माँ का प्रथम दूध बच्चे का टीकाकरण होता है। स्तनपान की प्रक्रिया कई हारमोन से नियंत्रित होती है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है प्रोलेक्टिन व ऑक्सीटोसिन जो दूध के उत्पादन व स्त्राव के लिए ज़िम्मेदार होता है। इन हारमोन्स के सुचारु रूप से काम करने के लिए ज़रूरी है कि माँ सही भोजन व पोषण ले। इसके अलावा माँ का खुश रहना व क्रियाशीलता बनाए रखना भी ज़रूरी है। यह सब सम्मिलित रूप से हारमोन को स्टिम्यूलेट करने में मदद करते हैं। माँ सभी भोज्य समूहों को आहार में शामिल करेगी तो बनने वाले दूध की मात्रा अधिक तथा गुणकारी होगी।
एक धात्री महिला में प्रतिदिन ६००-८०० मिलीलीटर दूध बनता है। इस समय में उसे ५००-७०० अधिक कैलोरी की आवश्यकता होती है। अनाज तथा दालें, जिसमें कार्बोहाइड्रेट, ऊर्जा तथा फाइबर अधिक मात्रा में उपस्थित रहते हैं, ऊर्जा का सबसे अच्छा साधन हैं। अनाज तथा दालों को ४-५ बार लेना स्तनपान के दौरान आवश्यक है। जब बच्चा ऊपरी आहार लेने लगे तब अनाज की मात्रा को कम किया जा सकता है। विभिन्न फल व सब्ज़ियाँ दिन में ३-४ बार लेना चाहिए। इनसे मिलते हैं विटामिन व खनिज व सूक्ष्म पोषक तत्व, जो दूध के उत्पादन को बढ़ाते हैं। साथ ही शिशु में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करते हैं व माँ के लिए दस्तावर का काम करते हैं। हरी पालक, मैथी आदि हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ व अनार, चुकंदर लौह तत्व से भरपूर होते हैं। स्तनपान के दौरान सबसे अधिक ज़रूरी भोज्य पदार्थ हैं
दूध व दूध से बने पदार्थ जैसे ताज़ा दही-छाछ, पनीर, श्रीखंड आदि। यह दिन में ३-४ बार लेना चाहिए। दूध में उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन व पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम होता है, जिससे बच्चे की हड्डियाँ मज़बूत बनती हैं। उच्च गुणवत्ता का प्रोटीन सूखे मेवे, अंडे एवं दूध से मिलता है। इसी के साथ अंकुरित दालें एवं खमीरीकृत भोज्य पदार्थ जैसे बे्रड, इडली-डोसा, जलेबी आदि में विटामिन-बी अधिक मात्रा में होता है। इस समय माँ को विटामिन-सी भी लेना चाहिए जो संतरे, मौसंबी, नींबू और आँवले आदि में मिलता है। यह लौह तत्व के अवशोषण के लिए आवश्यक है(डॉ. नंदिता ठाकुर,सेहत,नई दुनिया,अक्टूबर तृतीयांक 2011)।
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