आमतौर पर मरीज़ एवं परिजन केवल कुत्ते के काटने के बाद ही रेबीज़ के टीके लगवाते हैं, जबकि रेबीज़ का प्राणघातक वायरस चूहे से लेकर हाथी तक हर स्तनपायी जानवर के काटने पर फैल सकता है।
कौन-कौन से प्राणी :
मनुष्य समेत सभी स्तनपायी जानवरों के शरीर में रेबीज़ का वायरस प्रवेश कर बीमारी पैदा कर सकता है।
ज्यादातर कुत्तों में :
रेबीज़ के मरीज़ों में से ८५ प्रतिशत को यह बीमारी कुत्तों के काटने से होती है। इसका कारण भारत एवं एशियाई देशों में इनका अनियंत्रित रूप से बढ़ना है। सड़क पर पलने वाले आवारा कुत्तों के शरीर में वायरस के प्रवेश करने के बाद इनकी लार में भी आ जाता है। ऐसा कुत्ते द्वारा किसी को काटे जाने पर वह व्यक्ति संक्रमण से ग्रसित हो जाता है।
किसके काटने से होता रेबीज़ :
देश में रेबीज़ कुत्ते के अलावा बंदर, बिल्ली, सूअर, सियार एवं भेड़िए के काटने के बाद देखा गया है। सामान्यतः हर जंगली जानवर के काटने के बाद व्यक्ति को रेबीज़ ग्रसित ही माना जाता है। उसे रेबीज़ के खिलाफ अनिवार्य रूप से टीका लगाना चाहिए।
संक्रमित जानवर द्वारा काटने के बाद :
मनुष्य के शरीर में प्रवेश करने के बाद काफी लंबे समय तक यह वायरस गुप्तावस्था में रहता है। यह समय ४ दिन से लेकर कभी-कभी १०-१२ वर्ष तक का हो सकता है। इसी कारण कई बार मरीज़ जानवर से काटे जाने की बात भूल ही जाते हैं।
रेबीज़ ग्रसित जानवर के लक्षण :
रेबीज़ ग्रसित प्राणी अनायास ही उत्तेजित होकर ज़रा-सी बात में ही काटने एवं भागने लगता है। बिना किसी उत्प्रेरणा के दूर से आकर के बुरी तरह भटक जाता है, बुरी तरह काटता है, लार बहाता हुआ यहाँ से वहाँ भटकता है। संक्रमित जानवर कई लोगों को काटता है एवं कुछ ही समय में उसकी मृत्यु हो जाती है।
इंसानों में लक्षण :
लक्षण लगभग जानवरों की तरह ही होते हैं। यह वायरल बुखार की तरह ही होते हैं। दो-तीन दिन के बुखार के बाद सिरदर्द एवं शरीर दर्द के बाद गले में खराश हो जाती है। फिर पानी पीने में दिक्कत आने लगती है और पानी पीने से डर लगने लगता है। ऐसी स्थिति में आने तक व्यक्ति वायरस से पूरी तरह ग्रसित हो चुका होता है। इसी के साथ उसे पानी का डर यानी "हायड्रोफोबिया" भी हो जाता है, जिसके कारण मरीज़ को पानी देखने पर ही डर लगने लगता है। १५ प्रतिशत को वायरल बुखार होने के बाद लकवा हो सकता है। मरीज़ पर कोई भी दवा असर नहीं करती और उसकी मृत्यु हो जाती है।
बचाव :
एक बार होने के बाद १०० प्रतिशत मृत्यु का कारण बनने वाली इस बीमारी को फैलने से पूरी तरह रोका जा सकता है। घाव की सही देखभाल अत्यंत आवश्यक है। सबसे पहले घाव को अच्छी तरह धोएँ, फिर तत्काल चिकित्सक से परामर्श लेकर टीके लगवाएँ।
टीके दो प्रकार के होते हैं : सर्वप्रथम वायरस को घाव की जगह ही निष्क्रिय करने के लिए सीरम लगवाना चाहिए, जो कि घाव को तुरंत नष्ट करता है। साथ ही पाँच इंजेक्शन का टीके का कोर्स शुरू करना चाहिए, ताकि शरीर में वायरस के फैलने को पूरी तरह से रोका जा सके(सेहत,नई दुनिया,अक्टूबर प्रथमांक 2011)।
हमारे देश में सबसे ज्यादा घटना तो आवारा कुत्तो के काटने से ही होता है जितना पैसा रेबीज के इलाज के लिए पर सरकार खर्च करती है यदि उसका प्रयोग सही से आवारा कुत्तो को नियंत्रित करने के लिए करे तो ज्यादा अच्छा होगा |
जवाब देंहटाएंबहुत काम की जानकारी है यह तो !
