


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