मंगलवार, 25 अक्टूबर 2011

पर्व-त्यौहार पर मिलावट की महामारी

खाद्य पदार्थो में मिलावट का मामला महज राजधानी दिल्ली या किन्हीं दो-चार राज्यों का ही नहीं है, यह एक अखिल भारतीय बीमारी या यों कहे कि महामारी की शक्ल अख्तियार कर चुका है। इस पर लगाम लगाने के दावे तो केंद्र और राज्य सरकारें जब-तब करती रहती हैं, लेकिन व्यावहारिक तौर पर वे कुछ करती दिखाई नहीं देतीं। हालांकि मिलावट और मिलावटखोरों पर अंकुश के लिए देश में पहले से ही खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम १९५४ मौजूद है, लेकिन या तो इस कानून की धार भोथरी है या इस पर अमल करवाने वाला सरकारी अमला इतना नाकारा और भ्रष्ट है कि मिलावटखोरों को इस कानून का कोई भय नहीं है। 

यही वजह है कि बाजार में मौजूद खाने-पीने की किसी भी चीज के शुद्ध होने का भरोसा नहीं किया जा सकता खासकर दीपावली, रक्षाबंधन जैसे त्योहारों पर बाजार में बिकने वाली मिठाइयों और व्यंजनों पर तो बिलकुल भी नहीं। दीपावली जैसे पर्व पर क्या अमीर, क्या गरीब सभी अपनी-अपनी हैसियत के मुताबिक बाजार से मिठाइयां खरीदते हैं और खाते -खिलाते हैं लेकिन सदियों से चली आ रही मिठास की यह परंपरा अब मिलावटखोरों की अनैतिक तरीके से पैसा कमाने की भूख के चलते लोगों की सेहत और जान की दुश्मन साबित हो रही है। कुछ महीने पूर्व दिल्ली तथा देश के अन्य भागों में सब्जियों और फलों में घातक रसायनों और रंगों के इस्तेमाल की खबरें सामने आई थीं। इसके बाद दिल्ली में राज्य सरकार के निर्देश पर हुई छापेमारी में बरामद खाद्य पदार्थों के नमूनों की जांच में भी बड़े पैमाने पर मिलावट उजागर हुई थी। इस सबके चलते तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री दिनेश त्रिवेदी ने अपने महकमे के सचिव को पत्र लिखकर ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया था जो फलों और सब्जियों का उत्पादन और उनका आकार बढ़ाने के लिए घातक रसायनों का इस्तेमाल करते हैं। 

लोग भोजन में विटामिनों और अन्य प्राकृतिक पोषक तत्वों के लिए फल, हरी सब्जियां और दूध लेते हैं लेकिन इन वस्तुओं के कारोबार में सक्रिय मिलावट के धंधेबाज इन वस्तुओं को अपनी बेलगाम मुनाफाखोरी का माध्यम मानते हुए इसके लिए धड़ल्ले से असामान्य और अनैतिक हथकंडों का सहारा लेते हैं। यह सही है कि कई छोटी-बड़ी बीमारियों का कारण व्यक्ति की जीवनशैली से जुड़ा होता है लेकिन जिस तेजी से हमारे समाज में दिल, गुर्दे और पाचन तंत्र से संबंधित बीमारियां फैल रही हैं उसकी एक बड़ी वजह खाने-पीने की वस्तुओं के साथ व्यक्ति के शरीर में जा रहे घातक रसायन भी हैं। सच तो यह है कि खान-पान की वस्तुओं में मिलावट भी एक तरह से हत्या की साजिश रचने जैसा अपराध ही है। इसलिए ऐसे जघन्य अपराध के लिए कठोर सजा वाले कानून की दरकार तो है ही, कानून पर अमल करने में कोताही बरतने वाले सरकारी मुलाजिमों को दंडित करने की व्यवस्था भी बहुत जरूरी है(संपादकीय,नई दुनिया,दिल्ली,21.10.11)। 
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ध्यानार्थः 
-कल सुबह सात बजे जानिए ऐसी मिठाइयों के बारे में जो कम कैलोरी वाली हैं और यह भी कि मिठाइयों में मिलावट की पहचान कैसे की जाए। 
-शाम चार बजे पढ़ें कि पटाखे जलाते वक्त क्या सावधानियां ज़रूरी हैं और बीमारों को क्यों इनसे दूर रहना चाहिए

3 टिप्‍पणियां:

  1. सही है ....इसलिए इस बार मैंने दीवाली पर बाहर से मेवे -मिठाई बिलकुल भी नहीं लिए हैं .
    दीपावली की शुभकामनाएँ

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  2. आपको सपरिवार और सभी ब्लोगर मित्रों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें ।

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  3. दुखद है ऐसा होना .... मिलावट की यह समस्या तो साल दर साल बढती ही जा रही है ...दीपोत्सव की शुभकामनायें

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