जवाब देंहटाएंआभार .....
agar kuta katne ka time one year se jyada ho gaya ho to kya karna chahiye
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंहमारे यहाँ साँप, बिच्छु, कुत्ता, बन्दर, गीदड़, छिपकली, मधुमख्खी, बिल्ली, नेवला, सियार, भेडिया लँगूर, गिलहरी, घोड़ा, मेंढक, ऊदबिलाव, लोमड़ी आदि जैसे के नये वे पुराने से पुराने काटने का एकदम मुफ़्त में ईलाज किया जाता है। चाहे ये ज़हरीले जानवर किसी इन्सान या किसी पालतू जानवर जैसे- बकरी, घोड़ा, भैंस, गाये, आदि के ही कियों ने काटे। हम लोग मरीज़ की कमर पर काशी की थाली पढ़कर लगाते हें। अगर ज़ेहर होता हे तो थाली चुम्बक की तरह मरीज़ की कमर पर चिपक जाती है और तब तक नहीँ हटती जब तक मरीज़ क जिस्म से सारा ज़हर ना चूस ले। ये हमारा गारन्टी का 100% पेटेन्ट ईलाज है। मरीज़ को किसी तरह की कोई परेशानी नहीँ होती और मरीज़ आसानी से एक बार में ही पूरी तरह से ठीक हो जाता है। दोबारा आने की ज़रूरत नहीँ होती। अगर आपको या आपके किसी पालतू जानवर को इनमें से कोई भी ज़हरीली चीज़ काट ले तो आप बिना झिझक और बिना डरे हमारे पास चले आयें। किसी बाबा या झाड़-फूँकवाले के चक्कर में आकर अपना वक़्त और पैसा बर्बाद ना करें। हमसे आकर मिलें या हमें फोन पर बतायें इंशाल्लाह आपकी इस तरह की परेशानी का एकदम हल और फ्री ईलाज किया जायेगा। चाहे आप किसी भी राज्य में रहते हों या कहीँ भी काम करते हों हमारे यहाँ आप तक डाक दुवारा या कोरियर से थाली भेजने की भी सुविधा है। आपको केवल थाली और कोरियर का ही पैसा देना होगा बाक़ी किसी तरह का और कोई पैसा नहीँ देना होगा। बस आप हमें अपना पुरा पता बता दीजिये। थाली आपको भेज दी जायेगी।
नोट- हमारे यहाँ कुत्ते के काटने पर जो हड़क उठती हे उसके उठने से पहले पहले ही ईलाज किया जाता है। बाद में नहीँ। यानी रैबीज से पहले-पहले ।
हमारा व्हाट्सअप और कॉन्टेक्ट नंबर ये है। +919917813838
पता है--बाक़र हुसैन अंसारी ग्राम बग़दाद अन्सार पोस्ट हबीब वाला तहसील धामपुर ज़िला बिजनोर यूपी पिन कोड 246761
और थाली मंगाने के लिये पैसा भेजने को बैंक खाता नंबर ये है।
Baqar Hussain S% Shaukat Ali A/C No. 30999383731 State Bank Of india Branch Dhampur District Bijnor Uttarpradesh IFSC COD- SBINO000633
जवाब देंहटाएंहमारे यहाँ साँप, बिच्छु, कुत्ता, बन्दर, गीदड़, छिपकली, मधुमख्खी, बिल्ली, नेवला, सियार, भेडिया लँगूर, गिलहरी, घोड़ा, मेंढक, ऊदबिलाव, लोमड़ी आदि जैसे के नये वे पुराने से पुराने काटने का एकदम मुफ़्त में ईलाज किया जाता है। चाहे ये ज़हरीले जानवर किसी इन्सान या किसी पालतू जानवर जैसे- बकरी, घोड़ा, भैंस, गाये, आदि के ही कियों ने काटे। हम लोग मरीज़ की कमर पर काशी की थाली पढ़कर लगाते हें। अगर ज़ेहर होता हे तो थाली चुम्बक की तरह मरीज़ की कमर पर चिपक जाती है और तब तक नहीँ हटती जब तक मरीज़ क जिस्म से सारा ज़हर ना चूस ले। ये हमारा गारन्टी का 100% पेटेन्ट ईलाज है। मरीज़ को किसी तरह की कोई परेशानी नहीँ होती और मरीज़ आसानी से एक बार में ही पूरी तरह से ठीक हो जाता है। दोबारा आने की ज़रूरत नहीँ होती। अगर आपको या आपके किसी पालतू जानवर को इनमें से कोई भी ज़हरीली चीज़ काट ले तो आप बिना झिझक और बिना डरे हमारे पास चले आयें। किसी बाबा या झाड़-फूँकवाले के चक्कर में आकर अपना वक़्त और पैसा बर्बाद ना करें। हमसे आकर मिलें या हमें फोन पर बतायें इंशाल्लाह आपकी इस तरह की परेशानी का एकदम हल और फ्री ईलाज किया जायेगा। चाहे आप किसी भी राज्य में रहते हों या कहीँ भी काम करते हों हमारे यहाँ आप तक डाक दुवारा या कोरियर से थाली भेजने की भी सुविधा है। आपको केवल थाली और कोरियर का ही पैसा देना होगा बाक़ी किसी तरह का और कोई पैसा नहीँ देना होगा। बस आप हमें अपना पुरा पता बता दीजिये। थाली आपको भेज दी जायेगी।
नोट- हमारे यहाँ कुत्ते के काटने पर जो हड़क उठती हे उसके उठने से पहले पहले ही ईलाज किया जाता है। बाद में नहीँ। यानी रैबीज से पहले-पहले ।
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और थाली मंगाने के लिये पैसा भेजने को बैंक खाता नंबर ये है।
Baqar Hussain S% Shaukat Ali A/C No. 30999383731 State Bank Of india Branch Dhampur District Bijnor Uttarpradesh IFSC COD- SBINO000633
पागल व साधारण कुत्ता बन्दर साँप बिल्ली लोमड़ी सियार घोड़ा लोमड़ी ऊँट नेवला लंगूर गीदड़ डिंगारे छिपकली ऊदबिलाउ मेंढक गिलहरी चूहा भेड़िया रीछ बिच्छू बाज़ गिद्ध चील उल्लू आदि के इंसानों व पालतू जानवरों के नये-पुराने काटे हुवे का ईलाज निःशुल्क होता है कोई पैसा या कोई फ़ीस नहीँ ली जाती है ये हमारी एकदम फ़्री सेवा है मरीज़ की कमर पर काशी की थाली पढ़कर लगाई जाती है अगर शरीर में ज़हर होता हे तो थाली कमर पे चुम्बक की तरह चिपक जाती हे और तब तक नही हटती जब तक शरीर से सारा ज़हर न चूस ले थाली से सारा ज़हर एक बार में ही निकल जाता है ओर मरीज़ पूरी तरह से बिल्कुल ठीक हो जाता है ! ये 100 % प्रतिशत गारन्टी का पेटेन्ट ईलाज है। दुबारा आने की ज़रूरत नहीं पड़ती!
जवाब देंहटाएंमगर थाली लगवाने के लिये आपको हमारे पास आना पड़ेगा अगर नहीं आ सकते तो घबराने की कोई बात नहीं आप हमसे थाली पढ़वाकर किसी भी देश, या राज्य में डाक दुवारा या कोरियर से भी मंगवा सकते हें आपको केवल थाली व कोरियर आदि का ही ख़र्चा देना पड़ेगा और कोई पैसा नहीँ देना होगा थाली आपको पढ़कर भेज दी जायेगी उसे आप ख़ुद अपनी नंगी कमर पर लगा सकते हें। थाली किसी भी समय दिन या रात को लगा सकते हें। कोई बन्धन नहीँ है।
थाली लगाने का तरीक़ा ये हे पहले आप अपनी कमर को नंगा करलें फिर किसी कुर्सी, मेज़ या चारपाई पर अपने दोनों पैर लटकाकर बैठ जायें और फिर अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखें और थोड़ा नीचे झुक जायें अब कमर पे सबसे ऊपर की तरफ़ थाली को बिस्मिल्लाह पढ़कर लगाएं और 5 मिनट तक पकड़े रहें ताकी उसे अर्थ मिल जाये और वो गिर न पाये अब थाली को छोड़ दें और देखें की थाली कमर पर चिपकी है या नहीँ अगर हाँ तो धीरे-धीरे कमर को हल्का सा सीधा करें बिलकुल सीधा न हों वर्ना थाली नीचे गिर जायेगी अब आराम से बैठे रहें और जब तक थाली लगे लगायें ज़्यादा हिले-जुले नहीँ थाली गिर ने पर फिर इसी प्रकार से दुबारा लगायें बार-बार गिरने पर ना लगायें क्योंकि अब थाली नहीँ लगेगी आपका ज़हर ख़त्म हो गया है। इसीलिए थाली बार-बार गिर रही है ज़हर ख़त्म होने की यही पहचान है।
हमारी थाली शरीर में ज़हर के कम वे ज़्यादा होने के हिसाब से ही कमर पर चिपकती है आपके शरीर में ज़हर की जितनी अधिक मात्रा होगी ये उतना ही देर तक कमर पे चिपकी रहेगी इसकी कोई लिमिट नहीँ 10 मिन्ट से लेकर 10 घण्टा भी लग सकती है। ज़हर नहीँ होगा तो थाली आपकी कमर पे नहीँ लगेगी
कुत्ता बन्दर बिल्ली आदि के काटने पर कभी भी नज़र अंदाज़ ना करें और न ही लापरवाही बरतें फ़ौरन उसका ईलाज कराएं या हमसे संम्पर्क करें वर्ना रेबीज़ होने पर जान भी जा सकती है। हमारी सेवा 24 घन्टे है !
याद रहे हमारे यहाँ केवल काशी की थाली ही पढ़कर लगाई जाती हे कोई दवा या झाड़-फूंक नहीँ की जाती है!
रेबीज़ होने के कुछ ये लक्छण हैं जैसे---तेज़ बुखार, तेज़ सर दर्द, गले में ख़राश, पानी न पीना, सुस्त रहना, चीख़ना-चिल्लाना, इधर-उधर भागना, काटने को दौड़ना, बहकी-बहकी बातें करना चिड़चिड़ापन आदि!
नोट- मरीज़ को हड़क यानी (रेबीज़ होने) से पहले-पहले ही हम ईलाज करते हें बाद में कोई ईलाज नहीं करते!
हमारा पता है-
बाक़र हुसैन अन्सारी ग्राम- बग़दाद अन्सार पोस्ट हबीब वाला तहसील धामपुर जिला बिजनोर यूपी 246761
कॉन्टेक्ट तथा व्हाट्सअप नम्बर ये है।
+919917813838 +919927147103
हमारे यहां कुत्ता, बन्दर, बिल्ली, गीदड़, सांपबिच्छु आदि के नये व पुराने से पुराने काटे हुवे का 100% गारन्टी के साथ काशी की थाली द्वारा पेटेन्ट ईलाज किया जाता हे हमारा ईलाज बिना ईन्जक्शन ओर बिना दवाई का हे!
जवाब देंहटाएंबाक़र हुसैन बिजनोरी- मैनेजर व संस्थापक मदरसा फ़ातिमा ज़ाहरा धामपुर ज़िला बिजनोर यू०पी०
09917813838
09927147103
Hi sir
जवाब देंहटाएंmey street dog ko khana khila raha tha .. or uska panje ka nakhun se mere par me halka sa nishan khroch aya tha ... lagbhhag ek mayhana phale.. avi kuch dibo se mere NAVI me funshi type me koy ghao hua he jo kafi khujlata he.. sir mey dara hua hu
please sike bare me bataye kya ho sakta he .. kahi us dog ke nakhun lagne ki waje se to aysa nai he ?
No nakhun se nai hota
हटाएंhello sir mujhe rat ne kata tha . me kya karu
जवाब देंहटाएंKya kutte Ka halka nakhun lagne se rabbis hota he
जवाब देंहटाएंKya cat ka nakhun lagne se kuch hota he?please answer me
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